वर्ल्ड कप सिर पर है और टीम इंडिया हार रही है, लेकिन हार के वाबजूद एक डिपार्टमेंट ऐसा है, जिसको लेकर कप्तान धोनी बहुत ज्यादा चिंता में नहीं हैं।
टेस्ट के मुकाबले वनडे में गेंदबाज़ों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, स्टूअर्ट बिन्नी ने 3 वनडे में 4.46 की इकॉनमी रेट से गेंदबाज़ी की और 4 विकेट झटके। मोहित शर्मा ने 1 मैच खेला, सिर्फ़ 3.60 रन प्रति ओवर दिए और 2 शिकार अपने नाम किए।
टेस्ट में महंगे साबित हुए शमी ने भी 4 वनडे में 4.62 की इकॉनमी से गेंदबाज़ी की और 2 विकेट झटके। अक्षर पटेल ने भी 4 वनडे मैचों में 4.21 के इकॉनमी से रेन देकर, 2 विकेट चटकाए। हालांकि भवनेश्वर कुमार ने 5.23 रन प्रति ओवर दिए और सिर्फ़ 1 विकेट ले पाए।
धोनी ने अपने पास मौजूद हर एक गेंदबाज़ को आज़मा कर अपना एक्शन प्लान भी तैयार कर लिया है। गेंदबाज़ी के मोर्चे पर ऑस्ट्रेलियन विकटों पर धोनी की क्या रणनीति होगी ये उनके दिमाग में साफ है।
धोनी कहते हैं, 'हम तीन तेज़ गेंदबाज़ और दो स्पिनर के साथ नहीं खेल सकते, इससे हमारी बल्लेबाज़ी बहुत कमज़ोर हो जाती है, अगर दो विकेट जल्दी गिर जाए तो बाकि के बल्लेबाज़ों पर बहुत दबाव आ जाता है।'
यानि टीम इंडिया दो तेज़ गेंदबाज़, दो स्पिनर और एक ऑलराउंडर के साथ ही मैदान पर उतरेगी। हालांकि दो तेज़ गेंदबाज़ कौन होंगे, इसका चुनाव आसान नहीं होगा। अक्षर और अश्विन में तो फिलहाल अक्षर बाज़ी मारते नज़र आ रहे हैं, क्योंकि वह बल्ले से भी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
धोनी ने कहा, 'हमने अपनी बल्लेबाज़ी को मज़बूत करना है। पुछल्लों का बल्लेबाज़ी करना बहुत ज़रूरी है। आखिरी के 4-5 खिलाड़ी ऐसे नहीं हो सकते जो जल्दी से आउट हो जाएं।'
बल्लेबाज़ी को मज़बूत करने का धोनी का यह आईडिया टीम इंडिया को सूट भी करता है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि ट्राई सीरीज़ में ये फॉर्मूला भी कामयाबी नहीं दिला सका था।
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