यह ख़बर 25 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

कप्तान कोहली के लिए 'विराट' चुनौती है एशिया कप...

नई दिल्ली:

एशिया कप में जीत किसी भी टीम की हो, जानकार इससे आमतौर पर किसी खिलाड़ी या टीम का वजन नहीं आंकते, लेकिन बदले हालात में यह टूर्नामेंट नए कप्तान विराट कोहली के लिए 'विराट' चुनौती बन गया है...

टूर्नामेंट में पांच बार की चैम्पियन टीम इंडिया की पहली टक्कर ऐसे देश से है, जिसके खिलाफ भारतीय क्रिकेट टीम की छवि 'हैवीवेट' जैसी है... इस मैच में भले ही वर्ल्ड नंबर दो इंडिया का मुकाबला नंबर नौ बांग्लादेश से है, लेकिन हाल ही में जो कुछ न्यूजीलैंड में हुआ है, उसके बाद विराट कोहली कोई भी बड़ा दावा नहीं करना चाहते...

यह टूर्नामेंट विराट कोहली का कप्तान के रूप में बड़ा इम्तिहान होगा, और लगता भी है कि विराट एक बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं... टीम इंडिया के 'फ्यूचर' कप्तान कहे जाने वाले विराट को इससे पहले जब भी कप्तानी करने का मौका मिला, वह लगभग हमेशा कामयाब ही रहे हैं...

विराट ने अब तक आठ वन-डे मैचों में भारत की कप्तानी की है, जिनमें से सात मैचों में भारतीय टीम ने जीत हासिल की... यही नहीं, कप्तानी करते हुए विराट कोहली का बल्लेबाजी औसत भी 66.4 है, जो 130 वन-डे मैचों में उनके कुल औसत 51.85 से कहीं ज़्यादा है... वन-डे में अपने 18 में से दो शतक कोहली ने कप्तानी की जिम्मेदारी निभाते हुए लगाए हैं...

कप्तान विराट कोहली कहते हैं, मैं कप्तान बनने की जिम्मेदारियां और चुनौतियां समझता हूं... इस टूर्नामेंट में मिली कप्तानी की जिम्मेदारी को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं... इससे यह भी पता चल जाएगा कि मैं कितने पानी में हूं और एक युवा टीम का नेतृत्व कैसे करता हूं...

वैसे, इस बार विराट कोहली के सामने हालात अलग हैं और मुश्किलों की लिस्ट बेहद लंबी है... सबसे पहली और अहमतरीन परेशानी है कि महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह और सुरेश रैना की गैरमौजूदगी में मैच फिनिशर का रोल नए खिलाड़ियों को अदा करना होगा, लेकिन नए कप्तान मानते हैं कि युवा खिलाड़ी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देंगे... विराट कोहली कहते हैं, उनका (एमएस धोनी) का टीम में नहीं होना एक बड़ा बदलाव है, लेकिन युवा खिलाड़ी इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे... महेंद्र सिंह धोनी की जगह दिनेश कार्तिक टीम में हैं और वह बेहद प्रतिभाशाली हैं...

दूसरी अहम परेशानी है कि टीम इंडिया में ऑलराउंडर की जगह खाली है... पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि टीम इंडिया में एक वास्तविक ऑलराउंडर की कमी है... सो, इस टीम की कामयाबी के लिए यह भी एक अहम पहलू रहेगा कि एशिया कप के दौरान स्टुअर्ट बिन्नी या रवींद्र जडेजा इस रोल के लिए कितना खरा उतर पाते हैं...

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तीसरी दिक्कत भारतीय टीम के सामने उसके तेज गेंदबाजों की है, जिन्हें लेकर सवाल बड़े होते चले जा रहे हैं... एशिया कप में मोहम्मद शामी के साथ भुवनेश्वर कुमार, वरुण आरॉन और ईश्वर पांडेय के लिए बांग्लादेश की सपाट पिचों पर यह इम्तिहान और मुश्किल हो सकता है... वैसे, 'डेथ ओवरों' का डर भी टीम इंडिया पर हावी रहता ही है... न्यूजीलैंड के दौरे पर भी भारतीय गेंदबाज डेथ ओवरों में (आखिरी 10 ओवरों में) 80-90 तक रन खर्च करते रहे और टीम शिकस्त का सामना करती रही... अब बांग्लादेश की बैटिंग ट्रैक (बल्लेबाजों के अनुकूल पिच) पर भारतीय गेंदबाजों के लिए यह चुनौती और भी मुश्किल हो सकती है...