
मुंबई में सीसीटीवी प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस।
मुंबई:
सात साल से लटकी शहर की सीसीटीवी परियोजना के पहले चरण की शुरुआत हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने उसी ताज होटल में इसकी शुरुआत कि जिसे 26/11 में आतंकियों ने निशाना बनाया था। पहले चरण में कुल 1381 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो वर्ली से लेकर कोलाबा के बीच 434 स्थानों की लाइव तस्वीरें लगातार कंट्रोल रूम तक पहुंचाते रहेंगे।
इंटीग्रेटेड सिस्टम से जुड़ेंगे सभी कैमरे
इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सिर्फ जवानों की संख्या बढ़ाकर किसी भी शहर की सुरक्षा पुख्ता नहीं की जा सकती है। इसके लिए तकनीक की मदद जरूरी है। इसकी शुरुआत मुंबई मे 1381 सीसीटीवी कैमरों से हुई है। एक बार सभी कैमरे लग जाएंगे तब उन्हें इंटीग्रेटेड सिस्टेम से जोड़ा जाएगा। गाड़ी नंबर प्लेट डिटेक्शन, फेस डिटेक्शन और थर्मल कैमरों के जरिए इसे बहुआयामी बनाया जाएगा।
सालों से लटका था प्रोजेक्ट
26/ 11 के आतंकी हमले के बाद से मुंबई शहर की निगरानी के लिए 6000 सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात चल रही थी। साल 2008 में आतंकी हमले के बाद गठित राम प्रधान कमेटी ने भी निगरानी की जरूरत जताई थी। तत्कालीन गृहमंत्री स्वर्गीय आरआर पाटिल के नेतृत्व मे एक दल सीसीटीवी प्रोजेक्ट को देखने और समझने के लिए लंदन भी गया था, लेकिन इसके बावजूद यह प्रोजेक्ट सालों लटका रहा।
अक्टूबर 2016 तक पूरा होना है प्रोजेक्ट
फिलहाल सिर्फ 1381 कैमरे ही लग पाए हैं। बाकी के कैमरे दूसरे और तीसरे चरण में लगने हैं। यह काम अक्टूबर 2016 तक पूरा होना है। सीसीटीवी के लिए पूरे शहर को तीन जोनों में बांटा गया है। सभी सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए सीपी आफिस में तो कंट्रोल रूम होगा ही, साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल रूम, हर रीजन, जोन और पुलिस थानों मे भी उनके इलाकों की तस्वीरें लाइव दिखेंगी।
मुंबई के पुलिस आयुक्त जावेद अहमद का कहना है कि इससे पुलिस का रिस्पांस टाइम कम होगा। अपराधियों को पकड़ने, अपराध को रोकने और शहर में सुचारू यातायात व्यवस्था बनाने में भी मदद मिलेगी।
असली चुनौती पूरे इस प्रोजेक्ट को तय समय पर पूरा करना और उसे प्रभावी बनाए रखना है। वर्ना 26/11 आतंकी हमले के बाद करोड़ों रुपये खर्च कर खरीदे गए आधुनिक हथियार, बॉम्ब स्कैनर और स्पीड बोट की बदहाली सबके सामने है।
इंटीग्रेटेड सिस्टम से जुड़ेंगे सभी कैमरे
इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सिर्फ जवानों की संख्या बढ़ाकर किसी भी शहर की सुरक्षा पुख्ता नहीं की जा सकती है। इसके लिए तकनीक की मदद जरूरी है। इसकी शुरुआत मुंबई मे 1381 सीसीटीवी कैमरों से हुई है। एक बार सभी कैमरे लग जाएंगे तब उन्हें इंटीग्रेटेड सिस्टेम से जोड़ा जाएगा। गाड़ी नंबर प्लेट डिटेक्शन, फेस डिटेक्शन और थर्मल कैमरों के जरिए इसे बहुआयामी बनाया जाएगा।
सालों से लटका था प्रोजेक्ट
26/ 11 के आतंकी हमले के बाद से मुंबई शहर की निगरानी के लिए 6000 सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात चल रही थी। साल 2008 में आतंकी हमले के बाद गठित राम प्रधान कमेटी ने भी निगरानी की जरूरत जताई थी। तत्कालीन गृहमंत्री स्वर्गीय आरआर पाटिल के नेतृत्व मे एक दल सीसीटीवी प्रोजेक्ट को देखने और समझने के लिए लंदन भी गया था, लेकिन इसके बावजूद यह प्रोजेक्ट सालों लटका रहा।
अक्टूबर 2016 तक पूरा होना है प्रोजेक्ट
फिलहाल सिर्फ 1381 कैमरे ही लग पाए हैं। बाकी के कैमरे दूसरे और तीसरे चरण में लगने हैं। यह काम अक्टूबर 2016 तक पूरा होना है। सीसीटीवी के लिए पूरे शहर को तीन जोनों में बांटा गया है। सभी सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए सीपी आफिस में तो कंट्रोल रूम होगा ही, साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल रूम, हर रीजन, जोन और पुलिस थानों मे भी उनके इलाकों की तस्वीरें लाइव दिखेंगी।
मुंबई के पुलिस आयुक्त जावेद अहमद का कहना है कि इससे पुलिस का रिस्पांस टाइम कम होगा। अपराधियों को पकड़ने, अपराध को रोकने और शहर में सुचारू यातायात व्यवस्था बनाने में भी मदद मिलेगी।
असली चुनौती पूरे इस प्रोजेक्ट को तय समय पर पूरा करना और उसे प्रभावी बनाए रखना है। वर्ना 26/11 आतंकी हमले के बाद करोड़ों रुपये खर्च कर खरीदे गए आधुनिक हथियार, बॉम्ब स्कैनर और स्पीड बोट की बदहाली सबके सामने है।
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