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This Article is From May 01, 2018

सरकार कस्बों और छोटे शहरों के पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे : डॉ जांगिड

कहा, कस्बों और छोटे शहरों के पत्रकारों ने समाज को भ्रष्टाचार मुक्त और अपराध मुक्त बनाने के लिए अपनी जान पर खेल कर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

सरकार कस्बों और छोटे शहरों के पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे : डॉ जांगिड
दिल्ली में छोटे और मझौले समाचार पत्र फेडरेशन का स्थापना दिवस समारोह और अखिल भारतीय सम्पादक सम्मेलन आयोजित किया गया.
नई दिल्ली: सुप्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञ डॉ रामजीलाल जांगिड ने रविवार को यहां कहा कि समाज को भ्रष्टाचार मुक्त और अपराध मुक्त बनाने में अपनी जान पर खेल कर भी कस्बों और छोटे शहरों के पत्रकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जांगिड ने इस संदर्भ में दिवंगत रामचंद्र छत्रपति को याद करते हुए कहा कि इस स्वर्गीय पत्रकार ने धमकियों और व्यक्तिगत हमलों की परवाह न करते हुए राम रहीम की करतूतों को उजागर किया था. इसलिए सरकार को छोटे शहरों और कस्बों के पत्रकारों के जान-माल की पक्की सुरक्षा करनी चाहिए. हाल में कई राज्यों में प्रसिद्ध पत्रकारों की हत्या हुई है, पता नहीं उनके परिवार आज किस परिस्थिति में जी रहे हैं? उन्होंने कांस्टीट्यूशन क्लब में अखिल भारतीय छोटे और मझौले समाचार पत्र फेडरेशन के 39वें स्थापना दिवस समारोह और अखिल भारतीय सम्पादक सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए यह मांग की.

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प्रारंभ में भारत सरकार के पूर्व सचिव और गांधीवादी विचारक डॉ कमल टावरी ने कहा कि छोटे और मझौले समाचार पत्रों के पत्रकारों को जड़ से जुड़ना चाहिए और गांवों को गाय तथा ग्रामोद्योग से जुड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए. गांव ही आर्थिक विकास की धुरी है.

स्वागत समिति के अध्यक्ष नवनीत अग्रवाल ने कहा कि जब छोटे और मझौले समाचार पत्र आर्थिक दृष्टि से कमजोर रहेंगे तो वह समाज की प्रभावी ढंग से सेवा कैसे कर पाएंगे? सरकार को उन्हें न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण देने चाहिए, जिससे वे आवश्यक संसाधन जुटा सकें और प्रशिक्षित पत्रकार रख सकें.

फेडरेशन के अध्यक्ष अम्बिका प्रसाद दास ने कहा कि पत्रकार और पुलिस बल दोनों ही समाज को असामाजिक तत्वों के कारनामों से बचाते हैं इसलिए उनमें तालमेल बैठ सके, इसका प्रयास होना चाहिए. यदि हर थाना पत्रकार सलाहकार समिति बना सके तो पुलिस बल का काम आसान हो जाएगा. पत्रकारों को अकारण परेशान किए जाने पर उच्च अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि पत्रकार समाज के हितों की रक्षा के लिए ही समर्पित होते हैं.

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फेडरेशन के महामंत्री लक्ष्मण पटेल ने केंद्र और राज्य सरकारों की विज्ञापन नीति छोटे तथा मझौले समाचार पत्रों के लिए उदार बनाने की वकालत की. फेडरेशन की महिला शाखा की अध्यक्ष श्रीमती विजयलक्ष्मी परीदा ने छोटे और मझौले समाचार पत्रों की कमी की समस्या बताते हुए कहा कि जब तक पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी नहीं बढ़ेगी तब तक समाचार पत्रों में कमजोर और उपेक्षित वर्गों की आवाज नहीं गूंजेगी. महिला सशक्तिकरण से स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा और बलात्कार जैसी समस्याओं पर काबू पाया जा सकेगा.

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