
- यूएई सरकार ने स्पष्ट किया है कि गोल्डन वीजा पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है और इसका प्रोसेस न तो ऑटोमेटिक है और न ही आसान.
- गोल्डन वीजा लॉन्ग टर्म रेजिडेंसी परमिट है जो यूएई में रहने, काम करने और पढ़ाई करने की अनुमति देता है, साथ ही परिवार और घरेलू स्टाफ को स्पॉन्सर कर सकता है.
- गोल्डन वीजा के लिए कम से कम दो मिलियन दिरहम की रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट, बिजनेस ओनरशिप या विशेष क्षेत्रों में योगदान आवश्यक होता है और आवेदन सरकारी वेरीफिकेशन से गुजरता है.
अगर आप भी सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदकर यूएई का गोल्डन वीजा (UAE Golden Visa) लेने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. हाल ही में यूएई सरकार ने साफ किया है कि गोल्डन वीज पूरी तरह एक सरकारी रेगुलेटेड प्रोग्राम है. इसका प्रोसेस न तो ऑटोमेटिक है और न हीं इतना आसान है जितना कुछ रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट (Real Estate Investment) कंपनियां दिखा रही थीं.
यूएई की फेडरल अथॉरिटी फॉर आइडेंटिटी, सिटिजनशिप, कस्टम्स एंड पोर्ट सिक्योरिटी (ICP) ने हाल ही में वायरल हो रही उन खबरों को पूरी तरह गलत बताया है जिनमें दावा किया गया था कि कुछ देशों के नागरिकों को लाइफटाइम गोल्डन वीजा आसानी से मिल सकता है. यह खबर उन लाखों भारतीयों के लिए जरूरी है जो दुबई में रहना, काम करना या निवेश करना चाहते हैं.
रियल एस्टेट कंपनियों ने फैलाई गलतफहमी
दरअसल, कुछ रियल एस्टेट कंपनियों ने ऐसा दिखाया था कि भारतीय नागरिक एक बार में कुछ फीस देकर नॉमिनेशन के आधार पर गोल्डन वीजा (UAE Nomination-based Golden Visa) हासिल कर सकते हैं. इससे लोगों को लगने लगा कि सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदकर वीजा मिल जाएगा, लेकिन यूएई सरकार ने अब इसे साफ तौर पर गलत बताया है.
क्या है UAE Golden Visa और क्यों है ये खास?
बता दें कि Golden Visa एक लॉन्ग टर्म रेजिडेंसी परमिट है, जो किसी भी व्यक्ति को यूएई में रहने, काम करने या पढ़ाई करने का अधिकार देता है. इसमें मल्टीपल एंट्री, स्पॉन्सर की जरूरत नहीं होती और आप अपने परिवार के साथ घरेलू स्टाफ को भी स्पॉन्सर कर सकते हैं.
गोल्डन वीजा कैसे मिलता है?
यूएई सरकार के मुताबिक, Golden Visa कई आधारों जैसे कि कम से कम AED 2 मिलियन की रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट, बिजनेस ओनरशिप, या फिर साइंस, मेडिसिन, आर्ट्स, मीडिया, कल्चर या स्पोर्ट्स जैसे फील्ड्स में खास योगदान पर दिया जाता है. यह वीजा किसी एजेंट के जरिए नहीं, बल्कि सरकारी वेरीफिकेशन प्रोसेस से होकर गुजरता है. सभी नॉमिनेशन को सरकार खुद चेक करती है और फाइनल फैसला सिर्फ UAE अथॉरिटी के हाथ में होता है.
झूठे दावों या एजेंटों के बहकावे में न आएं
ICP ने कहा कि जो भी लोग इस तरह के झूठे वादों के जरिए पैसा वसूलने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. लोगों से अपील की गई है कि ऐसे झूठे दावों या एजेंटों के बहकावे में न आएं और कोई भी फीस या डॉक्युमेंट उन्हें न दें. गोल्डन वीजा से जुड़ी सभी सही जानकारी के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइट या 24x7 कॉल सेंटर (600522222) पर ही संपर्क करें.
इस बदलाव का इंडियन इनवेस्टर्स पर क्या असर पड़ेगा?
India Sotheby's International Realty के डायरेक्टर आकाश पुरी के मुताबिक, यह बदलाव दो तरफा असर डालेगा. पहले भारतीय निवेशक रेजिडेंसी के लिए प्रॉपर्टी में इनवेस्ट (Property Investment) कर रहे थे, लेकिन अब जब वीजा के लिए प्रोफेशनल और एलिजिबिलिटी बेस्ड अप्रोच जरूरी हो गई है तो मिड और एंट्री लेवल सेगमेंट में हड़बड़ी में होने वाले इनवेस्टमेंट कम हो सकते हैं.
अब ज्यादा स्ट्रैटजिक और वैल्यू-बेस्ड इनवेस्टमेंट की उम्मीद है, जो लॉन्ग टर्म में यूएई रियल एस्टेट मार्केट को ज्यादा मजबूत और स्टेबल बना सकती है.
क्या अमीर इनवेस्टर्स पर असर पड़ेगा?
लग्जरी और हाई-वैल्यू प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करने वाले रईस इनवेस्टर्स (Ultra-HNIs) इस बदलाव से बिलकुल प्रभावित नहीं होंगे. उनके लिए गोल्डन वीजा की प्रोसेस और एलिजिबिलिटी पहले से ही मैच करती रही है.
भारतीयों को अब क्या करना चाहिए?
अगर आप सिर्फ गोल्डन वीजा (UAE Golden Visa for Indians) के लिए प्रॉपर्टी खरीदने (Property Buying) की सोच रहे थे, तो अब दोबारा विचार करें. यूएई सरकार अब एलिजिबिलिटी, स्किल्स और प्रोफेशनल बैकग्राउंड को अहमियत दे रही है. ऐसे में बेहतर होगा कि निवेश करने से पहले पूरी जानकारी ले ली जाए और लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी के साथ आगे बढ़ा जाए.
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