
आज यानी शुक्रवार, 13 जून को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee vs Dollar) 56 पैसे टूटकर 86.08 पर पहुंच गया. ये गिरावट ऐसे समय में आई जब दुनियाभर के बाजारों में भूचाल है. इजराइल के ईरान पर हमले (Israel attacks Iran) के बाद मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव (Middle East Tensions) और ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में आई तेजी ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है.
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव का असर
जानकारों के मुताबिक, इजराइल ने ईरान (Israel-Iran conflict) के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है. इस घटना के बाद ग्लोबल मार्केट में डर का माहौल बन गया, जिससे डॉलर मजबूत हुआ और निवेशकों का रुझान सुरक्षित एसेट्स की तरफ बढ़ गया. इसी डर और डॉलर की मजबूती ने भारतीय रुपया भी कमजोर कर दिया.
फॉरेन इन्वेस्टर्स ने बेचे हजारों करोड़ के शेयर
गुरुवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार से 3,831 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए, जिससे घरेलू मार्केट और भी दबाव में आ गया. इसका असर भी रुपये पर दिखा और यह 86.25 पर खुला, लेकिन कुछ रिकवरी के बाद 86.08 पर आ गया.
डॉलर इंडेक्स और क्रूड ऑयल चढ़ा
छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की ताकत को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.31 प्रतिशत बढ़कर 98.22 पर पहुंच गया. वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमतों (Brent Crude Oil Price) में भी जोरदार उछाल आया और ये 8.59% बढ़कर 75.32 डॉलर प्रति बैरल हो गया. इससे भारत जैसे तेल आयातक देश की करेंसी पर दबाव और बढ़ गया.
शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट
रुपए की कमजोरी और ग्लोबल अनिश्चितता के बीच शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स में 1,337 अंकों की गिरावट देखी गई और यह 80,354 पर पहुंच गया. वहीं, निफ्टी में 415 अंकों की गिरावट आई और यह 24,473 पर आ गया.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक मिडिल ईस्ट में तनाव और ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का माहौल अनिश्चित बना रहेगा, तब तक रुपए में स्थिरता की उम्मीद कम है. निवेशकों को सतर्क रहना होगा और विदेशी बाजारों की हर हलचल पर नजर रखनी होगी.
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