फाइल फोटो
नई दिल्ली:
संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू होगा मगर वस्तु एवं सेवा कर विधेयक यानी जीएसटी बिल को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। सरकार को उम्मीद है कि यह बिल पारित करा लिया जाएगा मगर आज विपक्षी पार्टियों से चर्चा में सरकार ने इसका ज़िक्र तक नहीं किया।
बजट सत्र की तारीख़ें तय करने से पहले सरकार ने कुछ विपक्षी पार्टियों से बात की। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कांग्रेस, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, समाजवादी पार्टी आदि के नेताओं से संसद भवन में मुलाक़ात की।
सरकार ने जानना चाहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र क्या इस बार बजट सत्र को दो हिस्सों के बजाय एक ही बार में करा लिया जाए। दरअसल, बजट सत्र दो हिस्सों में होता है ताकि बीच के अवकाश में स्टैंडिग कमेटियों में संबंधित मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा हो सके।
इस बार पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुदुच्चेरी में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाज़ा तमाम राजनीतिक दल उनमें व्यस्त रहेंगे। लेकिन आम राय नहीं बनी लिहाज़ा बजट सत्र दो हिस्सों में ही होगा। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि स्टैंडिग कमेटी में चर्चा आवश्यक है इसीलिए चालीस दिनों का अवकाश होगा।
यह तय हुआ कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र 23 फरवरी को शुरू होगा। रेल बजट 25 फ़रवरी को और आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट सत्र का पहला हिस्सा 16 मार्च तक होगा। दूसरा हिस्सा चालीस दिनों की छुट्टी के बाद 25 अप्रैल से शुरू होकर 13 मई तक चलेगा।
बजट सत्र में सरकार को अरुणाचल प्रदेश में लगे राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन भी कराना है। वहीं सरकार की कोशिश जीएसटी बिल पास को कराना भी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि बजट सत्र में जीएसटी पारित करा लिया जाएगा।
हालांकि विपक्षी पार्टियों से चर्चा में जीएसटी का मुद्दा नहीं उठा। संभावना है सरकार इसे बजट सत्र के दूसरे हिस्से में लाए। इस बीच पांच राज्यों के विधानसभा के नतीजों से राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक बदल सकती है।
सरकार को उम्मीद है कि राज्य सभा में जीएसटी में अडंगा डाल रही विपक्षी पार्टियों का संख्या बल अप्रैल के बाद कुछ कम हो जाएगा, क्योंकि तब राज्यसभा में कुछ नए सदस्य आएंगे। इससे शायद उसे यह बिल पास कराने में कामयाबी मिल जाए।
बजट सत्र की तारीख़ों के एलान के साथ ही अब ये भी तय हो गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल मई के बाद ही होगा।
बजट सत्र की तारीख़ें तय करने से पहले सरकार ने कुछ विपक्षी पार्टियों से बात की। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कांग्रेस, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, समाजवादी पार्टी आदि के नेताओं से संसद भवन में मुलाक़ात की।
सरकार ने जानना चाहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र क्या इस बार बजट सत्र को दो हिस्सों के बजाय एक ही बार में करा लिया जाए। दरअसल, बजट सत्र दो हिस्सों में होता है ताकि बीच के अवकाश में स्टैंडिग कमेटियों में संबंधित मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा हो सके।
इस बार पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुदुच्चेरी में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाज़ा तमाम राजनीतिक दल उनमें व्यस्त रहेंगे। लेकिन आम राय नहीं बनी लिहाज़ा बजट सत्र दो हिस्सों में ही होगा। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि स्टैंडिग कमेटी में चर्चा आवश्यक है इसीलिए चालीस दिनों का अवकाश होगा।
यह तय हुआ कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र 23 फरवरी को शुरू होगा। रेल बजट 25 फ़रवरी को और आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट सत्र का पहला हिस्सा 16 मार्च तक होगा। दूसरा हिस्सा चालीस दिनों की छुट्टी के बाद 25 अप्रैल से शुरू होकर 13 मई तक चलेगा।
बजट सत्र में सरकार को अरुणाचल प्रदेश में लगे राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन भी कराना है। वहीं सरकार की कोशिश जीएसटी बिल पास को कराना भी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि बजट सत्र में जीएसटी पारित करा लिया जाएगा।
हालांकि विपक्षी पार्टियों से चर्चा में जीएसटी का मुद्दा नहीं उठा। संभावना है सरकार इसे बजट सत्र के दूसरे हिस्से में लाए। इस बीच पांच राज्यों के विधानसभा के नतीजों से राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक बदल सकती है।
सरकार को उम्मीद है कि राज्य सभा में जीएसटी में अडंगा डाल रही विपक्षी पार्टियों का संख्या बल अप्रैल के बाद कुछ कम हो जाएगा, क्योंकि तब राज्यसभा में कुछ नए सदस्य आएंगे। इससे शायद उसे यह बिल पास कराने में कामयाबी मिल जाए।
बजट सत्र की तारीख़ों के एलान के साथ ही अब ये भी तय हो गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल मई के बाद ही होगा।
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