विज्ञापन
This Article is From May 28, 2015

ये गर्मी इतनी जानलेवा क्यों हुई?

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 29, 2015 11:52 am IST
    • Published On मई 28, 2015 21:31 pm IST
    • Last Updated On मई 29, 2015 11:52 am IST
नमस्कार मैं रवीश कुमार, दुनिया भर के लोग मौसम की तलाश तब करते हैं जब वह सौम्य हो, शांत हो, सुहाना हो लेकिन मीडिया मौसम की बात तभी करता है जब उसमें उग्रता आ जाए। अति आ जाए। इस उग्रता की बात करनी चाहिए लेकिन सवाल है कि किस तरह से की जा रही है। इस तरह से तो न ही की जाए कि एसी वाले नान एसी वालों को हैरानी से देखने लगे कि क्या हो रहा है। इससे भी बात न बने तो सुर्खियों में महीने के हिसाब से तुकबंदी कर लें।

जनवरी और जून है तो जानलेवा सर्दी और जानलेवा गर्मी। मार्च और मई है तो बारिश होने पर मनहूस मार्च और गर्मी होने पर मौत वाली मई। मेरा बस चले तो एकाध बार फालतू फरवरी और अड़ियल अगस्त भी लिख दूं। सरकारों और एनजीओ का रवैया भी हमारे ही जैसा है। सर्दी की सनसनी हेडलाइन देखकर सरकारें स्कूल बंद कर देती है। कोहरे का कहर देखकर अलाव जलवाने लगती है और कंबल बंटवाने लगती है। गर्मी में ऐसा कुछ नहीं होता। पर इतना दिमाग़ लगाने की ज़रूरत नहीं है।

जैसे गमछा लपेटे लोगों की तस्वीर इस महीने में खूब दिखेगी आपको। यही लोग सर्दी के दिनों में अलाव के पास नज़र आते हैं। इस ज़ेबरा क्रांसिग की हालत तो अलजेबरा जैसी हो गई है। गर्मी से अलकतरा का रायता हुआ तो ज़ेबरा की पंक्तियां एक दूसरे से बिछड़ गईं। दिल्ली के अखबारों या अब तो कहीं के भी अखबार देख लीजिए, भींगते या जलते हुए स्कूटी पर लड़कियों की ही तस्वीर छपती है जैसे इन्हें सीबीएसई की तरह मौसम में भी 99 परसेंट आ गया हो। संसद या नार्थ ब्लॉक से कोई फोटोग्राफर लौटता ही रहता है वही इंडिया गेट के आस पास की तस्वीरें ले आता है। जैसे दिल्ली में करोलबाग या तैमूरनगर में लड़कियों को गर्मी या सर्दी से कोई परेशानी ही नहीं होती। फोटोग्राफर को इंडिया गेट में भींगते या गलते हुए कोई लड़का भी तो दिख सकता है, पर नहीं, क्या पता परेशानियां भी ग्लैमरस होती होंगी। अंग्रेजी में इस प्रवृत्ति को मीडिया का क्लिशे कहते हैं। इस क्लिशे का नमूना है गर्मी की स्टोरी में पानी पीने का शाट। सारी स्टोरी में लोग ऐसे ही क्यों पानी पीते हैं। थिंक अबाउट अ लिटल बिट। मुई मई जैसी हेडलाइन पढ़िये और ड्राईंग रूम में मुस्कराइये।

मौसम की चर्चा बिल्कुल होनी चाहिए लेकिन ऐसे नहीं जैसे कुछ लोग थर्मामीटर में 98 डिग्री सेल्सियस देखते ही 102 डिग्री सेल्सियस की तरह कांपने लगते हैं। हम आपको इतना भी आतंकित न करें कि आप घर से निकलना ही बंद कर दें। यह भी हो सकता है कि हम और आप पहले से कहीं ज़्यादा अपने मौसमों को लेकर अनजान होते जा रहे हैं। अब सोचिये कि 29 मई 1944 की रात मैं प्राइम टाइम कर रहा होता और पता चलता कि दिल्ली का तापमान 47.2 डिग्री है तो 2015 तक नहीं टूटने वाला है तो क्या कर रहा होता। गांधी जी और नेहरू जी को ही पुकारने लगता। इतनी गर्मी में भारत की आज़ादी की लड़ाई कैसे चलेगी। इतनी गर्मी के बाद भी अंग्रेज़ इंडिया से जाते क्यों नहीं है। हमारी सहयोगी दिव्या ने पिछले दिल्ली में पिछले पांच साल का 15 से 31 मई का आंकड़ा दिया है। इन आंकड़ों से आपको इस दौरान के अधिकतम तापमान का पता चलेगा।

Year  High  Date
2015  45.5  (25th)
2014  43.7  (30th)
2013  45.7  (24th)
2012  45.0  (31st)
2011  44.1  (18th)
2010  45.4  (18th)

2013 में मई महीने में अधिकतम तापमान 45.7 डिग्री सेल्सियस था इस साल अभी तक 45.5 डिग्री सेल्सियस है जो कि सोमवार को रिकॉर्ड किया गया। यह बताने का मकसद यह नहीं है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस दौरान हुई मौतों को कम आंका जाए। चिन्ता की बात तो है ही इस बार ऐसा क्या हो गया कि दोनों राज्यों से 1400 से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बरें आ रही हैं। इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की गर्मी इस बार दिल्ली और आस पास के इलाकों से कहीं ज्यादा है।

आंध्र और तेलंगाना के अस्पतालों में लू की चपेट में आए मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। हैदराबाद में बच्चों के नीलोफ़र अस्तपाल में एक हफ्ते में 10 से 15 प्रतिशत मरीज़ों की संख्या बढ़ गई है। आंध्र प्रदेश में 1000 से ज्यादा लोग मरे हैं और तेलंगाना मं 440 से ज्यादा। कहा जा रहा है कि अचानक तापमान बढ़ गया। मार्च और अप्रैल में बारिश के कारण तापमान कम रहा इस वजह से शरीर को मौसम के मुताबिक ढलने का वक्त नहीं मिला। पर क्या यही वैज्ञानिक कारण है। जिन लोगों को इस गर्मी में भी काम करना है वो सरकार की इस सलाह से तो चल नहीं सकते कि 9 से 4 के बीच घर से न निकलें। दिल्ली की तुलना में निश्चित रूप से तेलंगाना और आंध्र के इलाकों में तापमान ज्यादा रिकॉर्ड किया जा रहा है। तेलंगाना के खम्मम में 47.6 डिग्री सेल्सियस रहा जो 1947 के बाद सबसे अधिक है। नलगोंडा में 22 मई को तापमान 47 डिग्री यहां 1988 के 46.8 रिकॉर्ड किया गया था। मौसम विभाग का कहना है कि तापमान बहुत ज़्यादा अधिक नहीं है। इतना तापमान होता है लेकिन यह 4-5 दिनों तक रह गया। जल्दी ही यह 44-45 पर आ जाएगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री कहते हैं कि सरकार जितना कर सकती है वो कर रही है लेकिन और क्या करे जिससे लोगों की जान बच जाए यह समझ नहीं आ रहा है। क्योंकि जो भी करना है वो तुरंत करना होगा।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे इस वक्त क्या एहतियात बरतें इस बात का खूब प्रचार करें। उनका कहना है कि इस बार तापमान सामान्य से 5-6 डिग्री ज्यादा है और अगले एक हफ्ते से 10 दिनों तक यही रहेगा। मौसम विभाग के निदेशक कहते हैं कि चार पांच दिन रहेगा मुख्यमंत्री कहतें कि 7 से 10 दिन रहेगा। पिछले साल आंध्र प्रदेश में 447 लोगों की मौत हुई थी। लू से मरने वालों के परिवार को एक लाख रुपये की मदद राशि दी जाएगी।

सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट ने कहा है कि मौसम में आ रहे बदलावों के कारण भी तापमान काफी रहने लगा है। जलवायु में परिवर्तन के कारण 2014 को सबसे अधिक गरम साल के रूप में दर्ज किया गया था। भारत में 10 सबसे गरम वर्षों में से 8, 2001 से 2010 के बीच के हैं। दुनिया भर में बढ़ते तापमान के कारण और भी लू चलेगी। रात के समय का तापमान भी बढ़ता जा रहा है। अहमदाबाद और दिल्ली में रात के वक्त का तापमान 39 और 36 डिग्री रिकार्ड किया गया है। हर साल लू की संख्या 5 से बढ़कर 30 से 40 होने वाली है। जब तापमान सामान्य से पांच डिग्री या उससे ज्यादा हो जाता है तो उसे लू का चलना कहते हैं। अल्ट्रा वायलेट किरणों की मात्रा भी ज्यादा होती जा रही है जिससे स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। ये सारी जानकारी मैंने फर्स्टपोस्ट से ली है। उड़ीसा के 3 शहरों में भी गुरुवार को 45 डिग्री से ज्यादा तापमान रिकार्ड किया गा है। भवानी पटना का तापमान रहा 46.5 डिग्री सेल्सियस।

जलवायु परिवर्तन, एयरकंडिशन का अंधाधुंध इस्तमाल से लेकर लू से कैसे बचें इस पर बात करेंगे। क्या जानकारी की कमी से मौत हो रही है या लू लगने पर अस्पतालों की नाकामी से। क्या लू लगने पर मौत ही होती है ये सब कुछ सवाल हैं जिन पर बात करेंगे बहस नहीं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
UGC NET 2024 Result Declared Live: यूजीसी नेट रिजल्ट घोषित, JRF के लिए 4,970 और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 53, 694 अभ्यर्थी सफल, Direct Link
ये गर्मी इतनी जानलेवा क्यों हुई?
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और चुनावी धांधली
Next Article
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और चुनावी धांधली
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com