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This Article is From Jul 27, 2016

वेस्टइंडीज क्रिकेट का पतन, कौन है ज़िम्मेदार बोर्ड या खिलाड़ी?

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 27, 2016 20:10 pm IST
    • Published On जुलाई 27, 2016 11:32 am IST
    • Last Updated On जुलाई 27, 2016 20:10 pm IST
70 और 80 के दशक में टीम इंडिया जब वेस्टइंडीज का दौरा करती थी तब सबसे से ज्यादा हार का डर मंडराता रहता था। वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम के खिलाफ मैच जीतना वह भी वेस्टइंडीज के मैदान पर टीम इंडिया के लिए सपने जैसा था। वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ों के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज विफल नज़र आते थे। हर मामले में वेस्टइंडीज के खिलाड़ी आगे थे। 1948 से लेकर 2002 के बीच वेस्टइंडीज के मैदान पर टीम इंडिया सिर्फ एक टेस्ट सीरीज जीत पाई थी। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वेस्टइंडीज टीम कितनी शानदार हुआ करती थी।

1971 में वेस्टइंडीज के पोर्ट ऑफ़ स्पेन के मैदान पर टीम इंडिया ने जब अपना पहला टेस्ट मैच जीता तब ऐसे जश्न मनाया गया था जैसे टीम ने वर्ल्ड कप जीत लिया हो। मैदान के अंदर नाचना, कूदना, स्टंप्स उखाड़ कर मैदान के चारों तरफ दौड़ना यह सब नज़ारा देखने मिला था। टीम जब सीरीज जीतने के बाद एयरपोर्ट पहुंची थी तब उसका ऐसा स्वागत किया गया था जैसे टीम वर्ल्ड वॉर जीत कर आई हो। आज भी इंडिया और वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज की बात होती है तो सबसे ज्यादा याद 1971 की सीरीज को किया जाता है।

सुनील गावस्कर और दिलीप सरदेसाई को याद किया जाता है जिन्होंने वेस्टइंडीज के मैदान पर शानदार बल्लेबाजी करते हुए जीत की नींव रखी थी। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। 2002 के बाद वेस्टइंडीज की टीम भारत के खिलाफ एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाई है। सर विवियन रिचर्ड्स मैदान पर रविचंद्रन अश्विन ने जब आखिरी विकेट के रूप में वेस्टइंडीज के गेब्रियल का विकेट हासिल किया और टीम इंडिया को पहले टेस्ट मैच में जीत दिलाई तब खिलाड़ियों के अंदर वह जोश देखने को नहीं मिला जो अक्सर किसी टीम के खिलाफ विदेशी मैदान पर देखने को मिलता है जैसे स्टंप उखाड़ना, नाचना, कूदना फिर मैदान के अंदर अपना रंग दिखाना। खुश न होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है वेस्टइंडीज जैसी एक कमज़ोर टीम के खिलाफ मैच जीतना।

आज की वेस्टइंडीज टीम वह ख़ौफ़ पैदा नहीं करती है जो पिछले 50 साल पहले करती थी। बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाज़ी तक हर विभाग में वेस्टइंडीज हारा हुआ नज़र आता है, ऐसा लगता है यह वेस्टइंडीज टीम नहीं कोई लोकल टीम खेल रही है। टीम में ऐसा एक भी खिलाड़ी नहीं है जो अपने दम पर मैच जिता सकता है। सीनियर खिलाड़ियों की टीम में चयन नहीं हुआ है और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है बोर्ड और सीनियर खिलाड़ियों के बीच तनातनी। वेस्टइंडीज बोर्ड और सीनियर खिलाड़ियों के बीच तनातनी काफी पुरानी है।

बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच यह स्थिति वेतन में कटौती को लेकर पैदा हुई है। 2005 में वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने अपनी कमाई को लेकर एक स्टेटमेंट जारी किया था जिसमें बोर्ड को हो रहे नुकसान को लेकर पूरी जानकारी दी गई थी। इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि पिछले कुछ सालों से बोर्ड की कमाई में कैसे गिरावट आई है और बोर्ड खिलाड़ियों के वेतन में कटौती करना चाहती है। लेकिन खिलाड़ी इसमें खुश नहीं थे। 2005 में कुछ सीनियर खिलाड़ी ने क्रिकेट बोर्ड को न बताते हुए अपने निजी स्तर पर कुछ कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर लिया। बोर्ड इससे भी खुश नहीं था, बोर्ड ने खिलाड़ियों को कई नोटिस भेजे, कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी मांगी लेकिन खिलाड़ी जानकारी देने के लिए तैयार नहीं थे।

फिर 2005 में बोर्ड ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज के सीनियर खिलाड़ी ब्रायन लारा, क्रिस गेल, ड्वेन स्मिथ, ड्वेन ब्रावो, रवि रामपाल जैसे खिलाड़ियों का चयन नहीं किया। नतीजा यह था कि वेस्टइंडीज अपने घरेलू मैदान पर इस टेस्ट सीरीज को हार गया। जुलाई 2005 में वेस्टइंडीज ने श्रीलंका का दौरा किया। बोर्ड ने लगभग सभी सीनियर खिलाड़ियों को टीम से बाहर कर दिया। इस टेस्ट सीरीज में वेस्टइंडीज की बुरी तरह हार हुई।

इस तरह वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच तनातनी चलती रही। कभी सीनियर खिलाड़ियों को मौका मिलता है तो कभी बाहर कर दिया जाता है। आजतक यह मामला हल नहीं हो पाया है। कुछ साल पहले वेस्टइंडीज टीम बीच में भारत दौरा छोड़कर चली गई थी। टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान भी बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच टकराव देखने को मिला था।  
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने यह शर्त भी रखी कि जो भी खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेगा टीम में उसका चयन नहीं होगा। वेस्टइंडीज के सीनियर खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलना पसंद नहीं करते। इसके पीछे मुख्य वजह है दूसरे देशों के क्लबों से क्रिकेट खेलना जिसमें इन खिलाड़ियों को काफी पैसा मिल जाता है। आज वेस्टइंडीज क्रिकेट काफी बुरे दौर से गुजर रहा है। सीनियर खिलाड़ी न बोर्ड की सुनते हैं न बोर्ड खिलाड़ियों की सुन रहा है। बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच झगड़े से वेस्टइंडीज क्रिकेट पतन की ओर अग्रसर है।

सुशील कुमार महापात्र NDTV इंडिया के चीफ गेस्ट कॉर्डिनेटर हैं...

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