संजय किशोर की श्रीलंका डायरी-1 : चीनी एक्सप्रेस वे पर दौड़ता श्रीलंका

संजय किशोर की श्रीलंका डायरी-1 : चीनी एक्सप्रेस वे पर दौड़ता श्रीलंका

करीब डेढ़ घंटे की देरी से हमारा विमान कोलंबो पहुंचा। बाहर का तापमान 32 डिग्री बताया गया। 5 साल बाद श्रीलंका आया हूं। तब से एयरपोर्ट बहुत बदल गया है। पिछली बार साल 2010 में हम अपने साथ लाए उपकरण का "कार्ने" लेकर नहीं आए थे।

कस्टमवालों ने 3 घंटे तक हमें एयरपोर्ट पर रोके रखा था। इस बार कस्टम अधिकारी ऐसे थे, जिन्हे "कार्ने" के बारे में ज्यादा जानकारी ही नहीं थी। उन्हें ये तक पता नहीं था कि रजिस्टर के कौन-से कॉलम में क्या लिखना है? बहरहाल हमें उनसे निबटने में 45 मिनट लग गए।


बाहर निकले तो हमारे नाम की तख्ती के साथ रॉय का साथी खड़ा था। जो भी क्रिकेट कवर करने श्रीलंका आता है वह रॉय को ही टैक्सी के लिए बुलाता है।

रॉय भी अब बड़ा आदमी बन चुका है। अपनी कंपनी बना ली है, लेकिन टैक्सी चलाना नहीं छोड़ा है, हालांकि हमारे लिए उसने समीरा को भेजा था। समीरा मेरे फेसबुक पेज पर जाकर पहले से ही जानकारियां जुटा चुका था। यहां तक कि उसे मेरे बच्चों के नाम भी पता था। तकनीक ने प्राइवेसी नहीं छोड़ी है या हमें ग्लोबल सिटीजन बना दिया है, ये बहस की बात हो सकती है।

लेकिन एयरपोर्ट पर हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ था। लाइव ब्रॉडकास्ट के लिए हमारे उपकरण में 8थ्री जी कार्ड लगते हैं। अलग-अलग टेलीकॉम कंपनी के इन सिम कार्ड को रिचार्ज कराना था। अब समस्या थी कि किसी सिम कार्ड का नंबर नहीं था। एक-एक कर सिम अपने मोबाइल में डाला। एसएमएस कर नंबर और बैलेंस पता किया फिर हम रिचार्ज कर पाए। डॉलर भी एक्सचेंज करने थे। हिसाब लगाया तो पता चला कि यहां भारतीय सौ रुपये की कीमत 200 है। इन सब में करीब ढाई घंटे निकल गए।

एयरपोर्ट से कोलंबो जाने में डेढ घंटा लगता है, लेकिन समीरा ने बताया कि वह हमें नए हाइवे से ले जाएगा। चीन की मदद से श्रीलंका में कई हाइवे बनाए गए हैं। अब बीस मिनट में ही एयरपोर्ट से कोलंबो पहुंचा जा सकता है। हमने गॉल जाने के लिए सदर्न एक्सप्रेस-वे लिया। बहुत ही शानदार सड़क है। यहां के हाइवे पर सबसे दाहिना लेन ओवरटेकिंग के लिए होता है। रात में भी कोई इस नियम को नहीं तोड़ता। यहां तक कि मैंने पाकिस्तान में भी यह देखा था। वहां भी ड्राइवर एक्सप्रेस-वे पर नियम नहीं तोड़ते।

बहरहाल, श्रीलंका में चीन 2007 से बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, जो भारत की परेशानी बढ़ा रहा है। हाइवे के अलावा हंबनटोटा बंदरगाह को चीन विकसित कर रहा है। रेलवे का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। कोलंबो में बन रहा 'लोटस टावर' श्रीलंका में चीन की उपस्थिति का हस्ताक्षर समझिए। महिंदा राजपक्षे के नौ साल के कार्यकाल में श्रीलंका और चीन के बीच नजदीकियां बहुत ज़्यादा बढ़ीं।

इन तमाम खयालों के बीच हमारी कार चीन के द्वारा बनाई सड़क पर फर्राटे के साथ भागी जा रही थी। भूख बढ़ती जा रही थी। समीरा ने बताया था कि आधे घंटे बाद रास्ते में खाने की एक अच्छी जगह है। उसका आधा घंटा दो घंटे बाद आया। हमने सोचा था कि किसी ढाबे पर रोकेगा, लेकिन वह तो फूड कोर्ट था। मेरा सहकर्मी शाकाहारी है। उसकी परेशानी बस शुरू ही होने वाली थी। उसने पहले पास्ता और बाद में पिज्जा लिया, लेकिन स्वाद पसंद नहीं आया। मेरे भी खाने का स्वाद अलग था। यहां के लोग तीनों टाइम चावल खा सकते हैं। मॉल कल्चर ढाबा संस्कृति को निगलता जा रहा है। ढाबे का स्वाद भला फूड कोर्ट के खाने में कहां।

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हम थक कर चूर हो चुके थे। समीरा ने बताया कि हम बस आधे घंटे में अपने होटल में होंगे। अब हम हाइवे छोड़ पतली सड़क पर थे। सड़क हिन्द महासागर के साथ-साथ चलती है। समुद्र की विशालता मनुष्य को उसके कद का अहसास कराती है। समुद्र के किनारे पहुंच कर एक अजीब-सी झुरझुरी होती है। आप जमीन के आखिरी छोर पर खड़े होते हैं। आपके अगले कदम पर जमीन खत्म हो जाती है।
 


समीरा का आधा घंटा डेढ़ घंटे बाद आया। 'हिक्का डुआ' में हमारे होटल का नाम था "छाया ट्रांज"। बीच होटल है। वैसे गॉल में अमूमन सारे होटल बीच पर ही हैं। चेक इन करते-करते 11 बजे गए। रूम में पहुंचकर लाइव ब्रॉडकास्ट के लिए उपकरण चेक करने में आधी रात हो गई। सुबह 6 बजे उठना था।