सलमान खान की सजा पर इतनी हाय-तौबा क्यों? सवाल उठा रहे हैं रवीश रंजन

सलमान खान की सजा पर इतनी हाय-तौबा क्यों? सवाल उठा रहे हैं रवीश रंजन

नई दिल्ली:

अमेरीका के अभिनेता पॉल वॉकर की मौत जब सड़क हादसे में हुई तो तमाम सेलीब्रटी की संवेदनाएं धड़ाधड़ा मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचने और दिखने लगी। मीडिया ने माहौल ऐसा बनाया जैसे लगा कि उनकी मौत कहीं राष्ट्रीय शोक में न तब्दील हो जाए।

सवाल उठे एशिया और अफ्रीका में हजारों लोग भूख से मर रहे हैं। अमेरीका में सैकड़ों सैनिक देश की सुरक्षा में जान गंवा रहे हैं। तो ऐसे में सांता बारबरा में अपने कुत्तों और करीब 100 मंहगी कारों के साथ रहने वाले पॉल वॉकर की मौत और उससे कहीं ज्यादा सितारों की संवेदनाओं को 24 घंटे मीडिया पर क्यों दिखाए जा रहा है।

भारत में इस सवाल का जवाब संजय दत्त और सलमान खान जैसों का मीडिया कवरेज है। यहां सलमान खान ने खुद शराब के नशे में पांच लोगों को रौंद डाला। एक की मौत हो गई चार घायल हो गए। लेकिन ट्विटर और फेसबुक पर सितारों के विलाप और संवेदनाओं को दिखाकर मीडिया ने आम लोगों के मन में पीड़ित के प्रति नहीं बल्कि दोषी के पक्ष में संवेदनाएं जगा दी।

इस पूरे प्रकरण में मुझे ऋषि कपूर का ट्विट केवल याद है जिसमें लिखा गया है कि सलमान के चमचे गायक अभिजीत और फिल्म में कैरियर बनाने का सपना रखने वाले कोई एजाज खान के बेवकूफी भरे ट्विट से सलमान खान का नुकसान हो रहा है।

जिस महाराष्ट्र में सलमान खान के कोर्ट जाने और उनके घऱ पर सितारों के जमवाड़े पर ओबी हो रही है वहां हर रोज कुपोषण से 77 बच्चों की मौत होती है। कुछ लोग हो सकता है इसे लेखक का फ्रस्टेशन माने। लेकिन पीड़ित के बयान में इस बात का जोर देना कि सलमान को सजा चाहे जो मिले लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।

वहीं, कोर्ट के सजा देने के बावजूद टीवी पर अब्दुल्ला शेख की सलमान को माफ करने की बाइट चलाना, हमारे मीडिया और तंत्र के हल्केपन को उजागर करता है। यही सेलीब्रेटी सिमपैथी की हवा बनाने के साइड इफेक्ट है। जहां सजा सुनाने वाला कोर्ट छोटा हो गया और दोषी का कद बड़ा। टीवी पर कोई सलमान खान के पक्ष में नमाज पढ़ता दिखा तो कोई हवन करता हुआ। लेकिन इस प्रक्रिया में न्याय के जरिए कैसे पीड़ितों को इंसाफ और ताकतवर सेलीब्रेटी को सजा मिली, इसका जिक्र कहीं नहीं हुआ।

सोचिए जहां 1277 सड़क हादसे रोज़ाना होते हों, डेढ़ लाख से ज्यादा हर साल सड़क हादसे में लोग अपनी जान गंवाते हो वहीं इस तरह शराब पीकर गाड़ी से रौंदने वाले के लिए टीवी पर संवेदनाएं दिखाना शर्मशार करती है।

माना सलमान खान बहुत बड़े एक्टर है, चैरिटी से लाखों लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं। सड़क हादसे के केस सालों पेडिंग पड़े रहते हैं जहां सजा नहीं मिलती है।

लेकिन इस मामले में कहीं न कहीं सलमान को सेलीब्रेटी होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। पर हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इससे उनके अपराध को माफ नहीं किया जा सकता है।

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दास्तोवस्की एक जगह लिखते हैं कि हम अपराध और सजा पर किस तरह सोचते हैं उससे हमारे समाज की मानसिकता पता चलती है। जिस देश में 70 फीसदी सड़क हादसे शराब की वजह से होते हों वहां इस तरह की सजा से ड्रंकेन ड्राईव के विरोध में सख्त हवा बनाने की जरूरत थी न कि ढिंढ़ोरा पीट कर ये संदेश देना कि अगर आप सेलीब्रेटी हैं तो आपको शराब पीकर महंगी कार से लोगों को रौंदने का अधिकार मिल गया।