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This Article is From Jan 30, 2019

बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों की सत्यानाश कथा...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 30, 2019 22:22 pm IST
    • Published On जनवरी 30, 2019 22:22 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 30, 2019 22:22 pm IST

डॉ. निर्मल कुमार के बारे में ही जान लीजिए, आपको सत्यनाश कथा का सार मिल जाएगा. निर्मल कुमार गया इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल हैं. इन्हें औरंगाबाद इंजीनियरिंग कॉलेज, जहानाबाद इंजीनियरिंग कॉलेज, अरलव इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल पद का प्रभार दिया गया है. यानी यह एक शख्स चार-चार इंजीनियरिंग कॉलेज का काम देखेगा. अगर आपने अपनी बुद्धि बेच नहीं दी है तो हिसाब लगाकर देखिए कि निर्मल कुमार काम क्या करेंगे. क्या वे अलग-अलग शहरों में स्थित चार इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल का दायित्व संभाल सकते हैं. बिज्ञान व प्रावैद्यिकी विभाग, बिहार ने 30 जनवरी 2019 को एक आदेश निकाला है. 9 इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिसिंपल के बीच 21 इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल का काम बांट दिया गया है.

छपरा के एलएनजेपी के प्रभारी प्रिंसिपल डॉ. अनिल कुमार सिंह को गोपालगंज इंजीनियरिंग कॉलेज, सिवान इंजीनियंरिग कॉलेज, कैमूर इंजीनियरिंग कॉलेज का भी चार्ज दिया गया है. क्या डॉ. अनिल कुमार सिंह को बिहार सरकार ने हेलिकाप्टर दिया है जिससे वे गोपालगंज, सिवान और कैमूर के इंजीनियरिंग कॉलेजों का दौरा करेंगे.

आदेश पत्र आपको बिहार विज्ञान व प्रावैद्यिकी की वेबसाइट पर मिल जाएगी. इससे पता चलता है कि बिहार के इंजीनियिरंग कॉलेज के क्या हाल हैं. बिहार के मुख्यमंत्री खुद पटना इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र रहे हैं जिसकी एक ज़माने में खूब प्रतिष्ठा थी. एक प्रिंसिपल अगर चार-चार कॉलेज का काम देखेगा तो ज़ाहिर है वो कुछ काम नहीं कर पाएगा.

मुझे पता है कि भारत का नौजवान सांप्रदायिक मसलों का शिकार हो गया है लेकिन फिर भी मेरी उम्मीद उसी नौजवान से है कि कब तक वह सांप्रदायिकता के लिए अपनी बर्बादी का जश्न मनाता रहेगा. यह आदेश पत्र बता रहा है कि सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की क्या हालत है. जब प्रिंसिपल नहीं हैं तो आप समझ सकते हैं कि प्रोफेसर और लेक्चरर की कितनी कमी होगी.

अब नौजवानों पर निर्भर करता है. वो न्यूज चैनलों और अपने नेताओं के फेंके गए हिन्दू मुस्लिम डिबेट के टुकड़े उठा लें या फिर अपने बेहतर भविष्य के सपनों को सजाने के लिए राजनीति में दबाव पैदा करें. अगर हिन्दू मुस्लिम में ही मन लगता है तो उसी को सिलेबस बना लीजिए ताकि सत्यानाश होने पर अफसोस न रहे. वरना एक बेहतर छात्र जीवन जीना है जिसकी शर्तें हैं, बढ़िया कॉलेज, बढ़िया शिक्षक, अच्छी लाइब्रेरी तो फिर रास्ता बदलिए. नया रास्ता खोजिए. लड्डू हाथ में नहीं आएगा, बूंदी यूं नहीं छनेगी, बेसन लाने निकल जाइये. आपका भविष्य बर्बाद कर दिया गया है.

 

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