नमस्कार, मैं रवीश कुमार। दीवाली मुबारक! आप जानते ही हैं कि दिवाली से पहले की कुछ शामें काला धन को इधर उधर करने में निकल जाती हैं। बहुत सारे सेठ लोग तीन पत्ती खेलते-खेलते क्लबों और गुमनाम ठिकानों से ऐसे काले धन को समेट कर प्रसाद समझकर ग्रहण कर लेते हैं। मैं तीन पत्ती नहीं खेलता, लेकिन खेलने वालों की पत्तियों के नाम मालूम हैं। एक बादशाह चलता है तो दूसरा एक्का।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बरखा दत्त के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि काले धन के मामले में बीजेपी आज तक वहीं हैं जहां उन्होंने छोड़ा था। यानी सरकार एक कदम आगे नहीं बढ़ी है। बरखा ने कहा कि बीजेपी तो कहती है कि प्रगति हुई है तो चिदंबरम कहते हैं कि हमने स्विस अधिकारियों से कहा था कि आप नाम नहीं बताएंगे तो हम ये मुद्दा जी−20 में उठाएंगे। मैंने जी-20 में उठाया भी और स्विस अधिकारियों को कहना पड़ा कि हम या तो नाम बताएंगे या कारण बताएंगे कि क्यों नाम नहीं बता रहे हैं। 10 दिन पहले जो एग्रीमेंट पेश किया गया है वह बिल्कुल वही है। ये वही स्थिति है जिस पर मैंने छोड़ा था।
एग्रीमेंट नया नहीं है, लेकिन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 18 अक्तूबर को ब्लॉग लिखा कि एग्रीमेंट 15 अक्तूबर को साइन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में जब सरकार ने कहा कि वह दोहरे कराधान के समझौतों के तहत नाम सार्वजनिक नहीं कर सकती तो काफी आलोचना हुई।
इसी को समझाते हुए उन्होंने ब्लॉग लिखा कि कोई नहीं कह रहा कि नाम सावर्जनिक नहीं होंगे बल्कि हम इसे कानून की प्रक्रियाओं का पालन करते हुए करेंगे। जब हम अदालत में पेश करेंगे, तब अपने आप खाताधारकों के नाम सार्वजनिक हो जाएंगे। साथ ही भारत ने जिन देशों के साथ समझौते किए हैं उनका अनादर भी हो जाएगा।
इसी 15 अक्तूबर को भारत के राजस्व सचिव और सीबीडीटी के चेयरमैन ने स्विटज़रलैंड की अथॉरिटी से बैंकों में जमा काले धन को लेकर साझा बयान पर दस्तखत किए हैं। इस समझौते के तहत जब भी भारत के पास प्रमाण होगा स्विस अधिकारी बताएंगे कि सही है या नहीं। हम यह भी प्रयास कर रहे हैं कि बैंकिग सिस्टम की सूचनाओं का ऑटोमेटिक आदान प्रदान हो, लेकिन इस समझौते पर चर्चा शुरू होने जा रही है। अगर हम ये समझौता कर पाये तो यह मील का पत्थर साबित होगा।
लेकिन चिदंबरम तो कह रहे हैं कि यह समझौता न तो नया है न ही इसमें कुछ नया है। दीवाली से पहले अरुण जेटली ने बरखा दत्त से ही कहा कि हम 136 नाम बताने की स्थिति में है और ये नाम आएंगे तो कांग्रेस पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ेगा।
इस पर कांग्रेस भड़क गई और प्रवक्ता प्रमुख अजय माकन ने कहा कि वित्तमंत्री लोगों को चकमा न दें। सरकार को चुन चुन कर नाम ज़ाहिर करने की कार्यवाही से बचना चाहिए। जेटली कांग्रेस को ब्लैकमेल न करें। देश का हर नागरिक अपने हिस्से का पंद्रह लाख मिलने का इंतज़ार कर रहा है, जिसका वादा प्रधानमंत्री ने चुनावी रैलियों में किया था।
आज चिदंबरम ने एक और बात कही कि अगर किसी का खाता पकड़ा गया, तो उस व्यक्ति का अपराध होगा, न कि कांग्रेस पार्टी का। इस लाइन को भी ध्यान में रखिएगा। कांग्रेस ने पहले कहा कि धमकी मत दीजिए अब कहती है कि किसी का नाम सामने आया भी तो उसे कांग्रेस से नहीं जोड़ा जा सकता।
बीजेपी नेता सुब्रहम्णियम स्वामी ने भी कहा है कि सभी खाताधारकों के नाम सार्वजनिक होने चाहिए। एनसीपी से लेकर आम आदमी पार्टी मांग कर रही है कि सभी नाम सामने आने चाहिए।
इस बीच राम जेठमलानी ने भी वित्तमंत्री को खत लिख कर कहा है कि काला धन को उजागर करने के मामले में आपकी नीयत ठीक नहीं है। जेठमलानी ने याद दिलाया कि माननीय वित्तमंत्री विदेशों में रखे कालेधन मामले की जांच का काम सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी देख रही है। ऐसे में आपका कर्तव्य है कि एसआईटी की इजाज़त के बिना जांच की दिशा में आप कोई कदम ना उठाएं। हम ऐसे लोगों या संस्थाओं की बात नहीं कर रहे, जिन्हें भारत और जर्मनी के कानून के मुताबिक, एक ही आय के स्रोत के लिए दोनों देशों में टैक्स देना पड़ता हो। माननीय कोर्ट के आदेश से मुझे ऐसे करीब 18 नाम दिए गए हैं, जबकि हसन अली जैसे दलाल इसमें शामिल नहीं हैं।
ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप सिर्फ दोहरे टैक्स नियमों के तहत ही कार्रवाई कर रहे हैं। इससे ये साफ है कि आप किसी भी दोषी को सजा नहीं दिलाना चाहते और यहां तक कि उनकी पहचान भी नहीं जाहिर करना चाहते। जब आप नेता विपक्ष थे तब जर्मनी ने इस बात का एलान किया था कि वह अपने मित्र देशों के साथ बिना किसी शर्त के नामों को साझा कर सकता है। जमर्नी ने कभी भी डीटीएटी की बात नहीं की।
आप नागरिकों को कांग्रेस बीजेपी के चक्कर में फंसने के बजाय इस पर नज़र रखनी चाहिए कि काला धन वापस आए और वादे के मुताबिक, एक नागरिक को तीन लाख और अगर परिवार में पांच लोग हैं तो परिवार को पंद्रह लाख मिले। और ये पैसा मिले तो ज़रूर प्रधानमंत्री को और बाबा रामदेव का शुक्रिया अदा कीजिएगा। पंद्रह लाख कम नहीं होते हैं। यह भी पूछिए कि पैसा कब से बंटेगा? मामला सिर्फ नाम तक ही सीमित क्यों है? सवाल है कि क्या काला धन सिर्फ विदेशों में है? इतने हंगामे के बाद क्या काला धन उन बैंकों में अभी तक पड़ा होगा? देश में जो काला धन है उसे कितना निकाला सरकार ने। विपक्ष को क्यों भरोसा नहीं है कि सरकार ईमानदारी से काला धन वापस लाएगी।
(प्राइम टाइम इंट्रो)