प्राइम टाइम इंट्रो : गरीबी से पस्त भारत-पाकिस्तान की जंग किससे...

प्राइम टाइम इंट्रो : गरीबी से पस्त भारत-पाकिस्तान की जंग किससे...

प्रतीकात्मक फोटो

सबने प्रधानमंत्री के इस भाषण की तारीफ की थी लेकिन जल्दी यह ऐतिहासिक भाषण भुला दिया गया. सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर दोनों तरफ देशभक्ति और देशभक्ति के नाम पर उन्माद की ऐसी हवा बांधी गई कि सवाल करने वालों को सीधे गद्दार घोषित किया जाने लगा है.

कई जगहों पर स्ट्राइक की कामयाबी के राजनीतिक तेवरों वाले पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों के हवाले से स्ट्राइक के राजनीतिक इस्तेमाल पर बहस होने लगी है. हमारे सहयोगी अखिलेश शर्मा के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा है कि जो अधिकृत हैं वही सर्जिकल स्ट्राइक मामले पर बयान दें और फालतू बयानबाजी न हो. अखिलेश की ही खबर है कि सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का आगरा और लखनऊ में सम्मान किया जाएगा. फैसले के लिए पीएम और सेना को बधाई दी जाएगी. दोनों तरह की खबरें साथ-साथ आती हैं. कमाल खान ने बताया है कि इस बार लखनऊ में आतंक का रावण बनेगा जिसका दहन प्रधानमंत्री करने वाले हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के भाषण में पाकिस्तान की जनता से भी गरीबी के खिलाफ जंग में आगे आने का आहवान किया था. मीडिया ने दो-चार पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर बहस पूरे देश पर थोप दी. इधर से कलाकार उधर भगाने की बात पर हंगामा होने लगा और उधर से टीवी के बक्से में पाकिस्तानी सेनाधिकारी बहस के लिए बुलाए जाते रहे. जमाने से जय जवान-जय किसान की जोड़ी में ही हम किसान और सेना को देखते रहते हैं.

पंजाब के साहिबान गांव के जसवंत सिंह मंगलवार को अपने पांच साल के बेटे जसकर्ण को बांहों में भरकर नहर में कूद गए. चश्मदीदों ने ऐसा बताया है. इन्हीं जय किसानों के घर से आपके जय जवान आते हैं लेकिन 10 लाख के कर्ज़े से दबा यह किसान अपने बेटे को सीने से लगाए नहर में कूद गया. लाखों करोड़ का कर्ज उद्योग जगत के लोगों पर है, क्या आपने कभी सुना कि इनमें से कोई अपने बेटे को लेकर नहर में कूद गया हो. वह भागते भी हैं तो लंदन चले जाते हैं. जसवंत की एक बेटी है जो स्कूल जाती है और पत्नी है. डेढ़ एकड़ ज़मीन है. जय जवान का साथी जय किसान आत्महत्या कर रहा है. टीवी देशभक्ति पैदा करने के नाम पर कुछ लोगों को शत्रु बना रहा है और कुछ लोगों को देशभक्त. इसे रोकना न तो मेरे बस में है और न आपके बस में है. टीवी अब प्रोपेगैंडा मशीन है और आप उसके चारा.

ऐसा नहीं है कि मीडिया में किसानों की आत्महत्या की खबरें नहीं आती हैं. आती रहती हैं. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा टीवी पर गोली बंदूक चलाने की पुरानी रिकार्डिंग चलने लगे तो समस्या है. इस समस्या का अहसास तब होगा जब आप किसी समस्या से घिरे होंगे, आवाज़ लगा रहे होंगे कि मीडिया आएगा, मगर टीवी खोलेंगे तो वही गोली बंदूक चलाने की पुरानी रिकार्डिंग चल रही होगी. गांव के ही लोग शहीद हो रहे हैं, गांव के ही लोग आत्महत्या कर रहे हैं. शहर के लोग युद्ध के नाम पर वीडियो गेम खेल रहे हैं. बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी की इस बात को बहस के केंद में कैसे लाया जाए कि गरीबी-कुपोषण के खिलाफ जंग हो.

पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक खबर है 21 जून 2016 की. तब पाकिस्तानी की गरीबी पर बहुआयामी रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2004 में 55 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे थे लेकिन 2015 में 29.5 फीसदी ही गरीब रह गए. 10 में से चार पाकिस्तानी अत्यंत गरीबी में रहते हैं यानी चालीस फीसदी पाकिस्तानी गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. बलूचिस्तान में सबसे अधिक लोग गरीब हैं. इसका एक जिला है किला अब्दुल्ला जहां 97 फीसदी लोग गरीब हैं. फाटा के इलाके में चार में तीन लोग गरीब हैं. सिंध की 43 फीसदी आबादी अत्यंत गरीब है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 60.6 फीसदी आबादी के पास रसोई गैस नहीं है. 48. 5 फीसदी बच्चे स्कूल की शिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं. 38 फीसदी आबादी एक कमरे के मकान में रहती है.

पाकिस्तान की आबादी 18-19 करोड़ है. छह करोड़ लोग गरीब हैं. विश्व बैंक की बिल्कुल हाल-फिलहाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए गरीबी को मिटाना एक चुनौती भरा काम है. विश्व बैंक के अनुसार पाकिस्तान उन देशों में हैं जहां गरीबों की आमदनी काफी तेजी से बढ़ रही है. भारत उन देशों में जहां गरीबों की आमदनी औसत से कम रफ्तार पर बढ़ रही है. जबकि भारत दुनिया की सबसे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यह सब विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार कुछ क्षेत्रों में भारत पाकिस्तान से आगे है तो कुछ में पाकिस्तान भारत से आगे है.  भारत में 21.9 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है. पाकिस्तान की 29.5 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है.

विश्व बैंक का अपना पैमाना है, भारत का अपना पैमाना है फिर भी गरीबी हकीकत तो है ही. एक अजीब बात है कि नेता अपने आपको बचाए रखने के लिए हमेशा गरीबी की बात करता है, मीडिया नेता को बचाने के लिए हमेशा गरीबी की बात नहीं करता है. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में आशा व्यक्त की है कि बांग्लादेश अगर इसी तरह से आर्थिक सुधार करता रहा तो 2030 तक गरीबी से मुक्त हो जाएगा. वैसे गरीबी से न तो अमरीका मुक्त हुआ है और न ब्रिटेन.

जीवन प्रत्याशा यानी भारत में औसतन लोग 68 साल तक जीते हैं जबकि पाकिस्तान में 66 साल तक. साल 2015 के आंकड़े के अनुसार भारत में प्रति एक हजार में 37.9 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. पाकिस्तान में 1000 में से 65.8 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. कुपोषण के मामले में भारत पाकिस्तान से बेहतर स्थिति में है लेकिन भारत में भी 15.2 प्रतिशत लोग कुपोषण के शिकार हैं.

अगर आप जीडीपी के आधार पर तुलना करेंगे तो भारत का जीडीपी 2.07 ट्रिलियन डालर की है जबकि पाकिस्तान की जीडीपी 270 बिलियन की. हम खरबों में हैं और वे अरबों में हैं. परचेजिंग पावर यानी क्रय शक्ति के मामले में दोनों देश आसपास ही हैं. पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 4,450.00 यूएस डॉलर है. भारत की प्रति व्यक्ति आय 4,735.00 यूएस डॉलर है. भारत में सौ में से 74 व्यक्तियों के पास मोबाइल फोन हैं, पाकिस्तान में 73 व्यक्तियों के पास हैं. किस आधार पर मोबाइल फोन सूचकांक बनता जा रहा है मुझे नहीं पता, लेकिन जिक्र करने में क्या हर्ज़ है. भारत और पाकिस्तान जब गरीबी से जंग करेंगे तब उन्हें सेना पर खर्च होने वाले बजट पर भी गौर करना होगा. भारत जीडीपी का 2.42% सुरक्षा पर खर्च करता है तो पाकिस्तान - जीडीपी का 3.57%.

बुधवार को स्वराज अभियान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में कुपोषण से होने वाली मौतों के मामले में काफी सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि आपको क्या लगता है हम यहां मजे लेने के लिए बैठे हैं. कोर्ट की यह टिप्पणी बता रही है कि हताशा कितनी गहरी होती जा रही है. अच्छा है कुपोषण के शिकार लोग ट्वीटर के टाइम लाइन पर नहीं हैं वर्ना रोज निगेटिव बातों से मुल्क का मिजाज खराब हो रहा होता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
हमने मीडिया रिपोर्ट देखी है कि महाराष्ट्र में 500-600 बच्चों की कुपोषण से मौत हुई है. आपको लगता है कि बड़ी जनसंख्या वाले देश में कुछ लोगों के कुपोषण से मरने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.

पाकिस्तान के डान अखबार की अक्तूबर 2015 की खबर है कि सिंध प्रांत के एक जिले में 143 बच्चे कुपोषण से मर गए थे. इसी अखबार की फरवरी 2016 की एक खबर के अनुसार इसी जिले में चार महीनों के भीतर कुपोषण के शिकार 2599 बच्चे अस्पतालों में दाखिल किए गए हैं.

पाकिस्तान में गरीबों के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाले अब्दुल सत्ता ईधी का जब निधन हुआ तब कराची के नेशनल स्टेडियम में उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े. जिस पाकिस्तान को हम आतंक का गढ़ समझते हैं वहां एक हीरो ऐसा भी था जो गरीबी के खिलाफ लड़ता हुआ हीरो बना था. अल जज़ीरा ने लिखा है कि जुलाई में जब ईधी साहब का इंतकाल हुआ जब उनके जनाज़े में लाख से ज्यादा लोग आए. उनका राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सेना ने भी सलामी दी. ईधी साहब गुजरात के रहने वाले थे और 1947 में पाकिस्तान गए.

अगर भारत और पाकिस्तान को गरीबी से जंग लड़नी है तो उसकी शक्लो सूरत क्या हो सकती है. उसके नायक कौन हो सकते हैं. दुनिया भर में आर्थिक अंतर बढ़ रहा है. एक प्रतिशत लोगों के कब्ज़े में आधी दुनिया के बराबर की संपत्ति आ गई है. गरीबी से असली लड़ाई तो उन एक प्रतिशत अमीरों से होनी चाहिए लेकिन फिर भी जब बात हो गई है तो इस हंगामे में क्या जोखिम उठाया जा सकता है कि भारत और पाकिस्तान मिलकर गरीबी से जंग का ऐलान कर दें.


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