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This Article is From Apr 21, 2019

मायावती ने की तारीफ, अखिलेश यादव 'टाइगर बाम' की तरह

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 21, 2019 14:05 pm IST
    • Published On अप्रैल 21, 2019 14:00 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 21, 2019 14:05 pm IST

उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो बड़े दिग्गज मुलायम सिंह यादव और मायावती जब दशकों पुरानी दुश्मनी भुलाकर मैनपुरी की रैली में एक ही मंच पर आए तो उनकी तस्वीरें खूब वायरल हुईं देखी गईं.  दुश्मनी भुलाकर दोनों नेताओं ने अब उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी को रोकने की कोशिश करने की एक तरह से कसम खाई है. इन दोनों नेताओं को एक साथ लाने में मुलायम सिंह के बेटे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने का बड़ा रोल रहा है. समाजवादी पार्टी की डिजिटल सेल का दावा है कि इन दोनों नेताओं की संयुक्त रैली ने यूट्यूब में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. लेकिन इस सबके होते हुए यह साफ नहीं है कि मुलायम  सिंह यादव और मायावती ने अपने-अपने कॉडर और वोटरो को जो कि एक दूसरे के विरोधी हैं, उनके बीच एकता का कितना संदेश दे पाए हैं, ऐसा लगता है कि कुछ खास नहीं. 

इस पूरे घटनाक्रम को देखकर ऐसा लगता है कि पुराने और मंझे हुए नेता मुलायम सिंह यादव अपने बेटे के प्यार और न चाहते हुए भी मायावती के सम्मान में एक ही मंच पर आने के लिए राजी हो गए.  आज से 24 साल पहले मुलायम सिंह यादव के कार्यकर्ताओं ने ही गेस्ट हाउस में मायावती पर हमला कर दिया था. तब से चली आ रही 'भीषण दुश्मनी' मायावती और मुलायम के बेटे के बीच हुए महागठबंधन के बाद भी दोनों के बीच खत्म नहीं हुई थी. आपको बता दें कि दोनों के बीच इस टकराव का विरोधियों ने खूब फायदा उठाया.  

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दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी लगा कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा. इसको देखते हुए उन्होंने 'अमर सिंह अंकल', अखिलेश यादव के धुर बन चुके उनके चाचा शिवपाल यादव और उनकी नई पार्टी को महागठबंधन का खेल बिगाड़ने के लिए लगा दिया. 

वहीं खबर यह भी है कि अमित शाह ने बीजेपी आईटी सेल से जुड़े लोगों को उस वीडियो को भी खूब वायरल करने के लिए कहा गया है जिसमें कथित रूप से अखिलेश यादव अपने पिता पर हाथ उठाते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन फिर भी इसका इसका जमकर प्रचार किए जाने का आदेश है.  

उधर पहले चरण की वोटिंग में महागठबंधन के अच्छे प्रदर्शन की रिपोर्ट मिलने के बाद अखिलेश यादव ने 'एक बड़े धक्के' की जरूरत की बात कहकर अपने पिता मुलायम सिंह यादव को  संयुक्त रैली के लिए राजी कर लिया. यहां यह भी बात गौर करने वाली है कि मुलायम सिंह यादव इस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे और अक्सर सार्वजनिक रूप से इसकी कई बार निंदा भी की. इसके साथ ही अंदर ही अंदर शिवपाल के साथ मिलकर इसके फैसले खिलाफ साजिश रचा.

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वहीं ऐसा लग रहा था कि मायावती के सामने हर मुद्दे पर अखिलेश यादव को खुद कई कदम पीछे खींच चुके हैं और मायावती भी उनकी जमकर तारीफ कर रहीं थीं. अखिलेश यादव की ओर से 'बुआ' को दिए जा रहे सम्मान के चर्चे भी खूब थे. अखिलेश यादव ने बयान दिया, 'मायावती की इज्जत अब उनकी इज्जत है'. इसके साथ ही वह अब अपने भाषणों में मायावती के सबसे प्रिय आकाश आनंद का भी जिक्र जरूर करते हैं.  

अखिलेश यादव की इस व्यवहार-कुशलता का यह फायदा हुआ कि मायावती भी मुलायम सिंह यादव के साथ खुशी-खुशी संयुक्त रैली करने के लिए राजी हो गईं. विश्लेषकों का मानना था कि 7 चरणों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी. लेकिन वास्तव में मायावती और अखिलेश  यादव के गठबंधन का ज्यादा फायदा मिल सकता है, क्योंकि दोनों की कोशिश है सभी बड़े इलाकों में संयुक्त की जाए. 

अपने वोटरों में लोकप्रिय मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी की रैली में कहा कि समाजवादी पार्टी को मायावती की इज्जत करनी चाहिए, क्योंकि वह हमारे बुरे वक्त में साथ खड़ी हैं. वहीं जवाब में मायावती ने भी पीएम मोदी की तुलना में मुलायम सिंह यादव की खूब तारीफ की. मुलायम सिंह यादव यह सुनकर भावुक हो गए और उनको धन्यवाद दिया.  मायावती ने कहा, 'आपके पास अच्छा बेटा है, आपने उसको अच्छे से बड़ा किया है, वह उनके लिए 'टाइगर बाम' की तरह है.' मायावती की यह बात ऐसी थी मानों वह गेस्टहाउस कांड के घावों पर मरहम लगा रही हैं. जब 1995 में उनके ऊपर सपा के लोगों ने हमला कर दिया था और उनको खुद को एक कमरे में बंद करना पड़ा.  इस घटना के बाद से ही मुलायम और मायावती ने एक दूसरे का चेहरा न देखने की कसम खाई थी. 

अगर मैं बीजेपी के एक ऑनलाइन सपोर्टरों के मनपसंद 'बर्नॉल मूवमेंट' की तरह कहें तो अखिलेश यादव अपने उन दुश्मनों के लिए  'टाइगर बाम' की तरह हैं जिन्हें बर्नॉल की जरूरत है'

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

 
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