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This Article is From Nov 25, 2015

बाबा की कलम से : 'कड़कनाथ' भी नहीं जिता पाया रतलाम की सीट

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 14:34 pm IST
    • Published On नवंबर 25, 2015 14:21 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:34 pm IST
मध्य प्रदेश के रतलाम लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी 88 हजार वोटों से हार गई जबकि 18 महीने पहले यही सीट दिलीप सिंह भूरिया ने 50 हजार वोटों से जीती थी। सवाल यही है कि इन 18 महीनों में ऐसा क्या हुआ जिससे बीजेपी को झटका लगा। यह सीट दिलीप सिंह भूरिया के निधन पर खाली हुई थी और बीजेपी ने उनकी विधायक बेटी निर्मला भूरिया को टिकट दिया था यानी यहां सहानुभूति लहर भी काम नहीं आई। रतलाम लोकसभा के 8 विधानसभा में केवल रतलाम को छोड कर बीजेपी सभी में पीछे रही।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए रतलाम का उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था। शिवराज ने रतलाम में 52 सभांए की और एक तरह से अघोषित उम्मीदवार की तरह चुनाव में प्रचार कर रहे थे। बीजेपी ने प्रचार के दौरान क्या क्या नहीं किया। महिलाओं को पायल तो बच्चों को बैट बॉल, शराब और पैसों का तो कहना ही क्या... यही नहीं यहां पाए जाने वाले मुर्गे की विशेष प्रजाति कड़कनाथ को भी बांटा गया यानी रतलाम के उपचुनाव में कड़कनाथ भी मैदान में था।

शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनाव में 50 विधायक दर्जनभर मंत्रियों को लगा रखा था। दिल्ली से नरेन्द्र सिंह तोमर और थावरचंद्र गहलोत भी जुटे हुए थे। ऐसे में रतलाम की हार को क्या मानें? रतलाम-झाबुआ कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है मगर पिछले चुनाव में आदिवासी वोट बीजेपी की तरफ चला गया था तो क्या यह माना जाए कि इस जीत से आदिवासी फिर से कांग्रेस के तरफ वापिस लौट रहे हैं।

बीजेपी इससे से खुश हो सकती है कि देवास विधानसभा उपचुनाव वह जीत गई। सबको मालूम है कि देवास में किसी की पार्टी से अधिक वहां के राज घराने की पूछ होती है। भाजपा ने यहां से गायित्री राजे को लड़ाया था और वह जीत गईं। मगर जीत का अंतर 50 हजार से घट कर 30 हजार रह गया। तेलंगाना लोकसभा उपचुनाव में भी बीजेपी तीसरे स्थान पर रही और पिछले बार के मुकाबले इस बार बीजेपी को 50 हजार वोट कम मिले हैं। तो क्या यह माना जाए कि बिहार के बाद ये उपचुनाव कुछ इशारा कर रहे हैं क्या बीजेपी नेतृत्व को इस पर सोचना चाहिए?

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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