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This Article is From Jan 23, 2015

कादम्बिनी की कश्मकश : बेदी से बात के बाद भी सवाल बरकरार...

Kadambini Sharma, Rajeev Mishra
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  • Updated:
    जनवरी 23, 2015 00:54 am IST
    • Published On जनवरी 23, 2015 00:37 am IST
    • Last Updated On जनवरी 23, 2015 00:54 am IST

किरण बेदी से इंटरव्यू में कुछ बातें जो साफ़ तौर पर समझ में आ गईं वो ये कि बीजेपी में आने को लेकर उनके पास कोई ठोस कारण नहीं हैं। उनसे ठोस कारण बार-बार पूछने की वजह ये कि कई कार्यक्रमों में उन्होंने कई बार कहा कि राजनीति में वो बिल्कुल नहीं आना चाहतीं। अप्रैल 2014 में एनडीटीवी के कार्यक्रम मुक़ाबला में उन्होंने यहाँ तक कहा कि राजनीति में आने से पहले कम से कम तीन साल की ट्रेनिंग ज़रूरी है। लेकिन अचानक उनका ह्रदय परिवर्तन क्यों हुआ और उन्होंने बीजेपी का दामन क्यों थामा इस बात का उनके पास कोई लॉजिकल जवाब नहीं है।

बार-बार कहती रहीं कि नई सरकार के कारण, नरेंद्र मोदी के कारण उत्साह का संचार हुआ है, लेकिन आठ महीने में ऐसा क्या किया है, सरकार ने कि उनके जैसे धुर-विरोधी को ऐसा विश्वास हो गया इसका कोई जवाब उनके पास नहीं। इससे यही लगता है कि जो दाँव बीजेपी ने उन पर लगाया है, वही दाँव उन्होंने भी बीजेपी पर लगाया है। आप में क्यों नहीं गईं, पूछने पर कहा, कि कभी जाने का नहीं सोचा और इसके पीछे क्या कारण है, बताऊंगी नहीं।

जब आम आदमी पार्टी के आरोपों के बारे में पूछा जाता है तो उसे भी टाल जाती हैं, कहते हुए कि मैंने आरोप लिया नहीं तो वो लगा कैसे? और ये भी कि वो किसी आरोप का जवाब नहीं देंगी। शायद उन्हें ये एहसास है कि अगर आरोपों का जवाब देती रहीं तो फँसने की सम्भावना ज़्यादा है। इसीलिए गिनी चुनी लाइनें बोलने में ही भलाई है। मैंने उनसे पूछा कि वो अरविन्द केजरीवाल से डिबेट क्यों नहीं कर लेतीं? इस पर भी उन्होंने बड़ा सेफ़ लाइन लिया कि माहौल नहीं है ऐसे डिबेट के लिए। सभ्यता के साथ डिबेट नहीं करेंगे लोग। तमाशा नहीं बनाना। यानि बातों बातों में आम आदमी पार्टी को असभ्य भी बता दिया। ये भी कहा कि विधानसभा में भाषा सभ्य होगी, बिना सबूत के लोग बात नहीं करेंगे। ये किस चीज़ का डर बोल रहा है?

बात जब दिल्ली को अलग राज्य का दर्जा देने की और दिल्ली पुलिस के दिल्ली सरकार के पास होने की आई तो साफ़ कहा कि इसकी कोई ज़रूरत नहीं लगती। अभी जो है, जैसे है, वैसे ही काम चलेगा। यानि दिल्ली की लंबे समय से जो मांग रही है उसे उन्होंने साफ कुछ नहीं कहा। पूछने पर ये भी बता दिया कि अन्ना से अब तक बात नहीं हुई है। और हां दिल्ली बीजेपी में विरोध के स्वर से निबटने का काम बीजेपी की लीडरशिप का है।

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