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This Article is From May 11, 2014

चुनाव डायरी : 'कमल निशान और नंबर तीन'

Akhilesh Sharma
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  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 13:05 pm IST
    • Published On मई 11, 2014 11:36 am IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:05 pm IST

सुबह अखबार खोला तो एक पर्चा झटक कर गिर गया। बनारस लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का पर्चा। इसमें गुजरात में किसानों की भलाई के लिए किए गए मोदी सरकार के कामों का ब्योरा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकारों द्वारा किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र है। आखिर में बनारस के लोगों से अपील है "मत भूलों मतदान का दिन, कमल निशान और नंबर तीन!"

दरअसल, बनारस चुनाव में ईवीएम पर नरेंद्र मोदी का नाम तीसरे नंबर पर है। इसीलिए बीजेपी मतदाताओं को उनके नाम, ईवीएम पर क्रम और चुनाव चिन्ह के बारे में बता रही है। पर्चे के आखिर में क्रम संख्या 3 के साथ नरेंद्र मोदी का नाम और कमल निशान के साथ फोटो दिया गया है, ताकि वोटरों को पहचानने में आसानी हो।

वैसे मोदी का नाम चाहे ईवीएम पर तीसरे नंबर पर हो, मगर मतगणना के दिन पहले नंबर पर रहेगा, इस बात को लेकर कम ही लोगों के मन में संदेह है। नरेंद्र मोदी ने बनारस शहर में सिर्फ दो दिन प्रचार किया है। पहली बार 24 अप्रैल को पर्चा भरते वक्त और दूसरी बार 8 मई को रोहनिया में चुनावी सभा और उसी दिन बीएचयू से रथयात्रा चौराहे पर बीजेपी चुनाव कार्यालय तक गाड़ी से सफर। जिसे रोड शो का नाम नहीं दिया गया, लेकिन था वह रोड शो ही।

प्रचार के अंतिम दिन बनारस में राहुल गांधी ने कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के पक्ष में रोड शो किया, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कैलाश चौरसिया के पक्ष में रोड शो किया। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल 9 तारीख को रोड शो कर चुके थे। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ग्रामीण इलाकों में प्रचार कर रहे हैं।

लेकिन बाकी तमाम दलों में लड़ाई दूसरा-तीसरा या चौथा नंबर हासिल करने की है। सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा अरविंद केजरीवाल की दांव पर लगी है, जिन्होंने इस लोकसभा चुनाव में अपना एकमात्र लक्ष्य नरेंद्र मोदी को हराने का रखा है। केजरीवाल की कोशिश है किसी तरह से दूसरे नंबर पर आने की, लेकिन स्थानीय कांग्रेसी विधायक अजय राय इसमें आगे दिख रहे हैं। राहुल के रोड शो से भी अजय राय के हौसले बुलंद हुए हैं।

आम आदमी पार्टी के समर्थकों का दावा था कि शहर के तीन लाख मुसलमान एकमुश्त केजरीवाल के पक्ष में हैं और अजय राय को समर्थन देने की मुख्तार अंसारी की अपील का उन पर असर नहीं हुआ है, जबकि हकीकत में ऐसा है नहीं। मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में है, जबकि बाकी वोट आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी में बंट रहे हैं।

सपा उम्मीदवार चौरसिया को राज्य में पार्टी की सरकार होने का फायदा भी मिल रहा है। स्थानीय डीएम प्रांजल यादव के विवाद और शहर में उनके विकास कार्यों की सेहरा भी उन्हें मिलने की वजह से मोदी विरोधी मतदाताओं में केजरीवाल की तुलना में समाजवादी पार्टी के प्रति अधिक आकर्षण है। लेकिन गरीब तबके और कुछ ग्रामीण इलाकों में जबर्दस्त प्रचार का फायदा केजरीवाल को मिला है। इसलिए नंबर दो-तीन और चार की लड़ाई इन्हीं तीनों उम्मीदवारों के बीच है।

जहां तक बीजेपी का सवाल है, उसकी कोशिश मोदी को बड़ी जीत दिलाने की है। पिछले चुनाव में मुरली मनोहर जोशी बमुश्किल करीब 17 हजार वोटों से जीत पाए थे। बीजेपी का लक्ष्य है कि मोदी बनारस में वड़ोदरा से भी ज्यादा वोटों से जीते। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह इशारा कर चुके हैं कि दोनों सीटों से जीतने की सूरत में मोदी बनारस की सीट अपने पास रखेंगे। बीजेपी की कोशिश है कि मतदान ज्यादा हो, ताकि जीत का फासला बढ़ सके। पार्टी बनारस से कह रही है कि वे एमपी के लिए वोट डालेंगे, लेकिन उन्हें पीएम भी मिलेगा। यानी बाय वन, गेट वन फ्री!

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