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This Article is From May 05, 2015

शरद शर्मा की खरी खरी : दिल्ली के किसान

Sharad Sharma
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 05, 2015 18:44 pm IST
    • Published On मई 05, 2015 18:39 pm IST
    • Last Updated On मई 05, 2015 18:44 pm IST
आज दिल्ली के मुंडका विधानसभा के हिरण कूदना गांव गया था। बहुत-से किसानों से मिला और उनसे जानना चाहा कि उन्हें जो मुआवज़ा मिलना था, जिसके बारे में 'देश का सबसे बड़ा मुआवज़ा' होने का दावा किया गया था, उसकी फिलहाल क्या स्थिति है...?

किसानों से बेहद लंबी बातचीत के बाद मुझे कुल तीन ऐसे मुद्दे या बातें दिखाई दीं, जिन्हें लेकर किसान दिल्ली सरकार से नाराज़ या नाउम्मीद हो रहे हैं।

1. सर्वे नहीं हुआ - किसानों की शिकायत है कि हमारे गांव में कहीं भी अभी तक सर्वे नहीं हुआ, जबकि दो महीने हो गए फसल खराब हुए और अब तो सभी किसानों ने या तो बची-खुची फसल काट ली है, या जहां काटना महंगा पड़ता और उसमें से अनाज कम निकलता, वहां आग लगाकर अपने खेत खाली कर लिए हैं अगली फसल के लिए। अब ऐसे में कैसे साबित होगा कि किसकी कितनी फसल खराब हुई थी और वह खुद भी कैसे साबित करेगा कि वह कितना नुकसान झेल चुका है बेमौसम बरसात के चलते...?

जबकि मुंडका के आम आदमी पार्टी (आप) विधायक सुखबीर दलाल ने दावा किया है कि सर्वे का सारा काम पूरा हो चुका है।

2. बटाई किसान का क्या होगा - एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में 50 फीसदी किसानों के पास अपनी जमीन नहीं है और वे बटाई पर ज़मीन लेकर खेती करते हैं। ये बटाई किसान करीब 20 हज़ार रुपये प्रति एकड़ से लेकर 40 हज़ार रुपये प्रति एकड़ के सालाना किराये पर ज़मीन लेते हैं, और फसल बोते हैं। यानि फसल का नुकसान उनका हुआ, ज़मीन के मालिक का नहीं, लेकिन क्योंकि राजस्व विभाग में ज़मीन मालिकों के नाम पर है, इसलिए जब मुआवज़ा आएगा, तो वह ज़मीन मालिक के नाम आएगा।

मैंने दिल्ली के बहुत-से विधायकों से बात की। उनका कहना है कि यही मुद्दा असल में फंस रहा है, जिसके चलते मुआवज़े में देरी हो रही है। मुंडका के सुखबीर दलाल का कहना है कि उन्होंने इस समस्या को लेकर कुछ गांवों में पंचायत भी की थी, लेकिन जमीनों के मालिक कुछ भी लिखकर देने या NOC देने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं बटाई पर लेने वाला किसान ज़मीन का मालिक न बन जाए। इसी वजह से इस समस्या का अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है।

3. ऐलान पहले, शर्त बाद में - किसान इस बात से भी नाराज़ दिखे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले ऐलान किया था कि किसानों को 20,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवज़ा मिलेगा, लेकिन पिछले हफ्ते शर्त लगा दी कि जिसका नुकसान 70 फीसदी से ज़्यादा हुआ है, सिर्फ उसी को इस दर पर मुआवज़ा मिलेगा, जबकि बाकी सबको 14,000 रुपये प्रति एकड़ के मुआवज़े से संतोष करना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि केजरीवाल को यह शर्त पहले बतानी चाहिए थी और इस शर्त का सीधा मतलब यह है कि किसानों को अब 20,000 के हिसाब से मुआवज़ा नहीं मिलेगा।

वैसे जब मैं किसानों की ये बातें सुन रहा था तो मेरे मन में दो बातें आईं, जिनका उल्लेख किए बिना किसानों के मुद्दे पर मेरी यह ग्राउंड रिपोर्ट पूरी नहीं हो सकती...

1. दिल्ली के किसान केजरीवाल की देन - सुनकर आपको अजीब लगेगा, लेकिन सच यही है। दिल्ली में पिछले 15 साल से शीला दीक्षित सरकार लगभग ये यही मानती थी कि न दिल्ली में किसान हैं, न खेती की ज़मीन, लेकिन जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के किसानों को मुआवज़े का ऐलान किया तो इस बात पर स्टैम्प लग गई कि दिल्ली में किसान भी हैं और खेती की ज़मीन भी। असल में केजरीवाल ने दिल्ली में अपनी राजनीति शुरू करते ही किसानों के हक और समस्याओं का मुद्दा उठाया था और जब सरकार में आए तो मुआवज़े का ऐलान करके सबका ध्यान दिल्ली के किसानों की ओर खींचा। अगर अरविंद केजरीवाल किसानों का मुद्दा उठाकर या मुआवज़ा देकर दिल्ली के किसानों की ओर ध्यान न खींचते तो क्या आज मीडिया दिल्ली के किसान पर स्टोरी करता...? मुझे नहीं लगता, बाकी आपके सुझाव आमंत्रित हैं...

2. सबसे बड़ा मुआवज़ा - अरविंद केजरीवाल ने पहले 20,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवज़े का ऐलान किया, लेकिन पिछले हफ्ते ही उसमें 70 फीसदी नुकसान की शर्त लगा दी, जिससे किसान नाराज दिखे... मेरे ख्याल से 14,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवज़ा भी देश में सबसे बड़ा होगा, लेकिन क्योंकि पहले 20,000 कहा था, तो अब कम करने पर लोग तो नाराज़ होंगे ही। अगर केजरीवाल पहले ही यह शर्त बता देते तो नाराज़गी कम से कम इस मुद्दे पर न दिखती...

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि मुआवज़ा मिलने में कोई देरी नहीं हुई है, बल्कि बेमतलब मीडिया के लोग जल्दबाज़ी दिखा रहे हैं... तो मेरा कहना है कि दिल्ली में बाकी राज्यों के मुकाबले नाममात्र के किसान हैं और शायद इसलिए 'आप' विधायक ने कहा कि 11 अप्रैल को ऐलान करके वक्त 22 अप्रैल से मुआवज़ा बांटने का टारगेट था, लेकिन कुछ कारणों के चलते इसमें देरी हुई। खैर 8 मई का इंतज़ार करते हैं, जब दिल्ली सरकार मुआवज़ा देना शुरू करेगी।

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