एक से तीन अप्रैल के बीच जब मीडिया और कार्यकर्ता उम्मीदवारों की लिस्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे तब बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामलाल के घर पर सांसदों के साथ मनोज तिवारी की बैठक चल रही थी. हर वार्ड से आए तीन नामों पर चर्चा चल रही थी लेकिन हर सांसद के हाथ में उनके चहेतों की लिस्ट भी थी. खुद मनोज तिवारी भी अपने समर्थकों को खासतौर पर पूर्वांचल के लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाना चाहते थे. इसी बीच प्रवेश वर्मा टिकटों के बंटवारे से नाराज दिखे. कहा कि अगर मेरा ये उम्मीदवार नहीं जीता तो मैं इस्तीफा दे दूंगा..इसके जवाब में मनोज तिवारी ने कहा कि आप इस्तीफा क्यों देंगे..जब प्रदेश अध्यक्ष मैं हूं तो...इसी तरह दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी की रामलाल से बहस हुई..पूर्वी दिल्ली के सांसद गिरी ने तो ये तक कह दिया गया कि जिस वार्ड में रहता हूं उसके उम्मीदवार को मैं टिकट नहीं दिला पा रहा हूं तो मेरे सांसद रहने का क्या मतलब है..
लेकिन दो दिन चली इस तनावपूर्ण बैठक और बहस के बीच मनोज तिवारी ने 29 पूर्वांचलियों को टिकट दिलाया..विजय गोयल जेपी के भाई को टिकट नहीं दिला पाए तो खुद जेपी को टिकट दिलवाया जबकि वो विधानसभा चुनाव हार गए थे. पूर्व विधायक अनिल झा अपनी पत्नी को टिकट दिलाने में कामयाब रहे तो शिखा राय, नंदिनी शर्मा जैसे कई लोग विधायकी हारने के बाद अब पार्षदी का चुनाव लड़ रहे हैं..टिकट दिलाने का दबाव बड़े नेताओं पर इतना था कि तीन वार्डों में बीजेपी के दो-दो उम्मीदवारों को कमल का चिह्न दे दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की दिग्गजों के बीच की ये गुटबाजी सार्वजनिक नहीं हुई..लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी प्रेस कॉन्फ्रेस तक पहुंच गई..
निगम में टिकट बंटवारे को लेकिर सबसे ज्यादा किरकिरी कांग्रेस की
दिल्ली में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के सामने तीन गुट और कई स्वतंत्र खेमे हैं. पहला खेमा शीला दीक्षित, उनके बेटे संदीप का है..दूसरा गुट अरविंदर सिंह और हारुन गुट और तीसरा जेपी अग्रवाल का खेमा है..दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इसी तर्ज पर अजय माकन के खिलाफ ये तीनों गुट एक साथ खड़े नजर आते हैं. संदीप दीक्षित का कहना है कि अजय माकन फोन नहीं उठाते हैं जबकि दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको सब कुछ देखकर भी अंजान बने हैं.
गुटबाजी चिंगारी से आग में तब तब्दील हुई जब पूर्वी दिल्ली के दिग्गज कांग्रेसी नेता एके वालिया ने सरेआम इस्तीफे की पेशकश की. कहा कि निगम टिकट के बंटवारे में उनकी उपेक्षा हुई है. इसके बाद अरविंदर सिंह लवली ने इशारों ही इशारों में उनके साथ खड़े होने की बात कही..अबरीष गौतम तो बेटे के टिकट न मिलने पर इतने आहत हो गए कि बीजेपी ज्वाइन कर ली. परवेश हाशमी भी अपने बेटे को टिकट नहीं दिला पाए..कई पूर्व मंत्री अब सरेआम प्रेस कॉन्फ्रेस करके अजय माकन को कोस रहे हैं. हालांकि अजय माकन से जुड़े लोगों का कहना है कि सत्ता जाने के बाद ये सारे नेता पार्टी के लिए पसीना बहाने में आने कानी कर रहे हैं..बस चुनावी मौसम में टिकट दिलाने के लिए हाथ पैर मारते हैं. उनका ये भी कहना है कि जब पार्टी आफिस से फोन जाता है कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तो ये लोग आते नहीं हैं.
राहुल गांधी से भी जब अजय माकन की शिकायत की गई तो उन्होंने आनंद शर्मा, रणदीप सूरजेवाला के साथ एक कमेटी बनाई थी जो टिकट बंटवारे पर काम कर रही थी. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के बड़े नेता खुलकर अजय माकन के खिलाफ बोल रहे हैं..इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं. इसका मतलब है कि निगम के टिकट बंटवारे से उपजी गुटबाजी आला कमान रोकने में नाकाम रही.
रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.
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This Article is From Apr 05, 2017
निगम में चहेतों को टिकट की खातिर कांग्रेस और बीजेपी में दिग्गजों की भिड़ंत
Ravish Ranjan Shukla
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 05, 2017 21:09 pm IST
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Published On अप्रैल 05, 2017 21:06 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 05, 2017 21:09 pm IST
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