किसी गठबंधन में दो चीज़ें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं, एक उस गठबंधन का नेता कौन होगा और दूसरा चुनाव में गठबंधन में कौन सा दल कितनी सीटों पर लड़ेगा और इसका क्या फ़ॉर्मूला होगा. जहां तक बिहार का सवाल है, पहले सवाल का जवाब तो ख़ुद BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ दिनों पूर्व यह कहकर दे दिया था कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन अटल है और BJP नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी. लेकिन सीटों के तालमेल पर क्या फ़ॉर्मूला होगा उस पर BJP का कहना है कि अब उन्हें नीतीश कुमार से उम्मीद है कि वो अपनी तरफ़ से इस पर कोई घोषणा करेंगे. जैसे BJP ने उन्हें नेता मानकर अपना दिल दिखाया है, नीतीश कुमार सीटों के समझौते पर अपना बड़ा दिल दिखाएंगे. यह कहना है बिहार BJP के अध्यक्ष संजय जयसवाल का.
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हालांकि जयसवाल ने एक बात तो स्पष्ट की है कि कौन सा दल कितनी सीटें लड़ेगा ये आखिरकार जेडीयू की तरफ़ से नीतीश कुमार और BJP की तरफ़ से अमित शाह मिल बैठकर ही तय करेंगे जैसा कि लोकसभा चुनावों के दौरान देखा गया और यह विषय राज्य के नेताओं की परिधि से बाहर है. लेकिन माना जा रहा है कि संजय जयसवाल ने यह बयान अपने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का इस विषय पर मूड भांप कर ही दिया है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बयान के दो दिन पूर्व ही संजय जयसवाल ने भागलपुर में एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि NDA अटूट है और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जो भी बयान देते हैं वो उनकी निजी राय होती है. जहां तक पार्टी के स्टैंड का सवाल है तो जो भी पार्टी के अधिकृत प्रवक्ता बोलें उसे ही पार्टी की राय माना जाना चाहिए.
इस बयान को इस बात का संकेत माना गया था कि पार्टी ने गिरिराज सिंह के नीतीश कुमार को निशाने पर रखकर दिए जाने वाले बयानों से किनारा कर लिया है और फ़िलहाल गठबंधन धर्म के लिए उन्हें प्रचार से भी अलग रखा गया. जबकि गिरिराज सिंह ने अपने लोकसभा क्षेत्र बेगूसराय में पिछले कई दिनों से पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय हैं.
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लेकिन भाजपा नेता संजय जयसवाल के इस वक्तव्य का सीधा मायने यही लगाया जा रहा है कि पार्टी चाहती है कि जैसा लोकसभा में उसने बराबरी-बराबरी के सीटों पर अपने का फ़ैसला किया वैसे ही नीतीश कुमार अब विधानसभा चुनावों में भी बराबरी-बराबरी के सीटों पर लड़ने के सिद्धांत पर अपनी सहमति दे. BJP नेताओं का कहना है कि भाजपा ने गठबंधन धर्म के लिए जब नीतीश कुमार के मात्र 2 सांसद जीते हुए थे तब अपने कई निवर्तमान सांसदों को टिकट से बेदख़ल कर 17-17 की बराबरी के फ़ॉर्मूले को अपनाया था और ख़ुद नीतीश कुमार ने पिछले विधानसभा में राजद के 22 विधायकों के बावजूद बराबर-बराबर के सिद्धांत को अपनाते हुए चुनाव लड़ा था. इसलिए बराबरी का फ़ॉर्मूला नीतीश कुमार ने भी अपने सहयोगी के लिए अपनाया है और BJP ने भी जेडीयू के लिए.
इसलिए इस बार इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा हो ऐसा BJP चाहती है. हालांकि नीतीश कुमार अभी तक चार विधानसभा चुनाव BJP के साथ मिलकर लड़ चुके हैं और हर बार उनकी पार्टी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी है. लेकिन बदली परिस्थिति में जब BJP ने भी अपने संगठन का विस्तार किया है और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है ऐसे में उसका मानना है कि विधानसभा चुनाव में बराबरी-बराबरी के सीटों के समझौते को नज़रअंदाज़ करना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा.
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