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SIR के बाद सीमांचल में 24 सीटों पर क्या होगा खेला? RJD-कांग्रेस का गढ़ क्या और होगा कमजोर

बिहार चुनाव को लेकर अभी चुनाव आयोग ने कोई घोषणा नहीं की है. मगर, वोटर लिस्ट रिवीजन से ही चुनावी माहौल बन गया है. ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद सबकी नजरें सीमांचल पर हैं.

SIR के बाद सीमांचल में 24 सीटों पर क्या होगा खेला? RJD-कांग्रेस का गढ़ क्या और होगा कमजोर
  • बिहार के सीमांचल क्षेत्र में चार मुस्लिम बाहुल्य जिले हैं. यहांकुल चौबीस विधानसभा सीटें हैं.
  • 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीमांचल में सबसे ज्यादा आठ सीटें जीत लीं.
  • पिछली विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर जीत-हार का अंतर तीन हजार मतों से भी कम था.
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बिहार में हर चुनाव में सीमांचल का नाम जरूर आता है. इसे लालू यादव और कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, मगर 2020 के विधानसभा चुनाव में ही बीजेपी ने इस किले को दरका दिया. सीमांचल में कुल चार जिले हैं. मुस्लिम बाहुल्य इन चार जिलों में 24 विधानसभा सीटें हैं. जाति जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, सूबे की कुल आबादी में करीब 18 फीसदी मुस्लिम हैं. सीमांचल के इन चार जिलों की आबादी की बात करें तो किशनगंज में 68, अररिया में 43, कटिहार में 45 और पूर्णिया में 39 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिम समाज की है. मगर, पिछले चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन चौंकाने वाला था. बीजेपी 24 में से आठ सीटें जीत सीमांचल की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. कांग्रेस को पांच, जनता दल (यूनाइटेड) को चार, सीपीआई (एमएल) और आरजेडी को एक-एक सीटें मिली थीं.

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बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई तो सबकी नजरें सीमांचल की ओर थी. कारण इस बार वहां और भीषण चुनावी जंग होने वाली है. ओवैसी अपने विधायकों को तोड़ने का बदला लेने के लिए बेचैन हैं तो लालू यादव अपने गढ़ को वापस पाने के लिए बेचैन हैं. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू अपनी संख्या बढ़ाने के लिए बेकरार हैं. 

पिछली बार का है डर

बेकरारी इसलिए भी है कि पिछले विधानसभा चुनाव का परिणाम काफी नजदीकी था. बिहार की कई सीटों पर जीत-हार का मार्जिन काफी कम था. 35 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर महज 3000 मतों का था. इनमें 17 सीटें महागठबंधन के हिस्से में, 16 एनडीए, 1 लोजपा और 1 निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गईं थीं. यही कारण है कि 'सर' की प्रक्रिया शुरू होने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि अगर 1 फीसदी मतदाताओं का भी नाम कटता है तो वह पूरे चुनाव को प्रभावित करेगा. 

3000 मतों से कम में महागठबंधन की जीती हुईं सीटें

रामगढ़, कुढ़नी, बखरी, भागलपुर, कल्याणपुर, किशनगंज, सिमरी बख्तियारपुर, राजापाकड़, सिवान, महाराजगंज, दरभंगा ग्रामीण, औरंगाबाद, सिकटा, धोरैया, बाजपट्टी, अलौली, खगड़िया जैसी सीटें 3000 या कम के अंतर से महागठबंधन ने जीती. 

3000 मतों से कम में एनडीए की जीती हुईं सीटें

बरबीघा, भोरे, बछवाड़ा, परबत्ता, मुंगेर, परिहार, महिषी, झाझा, रानीगंज, बेलहर, बहादुरपुर, टेकारी, प्राणपुर, हाजीपुर, आरा जैसी सीटें एनडीए के खाते में गईं. वहीं चकाई की सीट निर्दलीय और मटिहानी लोजपा के खाते आई थी. 

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अब समझिए सीमांचल में कितने कटे वोटर

  • Kishanganj में कुल वोटर 1231910 थे. अब 1086242 रहे, यहां 145668 वोटरों के नाम कटे. 
  • Purnia में कुल वोटर 2268431 थे, अब 1994511 रहे. यहां 273920 वोटरों के नाम कटे. 
  • Katihar में कुल वोटर 2229063 थे, अब यहां 2044809 वोटर रहे, यहां 184254 लोगों के नाम कटे. 
  • Araria में पहले कुल वोटर 2082486 थे, अब यहां 1924414 रहे. ऐसे में यहां 158072 लोगों के नाम कटे.

जाहिर है इतनी संख्या में वोटरों के नाम कटने से किसी न किसी दल पर असर तो पड़ेगा ही. मगर विपक्षी दलों को ज्यादा आशंका है. उनका कहना है कि उनके वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. उधर, चुनाव आयोग पूरे आंकड़े के साथ बता रहा है कि वोटरों के नाम क्यों काटे गए. साथ ही अभी भी वोटर के पास मौका है कि वो अपने नाम जोड़वा सकें.
 

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