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This Article is From Oct 27, 2015

बिहार चुनाव : ...तो वोट नहीं डालेंगे पूर्वी चंपारण के इस गांव के लोग

बिहार चुनाव : ...तो वोट नहीं डालेंगे पूर्वी चंपारण के इस गांव के लोग
नई दिल्‍ली: भारतीय लोकतंत्र में हर चुनाव जैसे बिजली-पानी के मुद्दे पर लड़ा जाता है। हिंदुस्तान के गांवों के लिए बिजली का वादा जैसे कभी न ख़त्म होता है न पूरा होता है। बिहार के चंपारण के एक गांव में इस वादे से छले गए लोग अब बोल रहे हैं, वो किसी को वोट नहीं देंगे।

पूर्वी चंपारण ज़िले के तेनुआ गांव में ऐसे कई बिजली के खंबे हैं जो तीस साल से लोगों का मुंह चिढ़ा रहे हैं। इस गांव में बिजली के पोल 30 साल पहले लगाए गए थे। उसके ठीक बगल में दूसरा पोल 2 साल पहले लगा लेकिन बिजली आज तक नहीं पहुंची है। गांव वाले कहते हैं बिजली तो नहीं आयी लेकिन बिजली के बिल आने लगे।

अब गांव के लोगों ने तंग आकर चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। जगह-जगह इस ऐलान के पोस्टर लगे हैं कि कोई वोट नहीं देगा। इन पोस्टरों पर लिखा है, 'बिजली एवं पुल नहीं तो वोट नहीं।'

तेनुआ गांव के मतादाता कहते हैं वो मतदान नहीं करेंगे क्योंकि इससे आज तक कोई फायदा नहीं हुआ। उनकी नाराज़गी इलाके के सांसद और केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह समेत सभी जनप्रतिनिधियों से है। बिजली के लिए राधामोहन सिंह को आवेदन दिया था लेकिन कुछ नहीं हुआ। यही हाल विधायक जी का भी है। लोग कहते हैं कि जब तक विकास नहीं होगा वो वोट नहीं करेंगे।

लोगों की शिकायत गांव के बाहरी इलाके में पुल ना होने को लेकर भी है। उनके मुताबिक गांव वालों की 1 हज़ार एकड़ ज़मीन लो-लैंड ज़मीन है जहां हर साल जल-जमाव हो जाता है और कोई फसल नहीं उपजा पाता है। इसकी वजह से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। नेता हर बार चुनावों से पहले पुल बनाने का वादा करते हैं लेकिन आज तक पुल नहीं बनवाया।

अब देखना होगा कि नेताओं पर दबाव डालने की ये कवायद कितनी कारगर साबित होती है।

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