प्रतीकात्मक तस्वीर
लखनऊ:
कभी-कभी चाय की चुस्कियों के बीच चुनावी चकल्लस में ऐसी बातें निकलकर आती हैं जिसके कोई सियासी मायने तो नहीं होते लेकिन चुनावी चटखारे को ये बढ़ा देती हैं. ऐसा ही किस्सा फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट का है. ये विधानसभा सीट सियासत के साथ सियासतदानों के नामों के चलते सुर्खियों का सबब बनती रही है. इस सीट की एक खासियत यह है कि यहां से नौ बार ऐसे प्रत्याशी विधायक बने, जिनके नाम में 'राम' शब्द था. आलम यह रहा कि 1974 से लेकर 2002 यानी करीब तीन दशक तक ऐसे ही प्रत्याशी जीते जिनके नाम में 'राम' शब्द जुड़ा था.
बीकापुर सीट का सृजन 1962 में हुआ था. तब से लेकर अब तक यहां से 15 विधायक चुने गए हैं. इनमें से नौ विधायकों के नाम में राम शब्द था. यह सिलसिला सबसे पहले 1974 में शुरू हुआ था. उस साल पहली बार यह सीट कांग्रेस के खाते में नहीं गई और बीकेडी के प्रत्याशी सीताराम निषाद यहां से जीते. उसके बाद 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीराम द्विवेदी जीते. उसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सीताराम निषाद जीते. 1989 और 1991 में क्रमश: कांग्रेस और बीजेपी से श्रीराम द्विवेदी जीते. 1993 में सपा के परशुराम यादव यहां से जीते. उसके बाद 1996 और 2002 में फिर से सपा से यहां से सीताराम निषाद जीते.
इस प्रकार कुल मिलाकर लगभग तीन दशकों के दौरान पांच बार सीताराम, तीन बार श्रीराम और एक बार परशुराम विधायक बने. इस वक्त इस सीट से सपा नेता आनंदसेन यादव विधायक हैं. सबसे पहले 1962 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर अखंड प्रताप सिंह एमएलए बने थे. इस सीट की एक खासियत यह भी है कि यहां से आज तक केवल एक बार ही महिला प्रत्याशी जीती हैं. 1969 में रानी मानवती देवी यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं.
बीकापुर सीट का सृजन 1962 में हुआ था. तब से लेकर अब तक यहां से 15 विधायक चुने गए हैं. इनमें से नौ विधायकों के नाम में राम शब्द था. यह सिलसिला सबसे पहले 1974 में शुरू हुआ था. उस साल पहली बार यह सीट कांग्रेस के खाते में नहीं गई और बीकेडी के प्रत्याशी सीताराम निषाद यहां से जीते. उसके बाद 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीराम द्विवेदी जीते. उसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सीताराम निषाद जीते. 1989 और 1991 में क्रमश: कांग्रेस और बीजेपी से श्रीराम द्विवेदी जीते. 1993 में सपा के परशुराम यादव यहां से जीते. उसके बाद 1996 और 2002 में फिर से सपा से यहां से सीताराम निषाद जीते.
इस प्रकार कुल मिलाकर लगभग तीन दशकों के दौरान पांच बार सीताराम, तीन बार श्रीराम और एक बार परशुराम विधायक बने. इस वक्त इस सीट से सपा नेता आनंदसेन यादव विधायक हैं. सबसे पहले 1962 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर अखंड प्रताप सिंह एमएलए बने थे. इस सीट की एक खासियत यह भी है कि यहां से आज तक केवल एक बार ही महिला प्रत्याशी जीती हैं. 1969 में रानी मानवती देवी यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं.
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