
पंजाब विधानसभा की 117 सीटों में से 69 अकेले मालवा में हैं
चंडीगढ़:
पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में डेरों का समर्थन हासिल करने के लिए नेताओं ने कोशिशें तेज कर दी हैं. शुक्रवार को सिरसा के डेरा सच्चा सौदा पर मथ्था टेकने कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी के करीब 40 उम्मीदवार पहुंचे. 2014 में हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनवाने का सेहरा सिरसा के प्रभावशाली डेरा सच्चा सौदा के सिर बंधा. डेरा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम पर गंभीर आरोपों के तहत कोर्ट में मामले चल रहे हैं. लेकिन नेताओं में उनका आशीर्वाद लेने की होड़ मची है. डेरा प्रमुख के जन्मदिन के मौके पर सिरसा में जश्न चल रहा है जहां अकाली दल, कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार हाज़िरी लगा रहे हैं. डेरा सच्चा सौदा के पंजाब के मालवा इलाके लाखों भक्त हैं. पंजाब विधानसभा की 117 सीटों में से 69 अकेले मालवा में हैं.
शुक्रवार को पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और लहर गागा से उम्मीदवार राजिंदर कौर भट्टल के साथ करीब एक दर्जन कांग्रेसी उम्मीदवार डेरा पहुंचे. राजिंदर कौर भट्टल ने कहा, 'हमारे और डेरा के बीच कई बातें एक जैसी हैं, जैसे डेरा नशे के खिलाफ बात करता है, हमारी पार्टी भी नशे के खिलाफ है. डेरा विकास की बात करता है जबकि अकाली दल ने पंजाब का विनाश किया है.' इससे पहले बादल सरकार के दो मंत्री और दर्जन भर अकाली दल और बीजेपी उम्मीदवार डेरा प्रमुख का आशीर्वाद लेने पहुंचे.
लुधियाना से बीजेपी उम्मीदवार के पिता चमन लाल चैटली ने कहा, 'मैं यहां बाबा जी से अपने बेटे के लिए आशीर्वाद लेने आया हूं कि वो उसे कामयाब करें.' सिरसा डेरा के अलावा, अमृतसर के नजदीक ब्यास में राधा स्वामी डेरे का भी पंजाब में खासा प्रभाव है. माझा और दोआबा इलाके में डेरे के लाखों समर्थक हैं. यही वजह है कि सुखबीर बादल कई बार ब्यास जाकर मत्था टेक चुके हैं. चुनाव आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हाल ही में रात भर ब्यास डेरा में रुके थे.
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल भी जालंधर के पास रविदास समाज के डेरा सचखंड में आशीर्वाद ले चुके हैं. 2012 में दोआबा में अकाली दल के शानदार प्रदर्शन के पीछे इसी डेरे का समर्थन बताया गया था. इस डेरा का रविदासिया समाज पर काफी प्रभाव है. दोआबा में विधानसभा की 25 सीटें हैं. डेरा सचखंड के महासचिव सतपाल विर्दी कहते हैं कि हमारे डेरों पर अरविंद केजरीवाल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, बादल साहब, बीबी भट्टल आते रहते हैं. लेकिन वो किसी सियासी मकसद से नहीं बल्कि अपनी श्रद्धा से आते हैं. हमारा राजनीति से कोई लेना देना नहीं. समाजशास्त्री डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि डेरों को अपनी सियासी अहमियत का अंदाजा लग गया है.
पिछले चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने एक पार्टी के खिलाफ वोट देने का ऐलान किया था. लेकिन अब सभी डेरों को लग रहा है कि हम ऐसा कर सकते हैं. पहले डेरे अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों को समर्थन देते थे लेकिन अब किसी एक पार्टी को दे रहे हैं. नकोदर के पास नूरमहल में दिव्य ज्योति संस्थान, डेरा स्वामी जगत गिरी आश्रम के भक्तों की तादात भी लाखों में है, जिनका वोट हासिल करने के लिए पार्टियों के उम्मीदवार इन डेरों के चक्कर काट रहे हैं.
शुक्रवार को पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और लहर गागा से उम्मीदवार राजिंदर कौर भट्टल के साथ करीब एक दर्जन कांग्रेसी उम्मीदवार डेरा पहुंचे. राजिंदर कौर भट्टल ने कहा, 'हमारे और डेरा के बीच कई बातें एक जैसी हैं, जैसे डेरा नशे के खिलाफ बात करता है, हमारी पार्टी भी नशे के खिलाफ है. डेरा विकास की बात करता है जबकि अकाली दल ने पंजाब का विनाश किया है.' इससे पहले बादल सरकार के दो मंत्री और दर्जन भर अकाली दल और बीजेपी उम्मीदवार डेरा प्रमुख का आशीर्वाद लेने पहुंचे.
लुधियाना से बीजेपी उम्मीदवार के पिता चमन लाल चैटली ने कहा, 'मैं यहां बाबा जी से अपने बेटे के लिए आशीर्वाद लेने आया हूं कि वो उसे कामयाब करें.' सिरसा डेरा के अलावा, अमृतसर के नजदीक ब्यास में राधा स्वामी डेरे का भी पंजाब में खासा प्रभाव है. माझा और दोआबा इलाके में डेरे के लाखों समर्थक हैं. यही वजह है कि सुखबीर बादल कई बार ब्यास जाकर मत्था टेक चुके हैं. चुनाव आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हाल ही में रात भर ब्यास डेरा में रुके थे.
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल भी जालंधर के पास रविदास समाज के डेरा सचखंड में आशीर्वाद ले चुके हैं. 2012 में दोआबा में अकाली दल के शानदार प्रदर्शन के पीछे इसी डेरे का समर्थन बताया गया था. इस डेरा का रविदासिया समाज पर काफी प्रभाव है. दोआबा में विधानसभा की 25 सीटें हैं. डेरा सचखंड के महासचिव सतपाल विर्दी कहते हैं कि हमारे डेरों पर अरविंद केजरीवाल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, बादल साहब, बीबी भट्टल आते रहते हैं. लेकिन वो किसी सियासी मकसद से नहीं बल्कि अपनी श्रद्धा से आते हैं. हमारा राजनीति से कोई लेना देना नहीं. समाजशास्त्री डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि डेरों को अपनी सियासी अहमियत का अंदाजा लग गया है.
पिछले चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने एक पार्टी के खिलाफ वोट देने का ऐलान किया था. लेकिन अब सभी डेरों को लग रहा है कि हम ऐसा कर सकते हैं. पहले डेरे अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों को समर्थन देते थे लेकिन अब किसी एक पार्टी को दे रहे हैं. नकोदर के पास नूरमहल में दिव्य ज्योति संस्थान, डेरा स्वामी जगत गिरी आश्रम के भक्तों की तादात भी लाखों में है, जिनका वोट हासिल करने के लिए पार्टियों के उम्मीदवार इन डेरों के चक्कर काट रहे हैं.
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