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This Article is From Jan 31, 2017

मुलायम सिंह यादव ने यह क्या कह दिया, अखिलेश यादव-राहुल गांधी के सामने खड़ी की मुश्किलें

मुलायम सिंह यादव ने यह क्या कह दिया, अखिलेश यादव-राहुल गांधी के सामने खड़ी की मुश्किलें
मीडिया से बात करते हुए पूर्व सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव...
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश का चुनावी दंगल अभी से 2019 के आम चुनावों के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में राज्य में सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया है. वहीं, पिछले कुछ समय में पार्टी की भीतरी राजनीति के बाद अपने पद और दल से दरकिनार कर दिए गए पूर्व पार्टी प्रमुख और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव इस गठबंधन के खिलाफ हो गए हैं. गठबंधन के ऐलान के तुरंत बाद मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन का विरोध करते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी को गठबंधन की जरूरत नहीं थी. पार्टी के अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए था. उन्होंने कहा कि राज्य में समाजवादी पार्टी के खिलाफ कोई एंटी इनकमबेंसी फेक्टर नहीं था.फिर भी पार्टी ने गठबंधन किया.

मुलायम सिंह यादव की नाराज़गी का आलम कुछ यूं है कि उन्होंने गठबंधन धर्म के खिलाफ अपने समर्थक नेताओं से कहा है कि वह कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ें. अयोध्या में राम मंदिर के लिए जा रहे कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश देने के बाद मुलायम सिंह यादव को 'मुल्ला मुलायम' के नाम से राजनीति में पुकारा जाता है. मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में दांव चलते हुए कांग्रेस पर हमला किया और एक बार फिर कांग्रेस के खिलाफ मुखर हो गए. उन्होंने इन सीटों से टिकट न पाने वाले पार्टी के नेताओं का आह्वान किया है कि वह इन सीटों से कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने के लिए निर्दलीय ही पर्चा दाखिल करें.

मुलायम सिंह यादव पहले ही कह चुके हैं कि वह इस गठबंधन के समर्थन में प्रचार नहीं करेंगे. लेकिन अब उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत हुई तो वह कांग्रेस के प्रत्याशियों के खिलाफ उन सीटों पर प्रचार करेंगे ताकि कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया जा सके.

सूत्र बता रहे हैं कि राज्य में अच्छी संख्या में यदि कांग्रेस पार्टी जीत दर्ज करती है तो वह जरूरत पड़ने पर बीएसपी से हाथ मिला सकती है. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश और राहुल गांधी की साझा प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी का बहुजन समाज पार्टी प्रति रुख यह इशारा करता है. राहुल गांधी ने बीएसपी पर नरम रुख अपनाते हुए कहा था कि वह निजी तौर पर बीएसपी प्रमुख मायावती का बहुत सम्मान करते हैं. माना जा रहा है कि राहुल गांधी बीएसपी से दोस्ती की गुंजाइश को खत्म नहीं करना चाहते हैं. कांग्रेस बीजेपी के साथ नहीं जाएगी और गैर-बीजेपी दल ही उनके लिए मुफीद होंगे.

मुलायम सिंह यादव की बात असर भी दिखने लगा है. कुछ सपा नेताओं ने दल बदलकर पर्चा भी भर दिया है. कई और नेताओं के पर्चा भरने की बात भी कही जा रही है.

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