विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Mar 20, 2017

तो इस तरह यूपी में बीजेपी ने तोड़ दिया दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोटों का मिथक...

Read Time: 4 mins

यूपी चुनाव में जीत का जश्‍न मनाते बीजेपी कार्यकर्ता

लखनऊ: मायावती हिंदुस्‍तान की पहली दलित महिला मुख्‍यमंत्री थीं. उन्‍हें नरसिम्‍हा राव ने लोकतंत्र का चमत्‍कार (miracle of democracy) कहा था. फोर्ब्‍स मैगजीन ने उन्‍हें भारत के 15 सबसे ताकतवर लोगों में गिना. न्‍यूजवीक ने उन्‍हें बराक 'ओबामा ऑफ इंडिया लिखा.' 2007 में 206 सीटें पाने वाली मायावती 19 सीटों पर पहुंच गईं. यूपी की 86 आरक्षित विधानसभा सीटों में से इस बार बीजेपी को 69 सीटें मिल गई हैं और मायावती को सिर्फ 2. इसलिए यह कह सकते हैं कि मोदी ने दलित वोट का मिथक भी तोड़ दिया है. कांशीराम ने 1984 में बीएसपी बनाई जो 1993 में यानी 9 साल के अंदर सत्ता में आ गई. इसलिए बड़ा सवाल है कि क्‍या मयावती की राजनीतिक पारी खत्‍म हो गई? 1980 के बाद पैदा हुए दलित जिसने उतना सामाजिक भेदभाव नहीं देखा है और जो सोशल मीउिया पर है वह भी मायावती पर सवाल पूछने लगा. टिकट बेचने का इस बार सबसे ज्‍यादा प्रचार हुआ और बड़े पैमाने पर जो उनके विधायक टूट कर पार्टी से निकले उन्‍होंने भी टिकट बेचने के इल्‍जाम लगाए. मायाती से गैर जाटवों और ओबीसी का मोह भंग हुआ. दलितों के सपने पूरे करने में मायावती चूक गईं.

ओबीसी वोट का मिथक
यूपी में ओबीसी वोट करीब 44 फीसदी है और गैर यादव ओबीसी करीब 35 फीसदी होगा. चुनाव के नतीजों से लगता है कि बीजेपी को बहुत बड़े पैमाने पर गैर यादव ओबीसी वोट मिला. यही नहीं, यादव वोट भी उसे मिला. यादव बेल्‍ट कहलाने वाले इटावा, ऐटा, औरैया, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्‍नौज आदि जिलों में समाजवादी पार्टी का सफाया हो गया. थानों के यदुवंशियों का बहुत नुकसान हुआ. बीजेपी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में तमाम ओबीसी पार्टियों से गठबंधन किया. और इस तरह ओबीसी वोट बैंक के मिथक को तोड़ने में वह कामयाब रही.

मुस्लिम वोट का मिथक
कहा जाता था कि यूपी में यादव और मुस्लिम मतदाताओं ने जिसका समर्थन कर दिया वही पार्टी सत्ता में आएगी. लेकिन बीजेपी ने इस बार के विधानसभा चुनाव में यह मिथक भी तोड़ दिया. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी हिंदुस्‍तान में रहती है और हिंदुस्‍तान में सबसे ज्‍यादा मुस्लिम आबादी यूपी में रहती है जो राज्‍य की कुल आबादी का 19 फीसदी से ज्‍यादा है. इसलिए यहां मुस्‍लिम वोट बैंक भी बड़ा मिथक है. कहते हैं कि 1952 के पहले आम चुनाव में मौलाना आजाद किसी हिंदू आबादी वाली सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे पंडित नेहरू उन्‍हें मुस्लिम आबादी वाले रामपुर से चुनाव लड़वाना चाहते थे. वो इसमें कामयाब रहे और मौलाना आजाद रामपुर सीट से चुनाव लड़े. तब से मुस्लिम वोट बैंक का मिथक बरकरार है और तमाम पार्टियों में मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए एक होड़ रहती है. लेकिन मोदी ने मुस्लिम वोट का मिथक तोड़ दिया है.

2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी से कोई मुस्लिम सांसद नहीं बन सका और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेली पार्टी थी जिसने 403 सीटों में से किसी पर भी मुस्लिम उम्‍मीदवार नहीं उतारे. और उन्‍होंने 325 सीट जीत कर यह साबित कर दिया कि वे मुस्लिम वोट के बिना भी जीत सकते हैं. और यही वजह है कि  2012 के विधानसभा चुनाव में 17 फीसदी विधायक मुस्लिम थे लेकिन 2017 में सिर्फ 5 फीसदी हैं. यूपी में 72 सीटें ऐसी हैं जिनपर मुस्लिम वोट 30 फीसदी से ज्‍यादा है और 68 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट 20 से 30 फीसदी है. इनमें से 28 सीटों पर मुस्लिम वोट सपा और बसपा में बंटने से वहां बीजेपी जीत गई. इन सभी सीटों पर सपा और बसपा के मतों का जोड़ बीजेपी के वोटों से 1000 से लेकर 29000 तक ज्‍यादा है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;