यह ख़बर 17 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली में सरकार बनाने के बारे में जनता से राय लेंगे : अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली:

दिल्ली में सरकार गठन के बारे में आम आदमी पार्टी अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है और उसने कहा है कि वह इस मुद्दे पर जनता से राय मांगेगी। उन्होंने कहा कि उनके पास दो तरह के विचार आ रहे हैं, एक पक्ष कह रहा है कि सरकार बनानी चाहिए, तो दूसरा पक्ष कह रहा है कि हमें इससे दूर रहना चाहिए, हमारे सामने धर्मसंकट है, अब जनता ही बताए कि हमें क्या करना चाहिए।

केजरीवाल ने कहा कि 'आप' की राजनीतिक मामलों की समिति की सुबह बैठक हुई, जिसके बाद विधायकों की बैठक हुई। इसमें यह तय किया गया कि हम दिल्ली की जनता के नाम चिट्ठी लिख रहे हैं, जो पूरी दिल्ली के अंदर बांटी जाएगी और हम रविवार तक जनता से राय लेंगे।

केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने हमारे द्वारा उठाए गए 18 मुद्दों पर अपना जवाब भेजा, लेकिन भाजपा ने हमारी चिट्ठी का जवाब तक नहीं दिया। केजरीवाल ने कहा कि यह प्रचार किया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी जिम्मेदारी से भाग रही है, आम आदमी पार्टी सरकार नहीं बना सकती, क्योंकि वे अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं कर सकते। यही नेता अहंकार में कह रहे थे कि चुनाव लड़कर दिखाओ, अब जब देश की आम जनता खड़ी हो गई तो तख्ता पलट गया। इस देश के आम लोगों को चुनौती मत दो।

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के उठाए 18 मामलों पर कांग्रेस के रुख स्पष्ट कर देने के बाद 'आप' के शीर्ष नेताओं ने आगे की कार्रवाई पर चर्चा के लिए मंगलवार को बैठक की। केजरीवाल, कुमार विश्वास, मनीष सिसौदिया और प्रशांत भूषण समेत पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के नौ वरिष्ठ सदस्यों ने मंगलवार सुबह कौशांबी में केजरीवाल के घर पर बैठक की, लेकिन वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके, जिसके बाद अंतिम निर्णय लेने के लिए 'आप' के विधायकों की बैठक बुलाई गई।

कांग्रेस के 'आप' को बिना शर्त समर्थन देने का निर्णय लेने के बाद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर जनलोकपाल विधेयक को पारित कराने, पानी पर शुल्क में कमी करने और बिजली कंपनियों का कैग से ऑडिट कराने जैसे 18 मुद्दों पर दोनों दलों के विचार मांगे थे। इसके बाद कांग्रेस ने यह कहते हुए गेंद 'आप' के पाले में डाल दी थी कि 18 में से 16 मांगें केवल प्रशासनिक निर्णय हैं और उनका संसद या विधानसभा से कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस का दावा है कि वह अधिकतर मांगों पर सहमत है। 'आप' को दिए जवाब में कांग्रेस महासचिव और दिल्ली के प्रभारी शकील अहमद ने कहा कि पार्टी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और मजबूत लोकायुक्त की मांग पर समर्थन करने को तैयार है।

'आप' ने सरकार बनाने की खातिर कांग्रेस और भाजपा का समर्थन लेने के लिए शनिवार को 18 शर्तें रखी थीं और इन पर उनके विचार मांगे थे। इस कदम को 'आप' द्वारा जिम्मेदारी लेने से बचने की आलोचना को खत्म करने के प्रयास के रूप में देख जा रहा था। शकील अहमद ने कहा, अन्य 16 मुद्दों पर किसी समझौते की जरूरत नहीं है। सभी प्रशासनिक कार्य हैं। राज्य सरकार जब बहुमत हासिल कर लेगी, तो इस तरह के प्रशासनिक काम करने को सक्षम है। इन मुद्दों पर विधानसभा और संसद में आने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा, केवल दो मुद्दे हैं, जो दिल्ली के अधिकार क्षेत्र से बाहर के हैं। कांग्रेस ने पिछले शुक्रवार को 'आप' को बिना शर्त समर्थन देने का फैसला किया था। इसके बाद केजरीवाल ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर 18 मुद्दों पर उनसे उनके दलों की राय मांगी थी। इन मुद्दों में जन लोकपाल को पारित किया जाना, दिल्ली का पूर्ण राज्य का दर्जा, पानी शुल्क में कमी, बिजली वितरण कंपनियों का अंकेक्षण आदि शामिल हैं।
 
दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच उप राज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। सूत्रों के मुताबिक उप राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अब तक सरकार बनाने को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।

(इनपुट  एजेंसियों से भी)


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