
दिल्ली विधानसभा चुनावों में बुधवार को कई मतदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में हाल ही में शामिल किए गए उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा) के बटन का इस्तेमाल किया।
जिन मतदाताओं ने 'नोटा' का इस्तेमाल किया उनसे जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया में किसी भी राजनीतिक दल से 'कुछ खास उम्मीद नहीं' है। पश्चिम दिल्ली के विकासपुरी में रहने वाले अरविंद त्यागी ने अपनी कॉलोनी की कई समस्याएं गिनाते हुए कहा, 'इस चुनाव ने हमें 'नोटा' का बटन दबाने का एक खास मौका दिया है।'
एक अन्य मतदाता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा कि 'नोटा' का विकल्प बहुत पहले लागू किया जाना चाहिए था क्योंकि 'संविधान ने हर किसी को अपने अधिकार के इस्तेमाल की गारंटी दी है।'
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल सितंबर महीने में ईवीएम में ‘नोटा’ का बटन शामिल करने का आदेश दिया था ताकि मतदाताओं को यह अधिकार मिले कि वे इस बटन को दबाकर चुनाव में शामिल सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चुनाव आयोग ने मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली विधानसभा चुनावों में 'नोटा' के विकल्प की शुरुआत की थी।
दिल्ली में कई मतदाताओं ने कहा कि राजनीतिक मुकाबले की प्रकृति में 'बदलाव' के लिए उन्होंने 'नोटा' के विकल्प का इस्तेमाल किया।
लक्ष्मी नगर में रहने वाले बलिराम शर्मा ने कहा, 'पिछली दफा मैंने और मेरे परिवार के सदस्यों ने मतदान नहीं किया था। हमने अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि सभी उम्मीदवारों को खारिज कर दें। इस बार हमने नोटा का विकल्प इस्तेमाल किया।'
भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन की कृष्णानगर विधानसभा सीट पर मतदान करने वाले कई नौजवानों ने भी कहा कि उन्होंने किसी पार्टी को वोट करने के बजाय 'नोटा' का बटन दबाया।
बहरहाल, दक्षिण दिल्ली में बड़ी तादाद में लोगों ने कहा कि वे 'नोटा' के बारे में नहीं जानते। छतरपुर सीट के तहत एक आदर्श मतदान केंद्र पर मतदान के लिए आयीं गृहिणी ललिता शर्मा ने कहा, 'नहीं, हमें ऐसे किसी विकल्प के बारे में नहीं पता। मैं तो सिर्फ यही जानती हूं कि मुझे किसी एक उम्मीदवार को चुनना है।'
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