प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
रद्दी टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल से नवीकरणीय बिजली पैदा की जा सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दो चरणों वाली एक प्रक्रिया के जरिए ऐसा करना मुमकिन है और इसमें आवासीय इमारतों में लगाए जाने वाले सौर ऊर्जा पैनलों की कीमत के बराबर ही खर्च आएगा. अगर इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है तो इससे नगर निगम के कूड़ा जमा करने वाले क्षेत्रों के अत्यधिक भर जाने की समस्या और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता की समस्या को सुलझाया जा सकता है. रद्दी टॉयलेट पेपर को अकसर किसी काम का नहीं समझा जाता है. हालांकि यह कार्बन का एक बेहतर स्रोत है और सूखा रहने पर इसमें 70 से 80 फीसदी सेलूलोस मौजूद होता है.
पश्चिमी यूरोप में हर साल प्रत्येक व्यक्ति द्वारा औसतन 10 से 14 किलोग्राम टॉयलेट पेपर कचरे के तौर पर निकाला जाता है. नालों में जमा होने वाली इस रद्दी की मात्रा भले ही मामूली हो लेकिन यह नगर निगम के कचरे का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है. यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के शोधकर्ताओं के मुताबिक बिजली पैदा करने के लिए रद्दी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल “कबाड़ के पुनर्चक्रण पद्धति का सर्वश्रेष्ठ तरीका है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पश्चिमी यूरोप में हर साल प्रत्येक व्यक्ति द्वारा औसतन 10 से 14 किलोग्राम टॉयलेट पेपर कचरे के तौर पर निकाला जाता है. नालों में जमा होने वाली इस रद्दी की मात्रा भले ही मामूली हो लेकिन यह नगर निगम के कचरे का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है. यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के शोधकर्ताओं के मुताबिक बिजली पैदा करने के लिए रद्दी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल “कबाड़ के पुनर्चक्रण पद्धति का सर्वश्रेष्ठ तरीका है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं