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19 फरवरी 1925 को जन्मे सुतार ने महात्मा गांधी की बहुत सी प्रतिमाओं को आकार दिया है. पद्मश्री और पद्मभूषण राम वनजी सुतार ने गांधी की साढ़े तीन सौ से ज्यादा मूर्तियां गढ़ी हैं जो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई शहरों में पूरे सम्मान के साथ लगाई गई हैं. संसद में लगी इंदिरा गांधी, मौलाना आज़ाद और जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमाएं भी सुतार ने बनाई हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि देश के लगभग सभी महान भारतीय नेताओं की प्रतिमाएं सुतार के हाथों से ढली हैं.
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राम वी. सुतार से जुड़ी खास बातें
1. राम वी. सुतार (Ram V. Sutar) मूल रूप से महाराष्ट्र के एक गांव (गोंदूर) के रहने वाले हैं. उनके पिता कारपेंटर थे और इस नाते उन्हें शिल्प कला विरासत में मिली थी. शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई और उसी दौरान गुरु श्रीराम कृष्ण जोशी से मिट्टी में जान डालने की कला यानी शिल्पकारी सीखना शुरू किया.
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2. इसके बाद राम वी. सुतार ने शिल्प कला के लिए मशहूर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला ले लिया और यहां तमाम बारीकियां सीखीं. पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की. इसके बाद वर्ष 1958 में वह दिल्ली आ गए. शुरुआत में कुछ दिनों तक लक्ष्मीनगर रहे और उसके बाद नोएडा में अपना स्टूडियो स्थापित किया.
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3. जिस समय वह दिल्ली आए थे उस समय इंडिया गेट के पास बनी कैनोपी में किंग जार्ज पंचम की प्रतिमा को लेकर विवाद चल रहा था और इसे हटा दिया गया था. बाद में यहां महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने की बात चली और राम वी. सुतार ने खुद इस कैनोपी के लिए महात्मा गांधी की एक प्रतिमा तैयार की.
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4. हालांकि बाद में तत्कालीन सरकार ने तय किया कि कैनोपी में बापू की ध्यान की मुद्रा में प्रतिमा स्थापित की जाएगी और इस प्रतिमा को बनाने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. इस प्रतियोगिता में राम वी. सुतार ने बाजी मारी. हालांकि सरकार की योजना धरातल पर नहीं उतर सकी.
5. राम वी. सुतार शुरू से ही महात्मा गांधी से प्रेरित रहे हैं. संसद भवन परिसर में लगी महात्मा गांधी की 17 फिट उंची प्रतिमा भी उन्होंने ही बनाई है. इसके अलावा पटना के गांधी मैदान, कर्नाटक विधानसभा के साथ-साथ उनकी बनाई बापू की प्रतिमा 300 से ज्यादा देशों में लग चुकी है.