मुंबई ट्रैफिक पुलिस (Mumbai Traffic Police) ने सड़क पर बेवजह हॉर्न बजाने वालों पर लगाम लगाने के लिए एक अनोखी पहल की है. दरअसल कुछ वाहन चालक सिग्नल रेड होने के बावजूद भी हॉर्न बजाते रहते हैं जिनके लिए यह कदम उठाया गया है. देश की आर्थिक राजधानी में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उन ट्रैफिक सिग्नल पर डेसिबल मीटर लगाए हैं जहां ज्यादा ट्रैफिक रहता है. पुलिस ने इस कैंपेन को पनिशिंग सिग्नल नाम दिया है. ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) मधुकर पांडेय ने बताया कि डेसिबल मॉनिटर ट्रैफिक सिग्नल से जुड़े हुए हैं. ज्यादा हॉर्न बजाने से जैसे ही डेसिबल लेवल 85 के खतरनाक स्तर पर पहुंचेगा सिग्नल का टाइम दोबारा रिसेट हो जाएगा जिससे वाहन चालकों को सिग्नल पर दोगुना इंतजार करना पड़ेगा.
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बता दें कि दुनिया के सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में मुंबई का नाम भी शामिल है. मुंबई में होने वाले ध्वनि प्रदूषण में सबसे ज्यादा प्रदूषण ट्रैफिक सिग्नल के चलते ही होता है. कुछ लोग तो सिग्नल रेड होने के बावजूद भी हॉर्न बजाते रहते हैं. मधुकर पांडेय ने बताया कि एफसीबी इंटरफेस के साथ मिलकर हमने यह पहल की है जिससे बेवजह हॉर्न बजाने की समस्या पर कुछ काबू किया जा सके.
डेसिबल मीटर को मुंबई के प्रमुख जंक्शन जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मरीन ड्राइव, पेडर रोज, हिंदमाता सिनेमा दादर और बैंड्रा पर लगाया गया है. मुंबई पुलिस ने इस पहल को लेकर एक वीडियो भी शेयर किया है. अब यह वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो की शुरुआत में बताया गया है, "दुनिया की हॉन्किंग कैपिटल में आपका स्वागत है. यहां लोग तब भी हॉर्न बजाते हैं जब सिग्नल रेड रहता है. उनको लगता है कि हॉर्न बजाने से सिग्नल ग्रीन हो जाएगा."
Horn not okay, please!
— Mumbai Police (@MumbaiPolice) January 31, 2020
Find out how the @MumbaiPolice hit the mute button on #Mumbai's reckless honkers. #HonkResponsibly pic.twitter.com/BAGL4iXiPH
वीडियो में दिखाया गया है कि हॉर्न बजाने से कोई फायदा नहीं है. मुंबई पुलिस के प्रवक्ता और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस प्रणय अशोक ने बताया कि ऐसा सजा देनी की जगह जागरुकता फैलाने के लिए किया जा रहा है. फिलहाल यह एक प्रयोग के तौर पर है जिस पर लोगों की प्रतिक्रिया ली जाएगी.
मुंबई ट्रैफिक पुलिस की इस पहल की तारीफ करते हुए ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ मुहिम चला रही सुमैरा अब्दुल अली ने कहा कि इतने सालों में पहली बार मुंबई पुलिस ने कुछ ऐसा कदम उठाया है जिसकी हम इतने सालों से मांग कर रहे थे. एफसीबी ग्रुप चेयरमैन और सीईओ रोहित ओहरी ने कहा कि वाहन चालकों के बीच जागरुकता फैलाने और व्यवहार बदलने के लिए यह एक बहुत अच्छी पहल है.
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ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) मधुकर पांडेय ने बताया कि बेवजह हॉर्न बजाना न सिर्फ एक बुरी आदत है बल्कि यह ट्रैफिक के नियमों के भी खिलाफ है. इससे स्वास्थ्य संबंधी बहुत सी परेशानियां होती हैं. बीते दो सालों की डेटा की बात की जाए तो साल 2018 और 2019 में क्रमश: 149 और 460 लोगों के खिलाफ बेवजह हॉर्न बजाने को लेकर मामले दर्ज किए गए.
ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर पांडेय ने बताया कि वाहन चालकों द्वारा बेवजह हॉर्न बजाने से न सिर्फ कानों को नुकसान पहुंचता है बल्कि दिल की गति भी इससे बढ़ जाती है. ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि इस पहल से लोगों को राहत जरूर मिलेगी.
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