17 मई को एंटीकेथेरा मैकेनिज्म की खोज की 115वीं वषर्गांठ होता है.
नयी दिल्ली:
गूगल (Google) ने दुनिया के पहले कम्प्यूटर माने जाने वाले एंटीकेथेरा मैकेनिज्म की खोज की 115वीं वषर्गांठ मनाने के लिए आज अपना डूडल इसे समर्पित किया. गूगल ने कहा, 'आज का डूडल (Doodle) दर्शाता है कि किस प्रकार जंग लगा अवशेष ज्ञान एवं प्रेरणा का पूरा आकाश दिखा सकता है.' प्राचीन काल का चित्र दिखा रहे डूडल में पहिए के आकार का पत्थर ओलंपिक, चंद्र एवं सूर्य ग्रहण और ग्रहों की स्थिति का पता लगाने की भविष्यवाणी कर रहा है.
इस रहस्यमयी अवशेष का पता 1902 में यूनानी पुरातत्वविद वेलरोयस स्टाएस ने एंटीकेथेरा में एक पोत के मलबे से कुछ अवशेषों को स्थानांतरित करते समय लगाया था. इस रोमन मालवाहक पोत का पता इससे दो वर्ष पहले चला था लेकिन स्टाएस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अवशेषों में से पहिए या गियर जैसे प्रतीत होने वाले पीतल के इस टुकड़े का पता लगाया.
बाद में पता चला कि पीतल का यह टुकड़ा प्राचीन एनालॉग खगोलीय कंप्यूटर एंटीकेथेरा मैकेनिज्म का एक हिस्सा है.
इस यंत्र का उपयोग ग्रहों की स्थिति का पता लगाने, चंद्र एवं सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करने और अगले ओलंपिक खेलों का संकेत देने के लिए भी किया गया.
गूगल (Google)ने कहा, 'इसका उपयोग संभवत: नक्शे तैयार करने और नेविगेशन में भी किया गया.' शुरुआत में बताया गया था कि यह यंत्र करीब 85 ईसा पूर्व का है लेकिन हालिया अध्ययन में कहा गया है कि यह इससे भी पुराना (करीब 150 ईसा पूर्व) है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस रहस्यमयी अवशेष का पता 1902 में यूनानी पुरातत्वविद वेलरोयस स्टाएस ने एंटीकेथेरा में एक पोत के मलबे से कुछ अवशेषों को स्थानांतरित करते समय लगाया था. इस रोमन मालवाहक पोत का पता इससे दो वर्ष पहले चला था लेकिन स्टाएस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अवशेषों में से पहिए या गियर जैसे प्रतीत होने वाले पीतल के इस टुकड़े का पता लगाया.
बाद में पता चला कि पीतल का यह टुकड़ा प्राचीन एनालॉग खगोलीय कंप्यूटर एंटीकेथेरा मैकेनिज्म का एक हिस्सा है.
इस यंत्र का उपयोग ग्रहों की स्थिति का पता लगाने, चंद्र एवं सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करने और अगले ओलंपिक खेलों का संकेत देने के लिए भी किया गया.
गूगल (Google)ने कहा, 'इसका उपयोग संभवत: नक्शे तैयार करने और नेविगेशन में भी किया गया.' शुरुआत में बताया गया था कि यह यंत्र करीब 85 ईसा पूर्व का है लेकिन हालिया अध्ययन में कहा गया है कि यह इससे भी पुराना (करीब 150 ईसा पूर्व) है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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