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This Article is From Feb 09, 2020

क्लास में चिढ़ाते थे छात्र तो परेशान हो कर 9 साल की इस बच्ची ने बनाया Anti Bullying App, कहा...

बच्ची के प्रयासों को राज्य के शिक्षा मंत्री लक्ष्मण रिंबुई ने सराहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, यह लड़की बड़ी होकर एक जिम्मेदार नागरिक बनेगी. उन्होंने कहा, मैं मजॉव को उसके सामाजिक प्रयासों से लड़ने के लिए शुभकामना देता हूं.

क्लास में चिढ़ाते थे छात्र तो परेशान हो कर 9 साल की इस बच्ची ने बनाया Anti Bullying App, कहा...
शिलांग की 9 साल की बच्ची ने बनाया चिढ़ाने की शिकायतों के लिए ऐप.
शिलांग:

शिलांग में स्कूल में बार-बार चिढ़ाए जाने से परेशान नौ साल की बच्ची ने ऐसा मोबाइल ऐप्लिकेशन विकसित किया है, जो एक व्यक्ति को गुमनाम रूप से ऐसी घटनाओं की शिकायत अधिकारियों के पास करने की सुविधा देगा. चौथी कक्षा की छात्रा मेइदइबहुन मजॉव ने कहा कि चिढ़ाए जाने से उसका स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा था, जिसके बाद उसने इस समस्या का समाधान निकालने की जिम्मेदारी खुद ले ली. मजॉव ने बताया, ''मुझे नर्सरी से स्कूल में चिढ़ाया जाता था. मैं बहुत प्रभावित रही. मुझे इससे इतनी नफरत थी कि मैं हमेशा इसका समाधान ढूंढती रहती थी. किसी दूसरे बच्चे के साथ यह नहीं होना चाहिए.'' यह ऐप जल्द ही गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा, जो पीड़ितों को अपनी शिकायतों और परेशान करने वाले व्यक्तियों की जानकारी अपनी पहचान उजागर किए बिना शिक्षकों, परिजन और दोस्तों को देने में मदद करेगा. 

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इस बच्ची के प्रयासों को राज्य के शिक्षा मंत्री लक्ष्मण रिंबुई ने सराहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, यह लड़की बड़ी होकर एक जिम्मेदार नागरिक बनेगी. उन्होंने कहा, 'मैं मजॉव को उसके सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए शुभकामना देता हूं. वह एक जिम्मेदार नागरिक होगी. मैं बच्ची का मार्गदर्शन करने वाले उसके माता-पिता को भी बधाई देता हूं". 2017 में द टीचर फाउंडेशन और विप्रो अप्लाइंग थॉट्स इन स्कूल्स (वाटिस) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत में 42 प्रतिशत बच्चों को स्कूलों में तंग किया जाता है.

अपने अनुभवों को याद करते हुए, नौ वर्षीय मजॉव ने कहा कि एक बार छात्रों ने एक समूह बना कर अन्य सहपठियों से उसका बहिष्कार करने के लिए कहा था. मजॉव ने आगे कहा, उनमें से एक मेरे पैरों पर चढ़ गया था. इसके साथ ही बच्ची ने बताया कि उसके दोस्तों ने भी कभी न कभी इन सब स्थितियों का सामना किया है. बच्ची की मां दासुमलिन मजॉव ने बताया कि उनकी बेटी ने पिछले साल सितंबर में ऐप-डेवलपमेंट कोर्स में एडमिशन लिया था और वह कुछ महीनों में ही ऐप बनाना सीख गई. उन्होंने कहा, ''वह रोजाना एक घंटे की क्लास लिया करती थी''. 

(इनपुट भाषा से भी)

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