एश्ले जे टेलिस (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा है कि अमेरिका को निश्चित रूप से भारत को यह आश्वस्त करना चाहिए कि वह एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा में गारंटर की अपनी भूमिका जारी रखेगा क्योंकि चीन के साथ अमेरिका की बढ़ती नजदीकी से भारत में चिंता बढ़ी है.
अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के एश्ले जे टेलिस ने सांसदों को बताया, ‘‘वे (भारतीय) चिंतित हैं कि अमेरिका एशिया में भारत के उत्कर्ष के संरक्षण के लिये जरूरी निवेश नहीं करेगा. अगर उनकी चिंताएं बढ़ती रहीं तो अमेरिका के साथ रिश्ते को लेकर उनके उत्साह में कमी आएगी. इस तरह की भी चिंताएं हैं कि सामरिक कारणों से अमेरिका चीनियों से नजदीकी बढ़ा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘और.. अगर ऐसा होता है तो भारत खुद को हारा हुआ समझेगा.’’
सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमिटी की ओर से एशिया प्रशांत क्षेत्र को लेकर चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में टेलिस ने कहा, ‘‘इसलिए त्वरित चुनौती यह है कि हमलोग भारत के साथ हैं, इस बात के लिये हमें भारत को पुन: आश्वस्त करना होगा कि हम एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा में स्पष्ट तौर पर गारंटर की अपनी भूमिका में बने रहेंगे.’’ उन्होंने कहा कि भारतीयों ने चीन की तरफ से उठ रही सामरिक चुनौतियों को तत्काल देखा है.
टेलिस ने कहा कि हिंद महासागर का क्षेत्र तत्काल फोकस बिंदु बन गया है. इसलिए इन उभरती सामरिक चुनौतियों के बीच उनकी मदद के लिये हम जो कर सकते हैं वह वे चीजें हैं जो हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाती हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका को निश्चित रूप से भारत के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी पहल को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि वाकई में इसकी अत्यंत आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि नया प्रशासन सहयोग को दोगुना करेगा.’’ टेलिस ने दलील दी कि भारतीय वाकई में अमेरिका के साथ और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मुद्दे पर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो वास्तव में हमारे साथ मिलकर दुनिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मकसद से काम करने को बेहद उत्सुक हैं.’’ सीनेटर टिम कैन ने भी दुनिया के सबसे पुराने एवं विशाल लोकतांत्रिक देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के एश्ले जे टेलिस ने सांसदों को बताया, ‘‘वे (भारतीय) चिंतित हैं कि अमेरिका एशिया में भारत के उत्कर्ष के संरक्षण के लिये जरूरी निवेश नहीं करेगा. अगर उनकी चिंताएं बढ़ती रहीं तो अमेरिका के साथ रिश्ते को लेकर उनके उत्साह में कमी आएगी. इस तरह की भी चिंताएं हैं कि सामरिक कारणों से अमेरिका चीनियों से नजदीकी बढ़ा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘और.. अगर ऐसा होता है तो भारत खुद को हारा हुआ समझेगा.’’
सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमिटी की ओर से एशिया प्रशांत क्षेत्र को लेकर चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में टेलिस ने कहा, ‘‘इसलिए त्वरित चुनौती यह है कि हमलोग भारत के साथ हैं, इस बात के लिये हमें भारत को पुन: आश्वस्त करना होगा कि हम एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा में स्पष्ट तौर पर गारंटर की अपनी भूमिका में बने रहेंगे.’’ उन्होंने कहा कि भारतीयों ने चीन की तरफ से उठ रही सामरिक चुनौतियों को तत्काल देखा है.
टेलिस ने कहा कि हिंद महासागर का क्षेत्र तत्काल फोकस बिंदु बन गया है. इसलिए इन उभरती सामरिक चुनौतियों के बीच उनकी मदद के लिये हम जो कर सकते हैं वह वे चीजें हैं जो हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाती हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका को निश्चित रूप से भारत के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी पहल को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि वाकई में इसकी अत्यंत आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि नया प्रशासन सहयोग को दोगुना करेगा.’’ टेलिस ने दलील दी कि भारतीय वाकई में अमेरिका के साथ और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मुद्दे पर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो वास्तव में हमारे साथ मिलकर दुनिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मकसद से काम करने को बेहद उत्सुक हैं.’’ सीनेटर टिम कैन ने भी दुनिया के सबसे पुराने एवं विशाल लोकतांत्रिक देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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