 
                                            धर्मगुरु शेख निम्र अल निम्र को मृत्युदंड देने के सऊदी सरकार के फैसले का जमकर विरोध हुआ है।
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                वाशिंगटन: 
                                        अमेरिका के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों का मानना है कि सऊदी अरब-ईरान के संबंधों के टूटने के हाल के घटनाक्रम से सीरिया में गृह युद्ध खत्म करने और शांति स्थापित करने की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की योजना बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
गौरतलब है कि अमेरिका के मना करने के बावजूद शिया धर्मगुरु शेख निम्र अल निम्र को मृत्युदंड देने के सऊदी सरकार के फैसले ने सऊदी सल्तनत में अमेरिकी असर की 'सीमितताओं' को जाहिर कर दिया है। इस निर्णय के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सऊदी अरब ने ईरान से कूटनीतिक संबंध तोड़ने का फैसला किया है। प्रदर्शनकारियों ने तेहरान स्थित सऊदी दूतावास में घुसकर हमला किया था। इन घटनाक्रमों से अमेरिका के दोनों देशों की सीरिया में दखल बढ़ाने की अमेरिकी योजना प्रभावित हो सकती है।
कैरी के एजेंडे में है सीरिया में गृह युद्ध खत्म करना
सीरिया में अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी की कोशिश इस समय करीब पांच साल से सीरिया में चल रहे गृह युद्ध को खत्म करना है, ईरान और सऊदी अरब के रिश्तों में आई कड़वाहट से इन कोशिशों को गहरा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सऊदी अरब के राजदूत अब्दुल्ला अल मौलियामी ने सोमवार को कहा कि सऊदी अरब इस संबंध में जेनेवा में 25 जनवरी को होने वाली बैठक में हिस्सा लेगा हालांकि बैठक की कामयाबी को लेकर वे ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।
'अब हमें अधिक प्रयास करने होंगे'
अमेरिका के अधिकारी भी मानते हैं कि सऊदी-ईरान के कूटनीतिक रिश्तों में आई कटुता से शांति की प्रक्रिया को धक्का लगा है। एक अमेरिकी अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'अब हमें इसके लिए और अधिक प्रयास करने होंगे।' एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि स्थिति निश्चित रूप से नाजुक है। अमेरिका के मौजूदा और वर्तमान अधिकारियों का मानना है कि वाशिंगटन और रियाद के तेल बाजार को नियंत्रित करने, आईएस और अल कायदा के आतंकियों से लड़ने से लेकर बड़े हथियार के सौदों तक कई साझा हित हैं।
                                                                                 
                                                                                
                                                                                                                        
                                                                                                                    
                                                                        
                                    
                                गौरतलब है कि अमेरिका के मना करने के बावजूद शिया धर्मगुरु शेख निम्र अल निम्र को मृत्युदंड देने के सऊदी सरकार के फैसले ने सऊदी सल्तनत में अमेरिकी असर की 'सीमितताओं' को जाहिर कर दिया है। इस निर्णय के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सऊदी अरब ने ईरान से कूटनीतिक संबंध तोड़ने का फैसला किया है। प्रदर्शनकारियों ने तेहरान स्थित सऊदी दूतावास में घुसकर हमला किया था। इन घटनाक्रमों से अमेरिका के दोनों देशों की सीरिया में दखल बढ़ाने की अमेरिकी योजना प्रभावित हो सकती है।
कैरी के एजेंडे में है सीरिया में गृह युद्ध खत्म करना
सीरिया में अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी की कोशिश इस समय करीब पांच साल से सीरिया में चल रहे गृह युद्ध को खत्म करना है, ईरान और सऊदी अरब के रिश्तों में आई कड़वाहट से इन कोशिशों को गहरा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सऊदी अरब के राजदूत अब्दुल्ला अल मौलियामी ने सोमवार को कहा कि सऊदी अरब इस संबंध में जेनेवा में 25 जनवरी को होने वाली बैठक में हिस्सा लेगा हालांकि बैठक की कामयाबी को लेकर वे ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।
'अब हमें अधिक प्रयास करने होंगे'
अमेरिका के अधिकारी भी मानते हैं कि सऊदी-ईरान के कूटनीतिक रिश्तों में आई कटुता से शांति की प्रक्रिया को धक्का लगा है। एक अमेरिकी अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'अब हमें इसके लिए और अधिक प्रयास करने होंगे।' एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि स्थिति निश्चित रूप से नाजुक है। अमेरिका के मौजूदा और वर्तमान अधिकारियों का मानना है कि वाशिंगटन और रियाद के तेल बाजार को नियंत्रित करने, आईएस और अल कायदा के आतंकियों से लड़ने से लेकर बड़े हथियार के सौदों तक कई साझा हित हैं।
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