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रवांडा- कांगो के बीच आज अमेरिका में समझौता, जानिए ट्रंप के आंखों में क्यों चमक रहा बेशकीमती खनिज?

Rwanda- Congo Agreement: रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के बीच शुक्रवार को वाशिंगटन में होने जा रहा समझौता अपने आर्थिक पक्ष और अपनी अस्पष्टता के कारण भी जांच के दायरे में आ गया है.

रवांडा- कांगो के बीच आज अमेरिका में समझौता, जानिए ट्रंप के आंखों में क्यों चमक रहा बेशकीमती खनिज?
Rwanda- Congo Agreement: रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के बीच वाशिंगटन में होगा समझौता
  • रवांडा और कांगो के बीच समझौता 27 जून को वाशिंगटन में होगा.
  • समझौते का उद्देश्य पूर्वी कांगो में संघर्ष समाप्त करना है.
  • रवांडा पर M23 विद्रोही समूह को सैन्य समर्थन देने का आरोप है.
  • अमेरिका इस समझौते में मध्यस्थता कर रहा है और आर्थिक लाभ की उम्मीद रखता है.
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Rwanda- Congo Agreement: रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) शुक्रवार, 27 जून को अमेरिका के वाशिंगटन में एक समझौते पर साइन करने वाले हैं. यह समझौता पूर्वी कांगो में उस संघर्ष को समाप्त करने के लिए है जिसमें हजारों लोग मारे गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते में अगुवा बने हैं और खुद को शांति का नोबेल पुरस्कार दिलाने की वकालत करने के लिए इस समझौते का भी हवाला दे रहे हैं. हालांकि इस समझौते से कुछ बदलेगा भी या नहीं, इस पर व्यापक सवाल उठ रहे हैं. 

यह समझौता अपने आर्थिक पक्ष और अपनी अस्पष्टता के कारण भी जांच के दायरे में आ गया है. पूर्वी कांगो में प्रचुर खनिज संपदा है. आरोप लग रहे हैं कि ट्रंप चीन का मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र से लाभ कमाने के लिए उत्सुक है.

इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि पूर्वी कांगो में कैसी और क्यों हिंसा हो रही, रवांडा और कांगो इस समझौते के तहत क्या करने वाले हैं, अमेरिका का इस समझौते से क्या फायदा है. सभी सवालों का जवाब हम आपको आसान भाषा में देंगे. 

पूर्वी कांगो में हिंसा क्यों हो रही?

2021 के अंत में M23 विद्रोही समूह ने एक नया आक्रमण शुरू किया जो इस साल की शुरुआत में तेजी से बढ़ गया, और पूर्वी कांगो के प्रमुख शहर गोमा सहित क्षेत्र के व्यापक हिस्से को अपनी जद में ले लिया. कांगो के सरकार ने लंबे समय से आरोप लगाया है कि M23, जिसमें ज्यादातर जातीय तुत्सी शामिल हैं, को रवांडा से सैन्य समर्थन मिलता है. इस दावे को अमेरिका भी मानता है.

दूसरी तरफ रवांडा ने विद्रोहियों को सीधे समर्थन देने से इनकार किया है. लेकिन वो मांग कर रहा है कि एक अन्य सशस्त्र समूह, डेमोक्रेटिक फोर्सेस फॉर द लिबरेशन ऑफ रवांडा (FDLR) को समाप्त किया जाए. FDLR को 1994 के रवांडा नरसंहार में तुत्सी समुदाय के नरसंहार से जुड़े हुतस जाती द्वारा स्थापित किया गया था.

रवांडा और कांगो के बीच क्या समझौता होने जा रहा है?

रवांडा और कांगो के विदेश मंत्री वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. हस्ताक्षर से पहले एक संयुक्त बयान में, तीनों देशों ने कहा कि समझौते में "क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और शत्रुता पर रोक" के साथ-साथ सभी "गैर-राज्य सशस्त्र समूहों" का निरस्त्रीकरण (हथियार ले लेना) शामिल होगा.

इस समझौते में बिचौलिए का काम अमेरिका के पार्टनर कतर और लेबनानी-अमेरिकी बिजनेसमैन मसाद बौलोस, जो ट्रंप की बेटी टिफनी के ससुर भी हैं, के माध्यम से की गई थी. राष्ट्रपति ट्रंप ने मसाद बौलोस ने अफ्रीका के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था.

संयुक्त बयान में "क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण ढांचे" और वाशिंगटन में ट्रंप, रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे और कांगो के प्रेसिडेंट फेलिक्स त्सेसीकेदी को एक साथ लाने वाले भविष्य के शिखर सम्मेलन की भी बात की गई.

कांगो की प्रचुर खनिज संपदा और अमेरिका का आर्थिक हित

डेनिस मुकवेगे एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने युद्ध के दौरान कांगो में हुई बड़े पैमाने पर यौन हिंसा को समाप्त करने के लिए काम किया था और इसके लिए उन्होंने 2018 नोबेल शांति पुरस्कार शेयर किया था. उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि समझौता बहुत अपारदर्शी है.

उन्होंने कहा कि आर्थिक सहयोग की बात करके रवांडा को पुरस्कार दिया जा रहा है, जो अन्यायपूर्ण है. उन्होंने एक बयान में कहा, "डील का मतलब आक्रामकता के लिए इनाम देना, कांगो के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को वैध बनाना और एक अनिश्चित और नाजुक शांति सुनिश्चित करने के लिए न्याय का त्याग करके पीड़ित को अपनी राष्ट्रीय विरासत को अलग करने के लिए मजबूर करना होगा."

न्यूज आउटलेट अफ्रीका इंटेलिजेंस ने खबर छापी है कि यह समझौता रवांडा को अपने "रक्षात्मक उपाय" वापस लेने और कांगो को FDLR के साथ सभी संबंध समाप्त करने के लिए कहता है. लेकिन रवांडा के विदेश मंत्री ओलिवियर नदुहुंगिरेहे ने एक्स पर इस रिपोर्ट को गलत बताया है. 

दोनों देशों ने संयुक्त राज्य अमेरिका से सहयोग (फेवर) मांगा है. कांगो के विशाल खनिज भंडार में इलेक्ट्रिक व्हिक्ल में महत्वपूर्ण लिथियम और कोबाल्ट शामिल हैं. कांगो चाहता है कि अमेरिका उसके देश में निवेश करे. इसके लिए उसने एक डील का प्रस्ताव भेजा है, जो यूक्रेन के साथ ट्रंप प्रशासन के खनिज सौदे से प्रेरित है.

वहीं रवांडा अमेरिका से ऐसा समझौता करना चाहता है जिसके तहत अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों (निकाले गए अवैध प्रवासियों) को वो अपने यहां जगह देगा. यह मुद्दा ट्रम्प के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है. रवांडा ने ऐसा ही समझौता ब्रिटेन की पूर्व कंजर्वेटिव सरकार के साथ किया था लेकिन पिछले साल कार्यभार संभालने वाली लेबर सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया था.

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