मुठभेड़ 4 जनवरी को हमलावरों के मारे जाने के बाद खत्म हुई थी (फाइल फोटो)
काबुल:
अफगानिस्तान के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा है कि पिछले हफ्ते मजार-ए-शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी शामिल थे। बाल्ख प्रांत के पुलिस प्रमुख सैयद कमाल सादत ने कहा, हमने अपनी आंखों से देखा और मैं 99 फीसदी कह सकता हूं कि वे हमलावर पाकिस्तनी सेना से थे और उन्होंने अपने अभियान को पूरा करने के लिए खास तरकीब का इस्तेमाल किया। सादत ने कहा कि हमलावर, सीमापार के अधिकारी थे, अच्छी तरह से प्रशिक्षित सैन्यकर्मी थे, जिन्होंने 25 घंटे के घेराव के दौरान अफगान सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष किया।
'टोलो न्यूज' के अनुसार सादत ने कहा, हमलावार सैन्यकर्मी थे। वे प्रशिक्षित और पूरी तरह तैयार थे और उनके पास खुफिया जानकारी थी। हम उन पर काबू करके उन्हें खत्म कर पाए। पुलिस प्रमुख ने कहा कि जिन लोगों ने हमलावरों को भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने के मकान में पहुंचने में मदद की, उनका पता लगाने, उनकी पहचान करने और हिरासत में लेने की कोशिश चल रही है।
सादत ने कहा, हम एनडीएस निदेशक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हमने इस बारे में बात की है। खासकर इसलिए क्योंकि वे जो यहां आए थे, वे दारी या पश्तो में नहीं बोल पा रहे थे, बल्कि उर्दू जुबान बोल रहे थे। इसका मतलब स्पष्ट है कि कोई ऐसा तो है, जिसने इन हमलावरों को रास्ता दिखाया और उनकी मदद की।
गौरतलब है कि 3 जनवरी को हमलावरों ने मजार-ए-शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावास को तहस-नहस करने की कोशिश की थी, जिसके बाद दूतावास के बाहर उनके और सुरक्षाबलों के बीच लंबी मुठभेड़ हुई। ये हमलावर वाणिज्य दूतावास के सामने वाले एक मकान में घुस गए थे। मुठभेड़ 4 जनवरी को हमलावरों के मारे जाने के बाद खत्म हुई थी। इस संघर्ष में एक पुलिसकर्मी की जान चली गई थी। तीन आम नागरिक समेत नौ अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे।
जब वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ तब भारत-तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी) के प्रहरियों ने उनकी कोशिश नाकाम कर दी। चार दर्जन से अधिक आईटीबीपी कमांडो देश में तीन अन्य मिशनों और राजधानी काबुल में मुख्य दूतावास के अलावा इस वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा में वर्ष 2008 से लगे हैं। हाल में इनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
'टोलो न्यूज' के अनुसार सादत ने कहा, हमलावार सैन्यकर्मी थे। वे प्रशिक्षित और पूरी तरह तैयार थे और उनके पास खुफिया जानकारी थी। हम उन पर काबू करके उन्हें खत्म कर पाए। पुलिस प्रमुख ने कहा कि जिन लोगों ने हमलावरों को भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने के मकान में पहुंचने में मदद की, उनका पता लगाने, उनकी पहचान करने और हिरासत में लेने की कोशिश चल रही है।
सादत ने कहा, हम एनडीएस निदेशक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हमने इस बारे में बात की है। खासकर इसलिए क्योंकि वे जो यहां आए थे, वे दारी या पश्तो में नहीं बोल पा रहे थे, बल्कि उर्दू जुबान बोल रहे थे। इसका मतलब स्पष्ट है कि कोई ऐसा तो है, जिसने इन हमलावरों को रास्ता दिखाया और उनकी मदद की।
गौरतलब है कि 3 जनवरी को हमलावरों ने मजार-ए-शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावास को तहस-नहस करने की कोशिश की थी, जिसके बाद दूतावास के बाहर उनके और सुरक्षाबलों के बीच लंबी मुठभेड़ हुई। ये हमलावर वाणिज्य दूतावास के सामने वाले एक मकान में घुस गए थे। मुठभेड़ 4 जनवरी को हमलावरों के मारे जाने के बाद खत्म हुई थी। इस संघर्ष में एक पुलिसकर्मी की जान चली गई थी। तीन आम नागरिक समेत नौ अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे।
जब वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ तब भारत-तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी) के प्रहरियों ने उनकी कोशिश नाकाम कर दी। चार दर्जन से अधिक आईटीबीपी कमांडो देश में तीन अन्य मिशनों और राजधानी काबुल में मुख्य दूतावास के अलावा इस वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा में वर्ष 2008 से लगे हैं। हाल में इनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
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