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This Article is From Dec 27, 2013

नए भारतीय राजदूत ने राजनयिक से आरोप वापस लेने को कहा

नए भारतीय राजदूत ने राजनयिक से आरोप वापस लेने को कहा
वाशिंगटन:

अमेरिका में भारत के नए राजदूत एस जयशंकर ने शुक्रवार को शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की और देवयानी खोबरागड़े पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने की मांग की। उधर, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह इस मुद्दे को देख रहा है कि क्या गिरफ्तारी के समय देवयानी को पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त थी।

देवयानी की गिरफ्तारी पर भारत की ओर से कड़ा विरोध जताने वाले जयशंकर ने भारतीय नागरिकों (देवयानी की नौकरानी के परिजनों) को अमेरिका लाने के अमेरिकी सरकार के तरीके पर भी कड़ी आपत्ति जताई।

जयशंकर ने चीफ ऑफ प्रोटोकॉल के कार्यालय में परिचय पत्रों की प्रतियां पेश करने के तत्काल बाद राजनीतिक मामलों के उपमंत्री वेंडी शेरमैन और प्रबंधन मामलों के उपमंत्री पैट्रिक एफ केनेडी से मुलाकात की।

दोनों बैठकों में न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत 39 वर्षीय देवयानी की गिरफ्तारी का मुद्दा छाया रहा। भारत का कहना है कि राजनयिक छूट के बावजूद देवयानी की गिरफ्तारी विएना संधि का उल्लंघन है।

सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने बैठक के दौरान देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने उस तरीके की भी निंदा की जिस तरह अमेरिकी सरकार ने भारत की न्यायिक संप्रभुता को अनदेखा कर भारतीय नागरिकों (देवयानी की नौकरानी के परिवार के सदस्यों) को देश से बाहर निकाला।

बैठकों का कोई अन्य ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। वर्ष 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी देवयानी खोबरागड़े को अपनी घरेलू सहायिका संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन में झूठी घोषणाएं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बाद में 250,000 डॉलर के मुचलके पर रिहा किया गया था।

खबरों में कहा गया था कि गिरफ्तारी के बाद कपड़े उतरवाकर देवयानी की तलाशी ली गई थी और उन्हें अपराधियों के साथ जेल में रखा गया था। इससे दोनों देशों के बीच विवाद खड़ा हो गया था। जवाबी कार्रवाई में भारत ने अमेरिकी राजनयिकों को दिए गए खास श्रेणी के विशेषाधिकारों को कम कर दिया था तथा अन्य कदम भी उठाए थे।

जयशंकर ऐसे समय अमेरिका में भारत के शीर्ष दूत नियुक्त किए गए हैं जब दोनों देशों के बीच देवयानी की गिरफ्तारी के मुद्दे पर मतभेदों को सुलझाने के लिए गहन चर्चा चल रही है। जयशंकर पहले चीन में भारत के राजदूत थे। अमेरिका में वह निरूपमा राव की जगह लेंगे।

इस बीच, अमेरिकी विदेश विभाग ने आज कहा कि वह भारत द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद देवयानी खोबरागड़े को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के मुद्दे को देख रहा है कि भारतीय राजनयिक को वीजा फर्जीवाड़े के आरोप में उनकी गिरफ्तारी से पहले ही विश्व निकाय से संबद्ध कर दिया गया था।

विदेश विभाग में उप प्रवक्ता मैरी हर्फ ने कहा, 'हमें भारत सरकार ने बताया है कि डॉ खोबरागड़े को सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधित्व के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र में अधिसूचित किया गया था।'

देवयानी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 26 अगस्त 2013 से 'संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में सलाहकार के रूप में' मान्यता प्राप्त थी तथा सलाहकार के रूप में उनका दर्जा 31 दिसंबर 2013 तक वैध था।

नवीनतम खुलासे से यह सामने आया है कि देवयानी को पूर्ण राजनयिक अधिकार प्राप्त थे और इसके तहत उन्हें गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने से भी छूट प्राप्त थी। इस बीच, अग्रणी भारतीय-अमेरिकी अधिवक्ता रवि बत्रा ने कहा कि देवयानी इस बात के लिए अमेरिका पर मुकदमा ठोक सकती हैं कि संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधित्व सदस्य के रूप में राजनयिक छूट प्राप्त होने के बावजूद वाशिंगटन ने विएना संधि का उल्लंघन कर उन्हें गिरफ्तार किया।

बत्रा ने कहा, 'यदि देवयानी वास्तव में भारत के स्थाई मिशन में संयुक्त राष्ट्र से मान्यताप्राप्त 'सलाहकार' थीं तो उन्हें गिरफ्तारी से पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त थी तथा वह असंवैधानिक और गलत गिरफ्तारी के लिए अमेरिका के खिलाफ मामला दायर कर सकती हैं।'

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