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पेरिस में अरुणा
पेरिस:
साफ आबोहवा के मामले में पेरिस दुनिया का सबसे आदर्श शहर नहीं है, लेकिन दिल्ली या दुनिया के कई प्रदूषित शहरों के मुकाबले यहां की हवा काफी साफ है। अब जब दिल्ली में ये बहस तेज़ है कि प्रदूषण को कैसे काबू किया जाये तो एनडीटीवी की टीम जो पेरिस में है, ने ये जानने की कोशिश की कि आखिर इस शहर ने प्रदूषण से निबटने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
भारत से आई अरुणा का अनुभव
सबसे पहले एनडीटीवी के संवाददाता की मुलाकात होती है दिल्ली से यहां आई अरुणा से जिनके लिए इन दिनों होटल से निकलकर कहीं भी पहुंचना बड़ा आसान हो गया है। होटल से बस उन्हें रेलवे स्टेशन तक लाती है और फिर जब वो ट्रेन से उतरती हैं तो कहीं भी जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिलने में उन्हें ज़रा भी दिक्कत नहीं होती।
लास्ट माइल कनेक्टिविटी अच्छी है
अरुणा ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि, 'दिल्ली में जब मैं मेट्रो से ट्रेवल करती हूं तो पहले मुझे अपनी कार लेकर मेट्रो तक जाना पड़ता है और फिर मेट्रो से उतर कर मैं ऑटो लेती हूं, लेकिन यहां लास्ट माइल कनेक्टिविटी इतनी अच्छी है कि मैं बहुत खुश हूं।'
यही पेरिस के पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़ी सबसे अच्छी बात है जिसकी कमी हमें और आपको दिल्ली में खलती है। इससे ट्रेन का इस्तेमाल करने वालों को दिक्कत नहीं होती और यहां की हवा भी साफ सुथरी बनी रहती है।
हवा की लगातार होती है मॉनिटरिंग
लेकिन पेरिस में सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही मज़बूत नहीं है बल्कि यहां हवा की लगातार मॉनिटरिंग होती है और जैसे ही हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक पाया जाता है तो मेट्रो फ्री कर दी जाती है ताकि लोग मोटरसाइकिल या बाइक छोड़कर ट्रेन में आ जायें इससे प्रदूषण स्तर को तुरंत कम करने में काफी मदद मिलती है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कनेक्टिविटी बढ़िया है
साउथ अफ्रीका से यहां आई टूरिस्ट जैना कहती है, 'मैं समझती हूं कि यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट काफी कारगर और भरोसेमंद है और आप जहां जाना चाहें वहां तक की कनेक्टिविटी बढ़िया है।
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मैं सेफ महसूस कर रही हूं और मुझे मज़ा आ रहा है।'
कहीं भी छोड़ सकते हैं किराए की साइकिल
पेरिस की दूसरी बड़ी ताकत है साइकिलों का इस्तेमाल। यहां सड़क में जगह जगह आपको साइकिलें इस्तेमाल के लिए मिल जाएंगी।
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स्कूली छात्र थियो का कहा कहना है, 'यहां इस तरह से साइकिल दिए जाने की ये सुविधा कोई 6-7 साल पहले शुरू हुई औऱ तब से चल रही है। दो यूरो खर्च कर आप दो घंटे तक अपने पास साइकिल रख सकते हैं और फिर जहां आपको जाना हो वहीं छोड़ सकते हैं।'
किराए पर साइकिल मिलती है और जगह जगह मोबाइल चार्ज सुविधा
और साइकिल चलाने की आदत का इस्तेमाल इस शहर में जगह जगह लगाए गए मैकेनिकल मोबाइल और लैपटॉप चार्जर पर भी होता है। ये बिजली बचाने और हवा साफ रखने का एक और तरीका है। पेरिस में हाइब्रिड बसों को चलाने के लिए बैटरी या सीएनजी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे प्रदूषण को काबू करने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा छोटी बड़ी बैटरी कारें भी यहां किराये पर उपलब्ध हैं।
पूरी तरह फुटपाथ पैदल चलने वालों का है
पेरिस में इन दिनों जलवायु परिवर्तन का सम्मेलन हो रहा है और बैटरी कारों के इस्तेमाल से लोगों को काफी आसानी हो रही है।
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लेकिन बात सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट की नहीं आम लोगों के पैदल चलने की सुविधा की भी है। यहां जितनी चौड़ी सड़क है उतना ही चौड़ा फुटपाथ है। सड़क दिल्ली के मुकाबले खाली दिखती है क्योंकि लोग पैदल चलना पसंद करते हैं और फुटपाथ इतने चौड़े हैं कि उसमें भीड़ कम दिखती है। इसके अलावा दिल्ली के उलट फुटपाथ पैदल चलने वालों के होते हैं न कि गाड़ी पार्क करने के लिए।
कारों की संख्या काबू रखने के लिए कदम उठाए गए
ये तो नहीं कहा जा सकता कि यातायात के मामले में पेरिस स्वर्ग है क्योंकि जाम यहां भी लगते हैं और प्रदूषण किसी हद तक यहां भी है, लेकिन दिल्ली की कारों में ऑड और इवन की बहस में ये बताना ज़रूरी है कि यहां भी कभी-कभी कारों की संख्या को नियंत्रित किया जाता है। लेकिन यहां सिर्फ कारों की संख्या पर काबू करने के अलावा भी कई ढेर सारे कदम उठाए गए हैं जिनका असर यहां की हवा और सड़कों पर साफ दिखता है।
भारत से आई अरुणा का अनुभव
सबसे पहले एनडीटीवी के संवाददाता की मुलाकात होती है दिल्ली से यहां आई अरुणा से जिनके लिए इन दिनों होटल से निकलकर कहीं भी पहुंचना बड़ा आसान हो गया है। होटल से बस उन्हें रेलवे स्टेशन तक लाती है और फिर जब वो ट्रेन से उतरती हैं तो कहीं भी जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिलने में उन्हें ज़रा भी दिक्कत नहीं होती।
लास्ट माइल कनेक्टिविटी अच्छी है
अरुणा ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि, 'दिल्ली में जब मैं मेट्रो से ट्रेवल करती हूं तो पहले मुझे अपनी कार लेकर मेट्रो तक जाना पड़ता है और फिर मेट्रो से उतर कर मैं ऑटो लेती हूं, लेकिन यहां लास्ट माइल कनेक्टिविटी इतनी अच्छी है कि मैं बहुत खुश हूं।'
यही पेरिस के पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़ी सबसे अच्छी बात है जिसकी कमी हमें और आपको दिल्ली में खलती है। इससे ट्रेन का इस्तेमाल करने वालों को दिक्कत नहीं होती और यहां की हवा भी साफ सुथरी बनी रहती है।
हवा की लगातार होती है मॉनिटरिंग
लेकिन पेरिस में सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही मज़बूत नहीं है बल्कि यहां हवा की लगातार मॉनिटरिंग होती है और जैसे ही हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक पाया जाता है तो मेट्रो फ्री कर दी जाती है ताकि लोग मोटरसाइकिल या बाइक छोड़कर ट्रेन में आ जायें इससे प्रदूषण स्तर को तुरंत कम करने में काफी मदद मिलती है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कनेक्टिविटी बढ़िया है
साउथ अफ्रीका से यहां आई टूरिस्ट जैना कहती है, 'मैं समझती हूं कि यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट काफी कारगर और भरोसेमंद है और आप जहां जाना चाहें वहां तक की कनेक्टिविटी बढ़िया है।
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मैं सेफ महसूस कर रही हूं और मुझे मज़ा आ रहा है।'
कहीं भी छोड़ सकते हैं किराए की साइकिल
पेरिस की दूसरी बड़ी ताकत है साइकिलों का इस्तेमाल। यहां सड़क में जगह जगह आपको साइकिलें इस्तेमाल के लिए मिल जाएंगी।
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स्कूली छात्र थियो का कहा कहना है, 'यहां इस तरह से साइकिल दिए जाने की ये सुविधा कोई 6-7 साल पहले शुरू हुई औऱ तब से चल रही है। दो यूरो खर्च कर आप दो घंटे तक अपने पास साइकिल रख सकते हैं और फिर जहां आपको जाना हो वहीं छोड़ सकते हैं।'
किराए पर साइकिल मिलती है और जगह जगह मोबाइल चार्ज सुविधा
और साइकिल चलाने की आदत का इस्तेमाल इस शहर में जगह जगह लगाए गए मैकेनिकल मोबाइल और लैपटॉप चार्जर पर भी होता है। ये बिजली बचाने और हवा साफ रखने का एक और तरीका है। पेरिस में हाइब्रिड बसों को चलाने के लिए बैटरी या सीएनजी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे प्रदूषण को काबू करने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा छोटी बड़ी बैटरी कारें भी यहां किराये पर उपलब्ध हैं।
पूरी तरह फुटपाथ पैदल चलने वालों का है
पेरिस में इन दिनों जलवायु परिवर्तन का सम्मेलन हो रहा है और बैटरी कारों के इस्तेमाल से लोगों को काफी आसानी हो रही है।
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लेकिन बात सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट की नहीं आम लोगों के पैदल चलने की सुविधा की भी है। यहां जितनी चौड़ी सड़क है उतना ही चौड़ा फुटपाथ है। सड़क दिल्ली के मुकाबले खाली दिखती है क्योंकि लोग पैदल चलना पसंद करते हैं और फुटपाथ इतने चौड़े हैं कि उसमें भीड़ कम दिखती है। इसके अलावा दिल्ली के उलट फुटपाथ पैदल चलने वालों के होते हैं न कि गाड़ी पार्क करने के लिए।
कारों की संख्या काबू रखने के लिए कदम उठाए गए
ये तो नहीं कहा जा सकता कि यातायात के मामले में पेरिस स्वर्ग है क्योंकि जाम यहां भी लगते हैं और प्रदूषण किसी हद तक यहां भी है, लेकिन दिल्ली की कारों में ऑड और इवन की बहस में ये बताना ज़रूरी है कि यहां भी कभी-कभी कारों की संख्या को नियंत्रित किया जाता है। लेकिन यहां सिर्फ कारों की संख्या पर काबू करने के अलावा भी कई ढेर सारे कदम उठाए गए हैं जिनका असर यहां की हवा और सड़कों पर साफ दिखता है।
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