दाउद इब्राहिम की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भारत दाउद इब्राहिम, आतंकवादी सरगना जकी-उर-रहमान लखवी और लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को लागू कराने के मामले में पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए उसे एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) की निगरानी में लाने में सफल रहा है। चीन ने प्रतिबंधों का कड़ा विरोध किया था।
अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया और हाल में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में भारत को अपने रुख से पीछे हटने को कहा था।
भारत ने उस समय लश्कर-ए-तैयबा एवं इसके सहयोगियों और दाउद की संपत्तियों को जब्त करने में इस्लामाबाद की आनाकानी का कड़ा विरोध किया गया था।
बहरहाल, चीन के प्रयास को विफल करने के लिए अमेरिका को आश्वस्त करने और धन-शोधन पर एशिया प्रशांत समूह को मनाने में भारत सफल रहा है। इस समूह में 41 सदस्य हैं और कई अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पर्यवेक्षक हैं।
अधिकारियों ने कहा कि एपीजी आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध सुनिश्चित कराने के लिए पाकिस्तान पर नजर रखेगा क्योंकि इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय निकाय का सदस्य है।
एफएटीएफ में मुद्दे को उठाने पर चीन ने इस आधार पर आपत्ति जताई थी कि पाकिस्तान समूह का सदस्य नहीं है। भारत जोर देता रहा है कि पाकिस्तान को भगोड़े दाउद इब्राहिम और सर्वाधिक वांछित हाफिज सईद और जकी-उर- रहमान लखवी की संपत्तियां जब्त करनी चाहिए, क्योंकि तीनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अल-कायदा प्रतिबंध सूची में शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र परिषद् की अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति में दाउद, सईद और लखवी के नाम शामिल हैं और उन पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश होने के नाते उनकी संपत्ति जब्त करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है। दाउद को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में 2003 में, सईद को 2008 में और लखवी को भी 2008 में शामिल किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया और हाल में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में भारत को अपने रुख से पीछे हटने को कहा था।
भारत ने उस समय लश्कर-ए-तैयबा एवं इसके सहयोगियों और दाउद की संपत्तियों को जब्त करने में इस्लामाबाद की आनाकानी का कड़ा विरोध किया गया था।
बहरहाल, चीन के प्रयास को विफल करने के लिए अमेरिका को आश्वस्त करने और धन-शोधन पर एशिया प्रशांत समूह को मनाने में भारत सफल रहा है। इस समूह में 41 सदस्य हैं और कई अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पर्यवेक्षक हैं।
अधिकारियों ने कहा कि एपीजी आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध सुनिश्चित कराने के लिए पाकिस्तान पर नजर रखेगा क्योंकि इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय निकाय का सदस्य है।
एफएटीएफ में मुद्दे को उठाने पर चीन ने इस आधार पर आपत्ति जताई थी कि पाकिस्तान समूह का सदस्य नहीं है। भारत जोर देता रहा है कि पाकिस्तान को भगोड़े दाउद इब्राहिम और सर्वाधिक वांछित हाफिज सईद और जकी-उर- रहमान लखवी की संपत्तियां जब्त करनी चाहिए, क्योंकि तीनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अल-कायदा प्रतिबंध सूची में शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र परिषद् की अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति में दाउद, सईद और लखवी के नाम शामिल हैं और उन पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश होने के नाते उनकी संपत्ति जब्त करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है। दाउद को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में 2003 में, सईद को 2008 में और लखवी को भी 2008 में शामिल किया गया था।
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