
- ट्रंप ने 14 देशों पर 25% से 40% तक हाई टैरिफ का ऐलान किया है, भारत को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
- टैरिफ को 1 अगस्त से लागू करने की योजना है, लेकिन डेडलाइन बढ़ाने की संभावना भी जताई गई है. ट्रंप का लक्ष्य इन देशों के साथ व्यापार समझौते करना है.
- ट्रंप ने कहा कि व्यापारिक रिश्ते बेहतर करने के लिए लचीला रुख अपनाएंगे. ट्रंप ने अप्रैल में टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित किया था, इसे फिर से बढ़ाया.
- उनके 180 दिन के कार्यकाल में अब तक केवल दो ठोस व्यापार डील हुई हैं, जबकि उन्होंने 90 दिन में 90 डील का चुनावी वादा किया था. उनपर दबाव बना हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार, 7 जुलाई को 14 देशों को हाई टैरिफ का ऐलान करके अपने व्यापार युद्ध को फिर से शुरू कर दिया. खास बात है कि इसमें भारत का नाम शामिल नहीं है जिससे यह मजबूत संकेत मिल रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील (व्यापार समझौते) पर अच्छी बातचीत चल रही है और किसी भी वक्त इसका ऐलान हो सकता है. हालांकि ट्रंप ने जिन 14 देशों को टैरिफ वाला लेटर भेजने की बात की है उसमें प्रमुख अमेरिकी सहयोगी देश जापान और साउथ कोरिया भी शामिल हैं.
इन सबके बीच ध्यान देने वाली बात है कि ट्रंप ने अभी के अभी इन 14 देशों पर अपने हाई टैरिफ को लागू नहीं किया है. ट्रंप ने कहा है कि वो 1 अगस्त ने नए टैरिफ को लागू करने वाले हैं और इन देशों के साथ ट्रेड डील करने के लिए इस नई डेडलाइन पर भी लचीले हो सकते हैं यानी तारीख और आगे बढ़ा सकते हैं.
बदले-बदले राष्ट्रपति के सुर
ट्रंप ने कहा है कि वो टोक्यो और सियोल से अमेरिका में आने वाले माल पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे. इंडोनेशिया, बांग्लादेश, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया सहित कुल 14 देशों पर 25 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा.

यह एक ऐसा कदम है जो पहले से ही उनके टैरिफ से अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था में नई अनिश्चितता पैदा करेगा. लेकिन 79 साल के ट्रंप पूरी तरह संकेत दे रहे हैं कि वो टैरिफ लादना नहीं चाहते बल्कि वो इन देशों के साथ ट्रेड डील करना चाहते हैं. उन्होंने एक बार फिर समझौते पर बातचीत करने के लिए देशों को पूरी मोहलत दी है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या 1 अगस्त की डेडलाइन पक्की है, तो उन्होंने रिपोर्टरों से कहा, "मैं दृढ़ कहूंगा, लेकिन 100 प्रतिशत दृढ़ नहीं." यानी संकेत हैं कि ट्रंप इसे और आगे बढ़ा सकते हैं.
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2 अप्रैल को "मुक्ति दिवस" के दिन दुनिया के तमाम देशों पर हाई टैरिफ का ऐलान किया, जिसमें सभी देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत टैरिफ (बेसलाइन) शामिल था. लेकिन बाजार में उथल-पुथल के बाद उन्होंने तुरंत 10 प्रतिशत से ऊपर के सभी टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक (सस्पेंड) दिया.
90 दिन की यह मोहलत बुधवार, 9 जुलाई को खत्म होने वाली थी. लेकिन ट्रंप ने उस समय सीमा से पहले 14 देशों को टैरिफ वाले लेटर भेज दिए हैं. जापानी और साउथ कोरियाई नेताओं को ट्रंप ने लगभग एक जैसा लेटर भेजा है. इनमें कहा गया है कि अमेरिका उनपर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा क्योंकि वाशिंगटन के साथ उनके व्यापारिक रिश्ते "दुर्भाग्य से, पारस्परिक (रेसिप्रोकल) से बहुत दूर हैं."
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की गई तो मामला और भड़क जाएगा. लेकिन ट्रंप ने सोमवार ही को औपचारिक रूप से बुधवार की डेडलाइन को बढ़ाने वाले एक और आदेश पर हस्ताक्षर किए और इसे 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया.
ट्रंप की मजबूरी क्या है?
सवाल है कि ट्रंप की मजबूरी क्या है. वो किसी भी कीमत पर ट्रेड डील क्यों करना चाहते हैं. दरअसल ट्रंप ने चुनावी वादा किया था कि वो "90 दिनों में 90 डील" करेंगे और अब उनपर परिणाम दिखाने का दबाव है. उनके कार्यकाल को शुरू हुए 181 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक केवल दो ठोस ट्रेड डील सामने आए हैं- ब्रिटेन और वियतनाम के साथ. साथ ही चीन के साथ सुपर-हाई टैरिफ को वापस लेने का समझौता हुआ है लेकिन उसपर भी कोई फाइनल डील नहीं हुई है.
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