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This Article is From Apr 05, 2022

अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता : सियासी उठापटक के बीच बोले पाकिस्तान के चीफ जस्टिस

विपक्ष ने शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और सदन में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली को भंग किए जाने को चुनौती देने की अपनी पार्टी के फैसले की घोषणा की थी.

अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता : सियासी उठापटक के बीच बोले पाकिस्तान के चीफ जस्टिस
पाकिस्तान में संसद भग होने के बाद गरमाई सियासत
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान में सियासी उठापटक जारी है. पूर्व पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने और संसद भंग करने के बाद वहां के विपक्षी दल लगातार इसे असंवैधानिक कदम बता रहे हैं. वहीं अब यह मामला अदालती चौखत तक पहुंच गया है. नेशनल असेंबली भंग करने और आम चुनाव कराने के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.इस मामले पर पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि भले ही नेशनल असेंबली के स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हैं, अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता है. द न्यूज इंटरनेशनल अखबार के अनुसार बंदियाल ने कहा कि "क्या स्पीकर के पास अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का कोई विकल्प नहीं है? क्या आप कह रहे हैं कि स्पीकर ने बेईमानी से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया?" 

वहीं इमरान खान ने चुनाव की तैयारी करने के बजाय राहत के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर देखने पर सोमवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधा.  खान सोमवार को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम ‘‘आप का वज़ीर-ए-आजम, आपके साथ'' में शामिल हुए जिसका सीधा प्रसारण किया गया. इस कार्यक्रम में खान ने आम लोगों के सवालों के जवाब दिए.

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दल जनता की प्रतिक्रिया से डरते हैं और चुनाव से बचते हैं जिसकी वे मांग कर रहे थे.''लोगों से संपर्क बढ़ाने के लिए उन्होंने राजधानी के रेड जोन के ठीक बाहर डी-चौक पर अपने समर्थकों द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की घोषणा की. खान ने कहा, ‘‘(विपक्षी) नेताओं के राजद्रोह के खिलाफ रात की नमाज के बाद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.''

खान ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह एक 'विदेशी साजिश' पर आधारित था. उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि यह चलन समाप्त हो जाए कि जिस किसी के पास 20 अरब रुपये हैं वह व्यक्ति सरकार गिरा सकता है. यह अस्वीकार्य है और लोकतंत्र को बदनाम करने के समान है.'' (एजेंसियों के इनपुट के आधार पर)

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