Blogs | नीता शर्मा |शनिवार अक्टूबर 29, 2016 09:19 PM IST परंपरा शायद यही होती है. जीवन शायद यही होता है. हाथ बदल जाते हैं, पीढ़ियां बदल जाती हैं, रोशनी बनी रहती है और जिंदगी ढीठ मुस्कुराती रहती है. मैं भी मुस्कुराई, मां भी मुस्कुरा रही होगी. हैप्पी दीवाली मां.