Xenophobia
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"धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने ही धर्म को नकार दें": कटक में बोले एस जयशंकर
- Sunday May 5, 2024
- Reported by: ANI, Translated by: विजय शंकर पांडेय
धर्मनिरपेक्षता पर विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की प्रकृति "जेनोफोबिक" है.
- ndtv.in
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जो बाइडेन की "ज़ेनोफ़ोबिया" टिप्पणी से बढ़ा विवाद, जानें क्या है इसका मतलब?
- Saturday May 4, 2024
- Edited by: स्वेता गुप्ता
अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति बाइडेन (US Joe Biden) ने कहा," अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है भी है, "क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं."
- ndtv.in
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2015 में जलवायु, बाल श्रम और जीनोफोबिया पर चिंतित रहे लेखक
- Wednesday December 30, 2015
- Edited by: Bhasha
लेखकों ने जहां देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ का विरोध करते हुए अपने पुरस्कार लौटाए हैं, वहीं कुछ प्रमुख लेखक जलवायु परिवर्तन और बाल श्रम के साथ-साथ वैश्विक तौर पर बढ़ते धार्मिक चरमपंथ, शहरों के बेतरतीबी से होते विकास और आम जीवन में बौद्धिक सामग्री के घटते स्तर को लेकर भी चिंतित रहे।
- ndtv.in
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"धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने ही धर्म को नकार दें": कटक में बोले एस जयशंकर
- Sunday May 5, 2024
- Reported by: ANI, Translated by: विजय शंकर पांडेय
धर्मनिरपेक्षता पर विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की प्रकृति "जेनोफोबिक" है.
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जो बाइडेन की "ज़ेनोफ़ोबिया" टिप्पणी से बढ़ा विवाद, जानें क्या है इसका मतलब?
- Saturday May 4, 2024
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अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति बाइडेन (US Joe Biden) ने कहा," अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है भी है, "क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं."
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2015 में जलवायु, बाल श्रम और जीनोफोबिया पर चिंतित रहे लेखक
- Wednesday December 30, 2015
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लेखकों ने जहां देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ का विरोध करते हुए अपने पुरस्कार लौटाए हैं, वहीं कुछ प्रमुख लेखक जलवायु परिवर्तन और बाल श्रम के साथ-साथ वैश्विक तौर पर बढ़ते धार्मिक चरमपंथ, शहरों के बेतरतीबी से होते विकास और आम जीवन में बौद्धिक सामग्री के घटते स्तर को लेकर भी चिंतित रहे।
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