World Environment Day Special
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अदाणी पोर्ट्स ने विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहराई तीन प्रतिबद्धताएं, साझा की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- Friday June 6, 2025
- Reported by: IANS
एपीएसईजेड ने वर्ष 2040 तक नेट जीरो एमिशन प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. कंपनी ने पहले ही 225 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता चालू कर दी है, जो स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है.
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ndtv.in
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World Bicycle Day 2022 : साइकिल से 75,000 KM तक 'Cycle Baba' ने Environment बचाने का दिया संदेश
- Friday June 3, 2022
- Reported by: वर्तिका
"मैं अभी तक करीब 70 देशों की मैं साइकिल से यात्रा कर चुका हूं, ये करीब 75,000 किलोमीटर की राइड थी. अभी तक एक लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और करीब 1200 स्कूल-कॉलेज में विजट कर मैं सेमिनार कर चुका हूं " - डॉ राज (Cycle Baba)
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ndtv.in
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विश्व पर्यावरण दिवस विशेष: स्वास्थ्य, स्वच्छता के लिए हानिकारक हैं डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन
- Monday June 5, 2017
- Edited by: शिखा शर्मा
ज्यादातर महिलाएं यह नहीं जानतीं कि भारत में हर महीने एक अरब से ज्यादा सैनिटरी पैड गैर निष्पादित हुए सीवर, कचरे के गड्ढों, मैदानों और जल स्रोतों में जमा होते हैं, जो बड़े पैमाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं.
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अदाणी पोर्ट्स ने विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहराई तीन प्रतिबद्धताएं, साझा की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- Friday June 6, 2025
- Reported by: IANS
एपीएसईजेड ने वर्ष 2040 तक नेट जीरो एमिशन प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. कंपनी ने पहले ही 225 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता चालू कर दी है, जो स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है.
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World Bicycle Day 2022 : साइकिल से 75,000 KM तक 'Cycle Baba' ने Environment बचाने का दिया संदेश
- Friday June 3, 2022
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"मैं अभी तक करीब 70 देशों की मैं साइकिल से यात्रा कर चुका हूं, ये करीब 75,000 किलोमीटर की राइड थी. अभी तक एक लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और करीब 1200 स्कूल-कॉलेज में विजट कर मैं सेमिनार कर चुका हूं " - डॉ राज (Cycle Baba)
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- Monday June 5, 2017
- Edited by: शिखा शर्मा
ज्यादातर महिलाएं यह नहीं जानतीं कि भारत में हर महीने एक अरब से ज्यादा सैनिटरी पैड गैर निष्पादित हुए सीवर, कचरे के गड्ढों, मैदानों और जल स्रोतों में जमा होते हैं, जो बड़े पैमाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं.
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