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Vedprakash Sharma Died

'Vedprakash Sharma Died' - 1 News Result(s)
  • वेद प्रकाश शर्मा : भाषा का उत्कर्ष दिखाने वाला चश्मा उतारकर भी देखें इन्हें

    वेद प्रकाश शर्मा : भाषा का उत्कर्ष दिखाने वाला चश्मा उतारकर भी देखें इन्हें

    ये वो दिन थे जब ‘नंदन’, ‘चंपक’ और ‘नन्हें सम्राट’ पढ़ने में उम्र विद्रोह करने लगा था. ‘सुमन सौरभ’ और ‘विज्ञान प्रगति’ के दिन आ गए थे जिसे पढ़ने के बाद लगता था कि कुछ तो बड़े होने लगे हैं. ऐसे ही दिनों में मुझे गांव में विमल भैया की आलमारी मिली. इससे होकर एक ऐसी दुनिया की खिड़की खुली जहां रोमांच था, दिमागी कसरत थी और उत्सुकता थी. ऊपर कोने से मोड़े गए पन्ने जो बुकमार्क का काम करते थे वापस बुलाते रहते थे कि यहां से आगे बढ़कर क्लाइमेक्स तक पहुंचो. ये आलमारी बड़की मां के कमरे में थी, जहां कोई यह कहने नहीं आता था कि ‘इसको पढ़ने की तुम्हारी उम्र नहीं’. आलमारी की तरतीब जब तक न बिगड़े, भैया के भी बिगड़ने की संभावना नहीं थी. एक दिन यहीं मिले वेद प्रकाश शर्मा और ‘जिगर का टुकड़ा’ एक मोटा सा खुरदरे पन्ने वाला उपन्यास. बाद में पता चला था कि इसे लुगदी उपन्यास कहते हैं यानि पल्प फिक्शन.

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  • वेद प्रकाश शर्मा : भाषा का उत्कर्ष दिखाने वाला चश्मा उतारकर भी देखें इन्हें

    वेद प्रकाश शर्मा : भाषा का उत्कर्ष दिखाने वाला चश्मा उतारकर भी देखें इन्हें

    ये वो दिन थे जब ‘नंदन’, ‘चंपक’ और ‘नन्हें सम्राट’ पढ़ने में उम्र विद्रोह करने लगा था. ‘सुमन सौरभ’ और ‘विज्ञान प्रगति’ के दिन आ गए थे जिसे पढ़ने के बाद लगता था कि कुछ तो बड़े होने लगे हैं. ऐसे ही दिनों में मुझे गांव में विमल भैया की आलमारी मिली. इससे होकर एक ऐसी दुनिया की खिड़की खुली जहां रोमांच था, दिमागी कसरत थी और उत्सुकता थी. ऊपर कोने से मोड़े गए पन्ने जो बुकमार्क का काम करते थे वापस बुलाते रहते थे कि यहां से आगे बढ़कर क्लाइमेक्स तक पहुंचो. ये आलमारी बड़की मां के कमरे में थी, जहां कोई यह कहने नहीं आता था कि ‘इसको पढ़ने की तुम्हारी उम्र नहीं’. आलमारी की तरतीब जब तक न बिगड़े, भैया के भी बिगड़ने की संभावना नहीं थी. एक दिन यहीं मिले वेद प्रकाश शर्मा और ‘जिगर का टुकड़ा’ एक मोटा सा खुरदरे पन्ने वाला उपन्यास. बाद में पता चला था कि इसे लुगदी उपन्यास कहते हैं यानि पल्प फिक्शन.