Sookhe Patte Ped Hara
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रिश्तेदार नहीं, रिश्तों पर भरोसे का ‘रंग’...
- Thursday October 20, 2016
- सूर्यकांत पाठक
भारत से विदेशों में जाकर बसने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके परिणाम स्वरूप पारिवारिक विघटन भी बढ़ रहा है. विदेशों में स्थाई रूप से जा बसे लोगों के मां-बाप एकाकी जीवन जीने और बुढ़ापे की परेशानियों को झेलने के लिए मजबूर होते हैं. उन्हें अंतिम समय में कोई अपना पानी देने वाला भी नहीं होता. इस त्रासदी पर केंद्रित नाटक ‘टुकड़े-टुकड़े धूप’ का मंचन भरतमुनि रंग उत्सव के तहत बुधवार को दिल्ली के श्रीराम सेंटर में किया गया.
- ndtv.in
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रिश्तेदार नहीं, रिश्तों पर भरोसे का ‘रंग’...
- Thursday October 20, 2016
- सूर्यकांत पाठक
भारत से विदेशों में जाकर बसने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके परिणाम स्वरूप पारिवारिक विघटन भी बढ़ रहा है. विदेशों में स्थाई रूप से जा बसे लोगों के मां-बाप एकाकी जीवन जीने और बुढ़ापे की परेशानियों को झेलने के लिए मजबूर होते हैं. उन्हें अंतिम समय में कोई अपना पानी देने वाला भी नहीं होता. इस त्रासदी पर केंद्रित नाटक ‘टुकड़े-टुकड़े धूप’ का मंचन भरतमुनि रंग उत्सव के तहत बुधवार को दिल्ली के श्रीराम सेंटर में किया गया.
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