Sarkeguda Encounter
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सरकेगुडा एनकाउंटर : न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर क्या कहते हैं पीड़ित - ग्राउंड रिपोर्ट
- Monday December 2, 2019
28 और 29 जून 2012 की रात छत्तीसगढ़ के बीजापुर के सरकेगुडा में 17 शव नहीं, गंभीर सवाल थे. 7 साल बाद इनका जवाब जस्टिस वी के अग्रवाल ने सरकेगुडा मामले की न्यायिक जांच में सामने रखा, बताया कि गांव वालों को प्रताड़ित किया गया और बाद में उन्हें काफी करीब से गोली मारी गई. ऐसा लगता है कि सुरक्षाबलों ने हड़बड़ाहट में फायरिंग की. रात में कई घंटों की कथित मुठभेड़ के बाद इनमें से हिरासत में लिए एक ग्रामीण को अगली सुबह गोली मारी गई.
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ndtv.in
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Exclusive: सरकेगुड़ा नरसंहार की जांच रिपोर्ट, सुरक्षाबलों के दावों पर उठे गंभीर सवाल
- Monday December 2, 2019
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में जून 2012 में हुई मुठभेड़ में गांव वालों ने गोलियां नहीं चलाईं. इस बात के भी सबूत नहीं मिले हैं कि इस मुठभेड़ में नक्सली शामिल थे. यह खुलासा मामले की जांच में जुटे जस्टिस वीके अग्रवाल की न्यायिक रिपोर्ट से हुआ है. सन 2012 में 28-29 जून को हुई इस कथित मुठभेड़ में सुरक्षा बल के जवानों ने 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था. उनके शव भी बरामद किए गए थे. इस मुठभेड़ की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया गया था. 78 पन्नों की इस रिपोर्ट से सुरक्षाबलों को दावों पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
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सरकेगुडा एनकाउंटर : न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर क्या कहते हैं पीड़ित - ग्राउंड रिपोर्ट
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28 और 29 जून 2012 की रात छत्तीसगढ़ के बीजापुर के सरकेगुडा में 17 शव नहीं, गंभीर सवाल थे. 7 साल बाद इनका जवाब जस्टिस वी के अग्रवाल ने सरकेगुडा मामले की न्यायिक जांच में सामने रखा, बताया कि गांव वालों को प्रताड़ित किया गया और बाद में उन्हें काफी करीब से गोली मारी गई. ऐसा लगता है कि सुरक्षाबलों ने हड़बड़ाहट में फायरिंग की. रात में कई घंटों की कथित मुठभेड़ के बाद इनमें से हिरासत में लिए एक ग्रामीण को अगली सुबह गोली मारी गई.
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में जून 2012 में हुई मुठभेड़ में गांव वालों ने गोलियां नहीं चलाईं. इस बात के भी सबूत नहीं मिले हैं कि इस मुठभेड़ में नक्सली शामिल थे. यह खुलासा मामले की जांच में जुटे जस्टिस वीके अग्रवाल की न्यायिक रिपोर्ट से हुआ है. सन 2012 में 28-29 जून को हुई इस कथित मुठभेड़ में सुरक्षा बल के जवानों ने 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था. उनके शव भी बरामद किए गए थे. इस मुठभेड़ की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया गया था. 78 पन्नों की इस रिपोर्ट से सुरक्षाबलों को दावों पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
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