Richard Flanagan
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उपन्यास खत्म नहीं हो रहे, बल्कि आने वाले समय में और अहमियत रखेंगे: बुकर पुरस्कार विजेता फ्लैनागन
- Sunday January 22, 2017
- Written by: पंकज विजय
जाने-माने ऑस्ट्रेलियाई लेखक और 2014 के बुकर पुरस्कार विजेता रिचर्ड फ्लैनागन ने जोर देकर कहा कि एक उपन्यास की रचना दोबारा नहीं की जा सकती है. भविष्य में यह विधा अधिक से अधिक मायने रखने जा रही है क्योंकि यह अकेली ऐसी विधा है जो सवाल करती है.
- ndtv.in
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ऑस्ट्रेलियाई उपन्यासकार रिचर्ड फ्लांगान को मिला बुकर पुरस्कार
- Wednesday October 15, 2014
- Bhasha
भारत में जन्मे ब्रिटिश लेखक नील मुखर्जी वर्ष 2014 के बुकर पुरस्कार की दौड़ में ऑस्ट्रेलियाई उपन्यासकार रिचर्ड फ्लांगान से हार गए हैं। फ्लांगान को उनके उपन्यास 'द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' के लिए बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया, जो बर्मा रेलवे में युद्धबंदियों की कहानी पर आधारित है।
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उपन्यास खत्म नहीं हो रहे, बल्कि आने वाले समय में और अहमियत रखेंगे: बुकर पुरस्कार विजेता फ्लैनागन
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जाने-माने ऑस्ट्रेलियाई लेखक और 2014 के बुकर पुरस्कार विजेता रिचर्ड फ्लैनागन ने जोर देकर कहा कि एक उपन्यास की रचना दोबारा नहीं की जा सकती है. भविष्य में यह विधा अधिक से अधिक मायने रखने जा रही है क्योंकि यह अकेली ऐसी विधा है जो सवाल करती है.
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ऑस्ट्रेलियाई उपन्यासकार रिचर्ड फ्लांगान को मिला बुकर पुरस्कार
- Wednesday October 15, 2014
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भारत में जन्मे ब्रिटिश लेखक नील मुखर्जी वर्ष 2014 के बुकर पुरस्कार की दौड़ में ऑस्ट्रेलियाई उपन्यासकार रिचर्ड फ्लांगान से हार गए हैं। फ्लांगान को उनके उपन्यास 'द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' के लिए बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया, जो बर्मा रेलवे में युद्धबंदियों की कहानी पर आधारित है।
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